श्वानों मेें बढ रहा है कैनाइन पार्वोवायरस का प्रादुर्भाव
जिला पशु चिकित्सालय में उपचार हेतु श्वान पालकों की भीड
अमरावती/दि.1 – एक ओर इंसानों पर कोरोना वायरस का संकट है तो दूसरी ओर श्वानों में कैनाइन पार्वोवायरस का प्रादूर्भाव बढ रहा है. जिला पशु चिकित्सालय में रोजाना उपचार के लिए श्वान पालकों की भीड दिखाई दे रही है. 100 में से 60 श्वानों में यह संक्रमण पाया जा रहा है. इस संक्रमण से श्वान की तडप-तडप कर मौत होती है. श्वानों में यह रोग दो प्रकार से पाया गया है जिसमें एक इंटेरिक फॉर्म इसमें श्वानों को रक्त की उल्टी और रक्त की शौंच होती है और कमजोरी के कारण चार से पांच दिन में श्वान की मौत हो जाती है. दूसरा प्रकार कार्डियाक फॉर्म है इसमें श्वान का हृदय बेकार हो जाता है और एक या दो दिन में उसकी मौत हो जाती है.
पार्वोवायरस यह संक्रमण हुए श्वान के संपर्क में आने वाला श्वान संक्रमण का शिकार हो जाता है. जिसमें श्वान को रक्त की शौच व उल्टियां होती है साथ ही उसे भूख भी नहीं लगती और कमजोरी आ जाती है. श्वान को इस संक्रमण से बचाने के लिए उसका टीकाकरण किया जाना आवश्यक है. जिसमें प्रथम टीका छह से आठ सप्ताह में तथा दूसरा टीका दस से बारह सप्ताह में दिया जाना चाहिए तथा तीसरा टीका चौदा से सोलह सप्ताह में तथा बुस्टर डोज एक साल के पश्चात दिया जाना चाहिए और इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए की श्वान के संपर्क में कोई ना आए. इस संक्रमण से ग्रस्त श्वानों पर सहायक आयुक्त पशु संवर्धन डॉ. राजीव खेरडे के मार्गदर्शन में डॉ. सागर ठोसर, डॉ. डी.एन. हटकर, डॉ. अनिल मोहोड व जिला पशु वैद्यकीय चिकित्सालय की संपूर्ण टीम उपचार कर रही है.
श्वान के पिल्लों का टीकाकरण आवश्यक
मेरा सभी श्वान पालकों को कहना है कि श्वान मेें संबंधित लक्ष्ण दिखाई देने पर तत्काल उसका उपचार करवाए व छोटे श्वान के पिल्लों का टीकाकरण करवाए और पशु वैद्यकीय अधिकारियों की सलाह लें.
– डॉ. राजीव खेरडे, सहायक आयुक्त पशु संवर्धन
क्या है पार्वोवायरस
कैनाइन पार्वोवायरस यह संक्रमण रोग है. इसका संक्रमण श्वान के पेट,आंतडियों तथा हार्ट को क्षति पहुंचाता है. इसलिए छोटे श्वान का टीकाकरण करवाना आवश्यक है.
– डॉ. सागर ठोसर, एमवीसी