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मंडी के चुनाव में लग सकता है छह माह का समय

किसानों का समावेश कर बनानी पडेगी नई मतदाता सूची

* मंडी में हो सकती है गैर सरकारी प्रशासकीय मंडल की नियुक्ति
* प्रशासकीय मंडल में शामिल होने तेज होगी प्रतिस्पर्धा
अमरावती/दि.16– यद्यपि राज्य सरकार द्वारा किसानोें को कृषि उपज बाजार समितियों में मतदान करने का अधिकार देने को लेकर निर्णय लिया गया है. लेकिन बाजार समिती के संचालक मंडल के चुनाव एक बार फिर आगे टल गये. ऐसे में अब चुनाव होने तक बाजार समितियों में गैर सरकारी प्रशासकीय मंडल नियुक्त किया जा सकता है. ऐसी जानकारी सामने आयी है. ऐसे में इस गैर सरकारी प्रशासकीय मंडल में अपना नंबर लगाने हेतु इच्छुकों में प्रतिस्पर्धा शुरू हो जायेगी.
किसानों को मतदान का अधिकार देने का निर्णय लिये जाने के चलते अब फसल मंडियों की नई मतदाता सूची बनाने का काम शुरू होगा. जिसमें लगनेवाले समय को देखते हुए माना जा रहा है कि, फसल मंडी के चुनाव कम से कम छह माह के लिए आगे टल जायेंगे. ऐसे में अब इस अवधि के लिए फसल मंडियों में प्रशासक राज की बजाय गैर सरकारी प्रशासकीय मंडल नियुक्त करने का निर्णय सरकार द्वारा लिया जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि, कोविड संक्रमण काल के दौरान ही जिले की फसल मंडियों के संचालक मंडलों का कार्यकाल खत्म हो गया था. ऐसे में सभी फसल मंडियों के संचालकों को समयावृध्दि दी गई थी. अलग-अलग बार दी गई समयावृध्दि के भी खत्म हो जाने के चलते फसल मंडियों में प्रशासक की नियुक्ति की गई. वहीं अब राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद अस्तित्व में आयी नई सरकार ने किसानों को भी मतदान का अधिकार दिये जाने के संदर्भ में निर्णय लिया है. साथ ही साथ फसल मंडियों में गैर सरकारी प्रशासकीय मंडल नियुक्त करने का संकेत भी दिया है. इस मंडल में कुल 7 लोगों का समावेश रहेगा. ऐसे में भाजपा, शिवसेना के शिंदे गुट तथा पूर्व राज्यमंत्री बच्चु कडू एवं विधायक रवि राणा के समर्थक रहनेवाले इच्छूकों में प्रतिस्पर्धा शुरू हो जायेगी. जानकारी के मुताबिक भाजपा, शिंदे गुट व विधायक बच्चु कडू को 2-2 तथा राणा गुट को 1 संचालक पद इस गैर सरकारी प्रशासकीय मंडल में मिल सकता है.
ज्ञात रहे कि, 18 सदस्यीय संचालक मंडल रहनेवाली बाजार समिती में इससे पहले सेवा सहकारी संस्था निर्वाचन क्षेत्र से 11 और ग्रापं निर्वाचन क्षेत्र से 5 संचालक चुने जाते थे. जिन्हें संबंधित सेवा सहकारी सोसायटियों के प्रतिनिधियों व ग्रापं सदस्यों द्वारा मतदान किया जाता था. परंतू अब इन सभी 15 संचालकों का चयन करने हेतु किसानोें द्वारा भी मतदान किया जायेगा. इसके अलावा हमाल-मापारी निर्वाचन क्षेत्र से 1 तथा खरीददार व अडत व्यापारी निर्वाचन क्षेत्र से 2 संचालक चुने जायेंगे.
जानकारी के मुताबिक जिन किसानों ने विगत पांच वर्ष के दौरान बाजार समिती में कम से कम तीन बार अपनी कृषि उपज बेची है और जिनके पास कम से कम 1-आर कृषि भूमि है, ऐसे किसानों को फसल मंडी के चुनाव में मतदान के लिए पात्र माना जायेगा और उनके नामों का समावेश करते हुए बाजार समिती में नये सिरे से मतदाता सूची तैयार की जायेगी. जिसके लिए ‘ई-नाम’ में शामिल रहनेवाले किसानों की जानकारी का उपयोग किया जायेगा.

* 40 हजार किसानों के नाम है दर्ज
जानकारी के मुताबिक अमरावती कृषि उत्पन्न बाजार समिती के साथ अमरावती व भातकुली तहसील के 40 हजार से अधिक किसान जुडे हुए है. जिसमें से ई-नाम प्रणाली में लगभग 40 हजार किसानोें के नाम दर्ज है. इन सभी किसानों के नामों को अब मतदाता सूची में शामिल करने का काम फसल मंडी प्रशासन को करना होगा. जिसमें कम से कम छह माह का समय लगेगा. जिसके चलते अगले करीब 6 माह तक फसल मंडी के चुनाव नहीं हो पायेंगे.

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