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संभाग के तीन पालकमंत्री हैं शिंदे गुट के साथ

अकोला, वाशिम व यवतमाल हुए पालक विहिन

* बच्चु कडू, शंभुराजे देसाई, संदीपान भुमरे बागी गुट में शामिल
अमरावती/दि.24- महाराष्ट्र में इस समय अच्छा-खासा राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. जिसकी वजह से पश्चिम विदर्भ क्षेत्र के तीन जिलों का पालकत्व अस्थिर हो गया है. उल्लेखनीय है कि, शिवसेना के कोटे से राज्यमंत्री रहनेवाले बच्चु कडू सहित तीन जिलों के पालकमंत्रियों ने महाविकास आघाडी सरकार से नाता तोडते हुए शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के गुट का दामन थाम लिया है.
उल्लेखनीय है कि, राज्यमंत्री तथा अकोला जिले के पालकमंत्री बच्चु कडू के साथ ही वाशिम जिले के पालकमंत्री शंभुराजे देसाई तथा यवतमाल जिले के पालकमंत्री संदीपान भुमरे इस समय एकनाथ शिंदे गुट के साथ दिखाई दे रहे है. ऐसे में इन तीनों जिलों का पालकतत्व इस समय अस्थिर है. खास बात तो यह भी है कि, इन तीनों पालकमंत्रियों का अपने पालकत्व में रहनेवाले जिलों से कोई सीधा वास्ता नहीं है. अकोला के पालकमंत्री बच्चु कडू मूलत: अमरावती जिले से वास्ता रखते है और हफ्ते-पंद्रह दिन में एक-दो बार अकोला जिले का दौरा करते हुए यहां के प्रशासकीय कामकाज को गतिमान करने का प्रयास करते है. वहीं वाशिम जिले के पालकमंत्री शंभूराजे देसाई मूलत: सातारा जिले से वास्ता रखते है. तथा सातारा व वाशिम के बीच अच्छी-खासी भौगोलिक दूरी रहने के चलते वे कभी-कभार ही वाशिम के दौरे पर आते है. कहा तो यहां तक जाता रहा कि, शंभूराज देसाई के पास वाशिम जिले का पालकत्व केवल राष्ट्रीय पर्वों पर ध्वजारोहण करने तक ही सीमित है और वे अन्य सभी मौकोें पर केवल ऑनलाईन तरीके से ही जिला प्रशासन के साथ संपर्क करते हुए कामकाज की समीक्षा करते थे. वही अब वे संपर्क क्षेत्र से बाहर होकर ‘नॉट रिचेबल’ है.
इसके अलावा यवतमाल जिले में भी लगभग ऐसी ही स्थिति है. जहां पर सेना विधायक संजय राठोड द्वारा मंत्री पद से इस्तीफा दिये जाने के बाद यवतमाल जिले का पालकमंत्री पद राज्य के रोगायो मंत्री संदीपान भुमरे को सौंपा गया. लेकिन उनका भी यवतमाल जिले की समस्याओं और विकास की ओर कोई विशेष ध्यान नहीं रहा. वहीं अब उन्होंने एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर बगावत कर दी है. ऐसे में तीनों ही जिलों का अब कोई ‘वाली’ नहीं है.

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