अमरावती

पूरा गांव है किडनी की बीमारी से त्रस्त

अब तक 32 मरीजों की मौत का दावा

* आसोला गांव में लगभग हर व्यक्ति किडनीग्रस्त
* नेफ्रॉलॉजिस्ट सोसायटी ने भी किया गांव का दौरा
* भूगर्भिय जल में नॉयट्रेट का प्रमाण अधिक रहने का परिणाम
यवतमाल/दि.6– समिपस्थ नेर तहसील अंतर्गत असोला गांव में रहने वाला लगभग हर दूसरा-तीसरा व्यक्ति किडनी की समस्या से ग्रस्त और त्रस्त है तथा इस गांव को अब किडनीग्रस्त गांव के तौर पर जाना जाने लगा है. चूंकि किडनी की बीमारी पर इलाज हेतु यवतमाल व सावंगी मेघे के अस्पतालों में जाना पड रहा है. जहां पर इलाज के लिए काफी लंबी वेटिंग चलती है और कई बार नंबर भी नहीं लगता. वहीं दूसरी ओर निजी अस्पताल में इलाज काफी महंगा होता है. ऐसे में दो वक्त की रोटी का जैसे-तैसे जुगाड करने वाले लोग दवाई-पानी के लिए पैसा कहां से लाए, यह भी अपने आप में एक समस्या है. ऐसे में आसोला गांववासी वेदनाशामक दवाईयां यानि पेनकिलर का धडल्ले से प्रयोग करते है. चूंकि इस गांव के लगभग हर घर में किडनी के मरीज है. जिसके चलते इस गांव की हर किराना दुकान में पेनकिलर गोलियां और वेदनाशामक दवाईयां मिल जाती है.
गांववासियों का दावा है कि, आसोला गांव में विगत 5 वर्ष के दौरान 32 लोगों की किडनी के बीमारी के चलते मौत हुई है. यवतमाल-नेर मार्ग पर बसे आसोला गांव में रहने वाले गणेश चव्हाण की किडनी की बीमारी के चलते मौत हुई थी. जिसके बाद 2 माह पश्चात अगस्त माह में उनकी पत्नी सुनीता चव्हाण की भी किडनी की बीमारी की वजह से ही मौत हुई. इसके साथ ही आज भी इस गांव में किडनी के अनेकों मरीज है. जो किडनी पर लगने वाला महंगा इलाज पहुंच से बाहर रहने के चलते तकलीफ सहन करते हुए जैसे-तैसे जिंदगी जी रहे है.

उल्लेखनीय है कि, इससे पहले वर्ष 2018 में किडनीग्रस्तों की बढती संख्या की वजह से यह गांव चर्चा में आया था. जिसके बाद से अगले 4 वर्ष के दौरान इस गांव में 14 किडनीग्रस्त लोगों की मौत होने की जानकारी स्वास्थ्य विभाग द्बारा दी गई है. वहीं गांववासियों के मुताबिक विगत एक वर्ष के दौरान और भी 16 मरीजों की मौत हो चुकी है और यह सब मरीज गरीब किसान व खेतीहर मजदूर थे.
आसोला गांव में किडनीगस्त मरीजों की संख्या बढने की जानकारी मिलते ही राज्य नेफ्रॉलॉजिस्ट सोसायटी के डॉ. अविनाश चौधरी (अमरावती) व डॉ. धनंजय उखलकर ने आसोला गांव का दौरा करते हुए इस गांव की समस्या का अध्ययन किया था. जिसके चलते आसोला गांव के किडनीग्रस्तों की चर्चा वैद्यकीय क्षेत्र में होनी शुरु हुई और यवतमाल के जिला स्वास्थ्य विभाग ने इस बारे में अपनी गतिविधियां तेज करते हुए गांव के बोअरवेल व कुओं के पानी के सैंपल लेकर उनकी प्रयोगशाला में जांच कराई. तब पता चला कि, आसोला गांव के भुगर्भिय जल में नॉयट्रेट का प्रमाण काफी अधिक है. जिसके बाद इस गांव को पीने के पानी की ट्रैंकर से आपूर्ति करनी शुरु की गई और इसके साथ ही स्वास्थ्य महकमें और प्रशासन ने अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली.

* इलाज व चिकित्सा में भी दिक्कत
विगत 5 वर्ष से आसोला गांव में किडनी की बीमारी से त्रस्त रहने वाले मरीजों की संख्या बढ रही है और गांववासियों के मुताबिक अब भी आसोला गांव में 40 से अधिक नागरिक किडनी संबंधित बीमारियों से पीडित है. जिसमें से कई मरीजों को डायलिसिस की जरुरत है. इन्हें यवतमाल व सावंगी मेघे के अस्पताल में दौडना पडता है. यवतमाल के वसंतराव नाईक सरकारी मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में इस समय 10 डायलिसिस मशीनें उपलब्ध है. जहां पर पूरे जिले से किडनी के मरीज डायलिसिस हेतु पहुंचते है. ऐसे में कई बार कई मरीजों का डायलिसिस हेतु नंबर ही नहीं लगता था.

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