राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज पुण्यतिथि महोत्सव
गुरूकुंज मोझरी – दि. 11 सभी ग्रंथों का सार गीता में है. जिसमें भक्तियोग व कर्मयोग का समावेश राष्ट्रसंत ने सामूहिक प्रार्थना में किया. जिसकी वजह से प्रार्थना से विश्व बंधुत्व की भावना निर्माण किए जाने के लिए सामूहिक प्रार्थना की आवश्यकता है, ऐसा प्रतिपादन कैलाश दुरतकर ने व्यक्त किया. वे राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज की 54 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर बोल रहे थे.
कैलाश दुरतकर ने अपने संबोधन में आगे कहा कि शुध्द सात्विक भावना सामूहिक प्रार्थना के माध्यम से निर्माण होती है. सामूहिक रूप से प्रार्थना की गई तो अमर पद के दरवाजे खुल सकते है. कोजागिरी पूर्णिमा के अवसर पर पुण्यतिथि महोत्सव आने पर भाविको को शब्द ब्रम्हा की कोजागिरी इस कालावधि में प्राप्त होती है. सामूहिक प्रार्थना प्रणाली मीठी है. जिसमे नित्य नियम से प्रार्थना की जानी चाहिए ऐसा प्रतिपादन कैलाश दुरतकर ने किया.
* सामूहिक प्रार्थना से अंतरमन की शुध्दता -एड सचिन देव
सामूहिक ध्यान को धर्म, जाति, पंथ की आवश्यकता नहीं होती. आत्मानंद मस्ती अनुभव के लिए व उसकी शुध्दता होने के लिए महापुरूषों का वरदहस्त चाहिए. ज्ञान की अपेक्षा ध्यान श्रेष्ठ है. सदगुरू के चरणों में जब तक एकरूप से तल्लीन नहीं होते तब तक ध्यान की फलश्रृति नहीं प्राप्त होगी. ऐसा प्रतिपादन एड. सचिन देव ने व्यक्त किया. वे राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज की 54 वीं पुण्यतिथि महोत्सव के अवसर पर बोल रहे थे.