-
मेलघाट के रेटाखेडा गांव का मामला
अमरावती/दि.5 – अंधश्रध्दा के मकडजाल में फंसे आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में कोविड प्रतिबंधात्मक वैक्सीन लगवाने हेतु एक किसान दम्पत्ति को मनाने के लिए एक डॉक्टर द्वारा उस किसान के खेत में हल चलाया गया, ताकि किसान पति-पत्नी को कोविड प्रतिबंधात्मक वैक्सीन का टीका लगवाने हेतु मनाया जा सके. यह घटना सेमाडोह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत रेट्याखेडा गांव में विगत सप्ताह घटित हुई. जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. जिसके बाद आदिवासी किसान के खेत में हल चलानेवाले डॉ. दीपक कुंडेटकर की सर्वत्र प्रशंसा हो रही है.
उल्लेखनीय है कि, मेलघाट क्षेत्र के आदिवासी नागरिकों में कोविड प्रतिबंधात्मक टीकाकरण को लेकर काफी गलतफहमियां है. जिसके चलते वे वैक्सीन लगवाने हेतु तैयार नहीं होते. ऐसे में उन्हें मनाने के लिए डॉक्टरों एवं स्वास्थ्य कर्मचारियों को काफी उठापटक करनी पडती है. मेलघाट के अतिदुर्गम रेट्याखेडा, बोराट्याखेडा, भवई व तारूबांधा इन आदिवासी गांवों में समुदाय स्वास्थ्य अधिकारी के तौर पर विगत एक वर्ष से डॉ. दीपक कुंडेटकर कार्यरत है. जिनके साथ परिचारिका प्रगती शिरस्कर, शांता उईके, एमपीडब्ल्यू बेठेकर, अमोल मेटकर तथा विजय धुर्वे कोविड टीकाकरण व जनजागृति के लिए कार्य कर रहे है. किंतु मेलघाट के आदिवासियों द्वारा टीकाकरण करवाने से इन्कार किये जाने के चलते स्वास्थ्य महकमे के समक्ष काफी बडी चुनौतियां देखी जा रही है.
मिली जानकारी के मुताबिक विगत सप्ताह रेट्याखेडा गांव निवासी रामचंद्र चतुर व उनकी गर्भवती पत्नी सुगंती चतुर अपने खेत में ज्वारी व धान की बुआई कर रहे थे. नियमित स्वास्थ्य जांच हेतु इस गर्भवती महिला की खोज करने पर वह अपने खेत में बुआई करती पायी गयी. जिसके बाद डॉ. दीपक कुंडेटकर अपनी टीम के साथ चतुर दम्पत्ति के खेत में पहुंचे. इस समय टीकाकरण की बात कहते ही चतुर दम्पत्ति ने डॉक्टर एवं उनकी टीम का स्वागत अपशब्दों से किया. किंतु यह स्वास्थ्य टीम भी इस बात पर अडी हुई थी कि, 12 से 13 लोगों के परिवार में सभी का टीकाकरण करने और गर्भवती महिला की स्वास्थ्य जांच करते हुए उससे स्वास्थ्य कीट देने के बाद ही वे गांव से बाहर जायेंगे. किंतु इस आदिवासी दम्पत्ति ने यहां तक कह दिया कि, क्या डॉक्टर व उनकी टीम यह इंजेक्शन लगाकर उनको और उनके परिवार को मार देना चाहते है.
इसके बावजूद भी डॉ. दीपक कुंडेटकर व उनकी टीम द्वारा इस आदिवासी परिवार को लगातार समझाने का प्रयास जारी रखा गया. इस समय गर्भवती सुगंती ने अचानक सवाल पूछा कि, अगर वह वैक्सीन लगवाती है, तो खेतों में बुआई कौन करेगा. जिसके बाद डॉ. दीपक कुंडेटकर ने खुद हल के साथ चलते हुए 20 से 25 मिनट तक ज्वारी व धान की बुआई करने में इस आदिवासी किसान दम्पत्ति का हाथ बंटाया. यह देखते हुए अंतत: आदिवासी दम्पत्ति का गुस्सा कुछ हद तक कम हुआ और उन्होंने बुआई निपटाकर टीकाकरण के लिए आने पर सहमति दर्शायी. ऐसे में अब आगामी सप्ताह में इस आदिवासी दम्पत्ति को कोविड वैक्सीन का प्रतिबंधात्मक टीका लगाया जायेगा.
- रेट्याखेडा गांव में रहनेवाली गर्भवती महिला की स्वास्थ्य जांच करने हेतु जाने पर वह अपने पति के साथ खेत में बुआई करती हुई मिली. इस समय इस आदिवासी परिवार द्वारा स्वास्थ्य जांच के साथ ही कोविड टीकाकरण के लिए भी इन्कार किया गया. इस समय उन्हें कुछ समय बुआई में मदद करते हुए समझाया गया और अब आगामी सप्ताह में उनका टीकाकरण किया जायेगा.
– डॉ. दीपक कुंडेटवार
समुदाय स्वास्थ्य अधिकारी, सेमाडोह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र