अमरावती/दि.19 – बहुत जल्द वक्फ बोर्ड महाराष्ट्र का चेहरा-मोहरा बदलने वाला है. जिसके लिए वकिलों की नई टीम नियुक्त की गई तथा 170 कर्मचारियों की भर्ती का प्रस्ताव भी पारित हो चुका है. जल्द ही डिवीजन में पूर्ण कालिक कर्मचारियों की नियुक्तियां की जाएंगी ऐसा ऐलान महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड अध्यक्ष वजाहत मिर्जा ने किया. वे उलेमा ए हिंद व्दारा आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे.
वजाहत मिर्जा ने आगे कहा कि रमजान माह के पहले मार्च महिने के अंत में यहां पर बोर्ड के अधिकारियों व्दारा शिविरों का आयोजन किया जाएगा जहां आस पास के सभी इलाकों के मस्जिद, दरगाह और मदरसों की रजिस्ट्री तथा ऑडिट की कार्रवाई की जाएगी. विधायक वजाहत मिर्जा का माराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष बनने के बाद उनका शहर में प्रथम आगमन हुआ. जिसमें उनका जगह-जगह पर जोरदार स्वागत और सत्कार किया गया.
स्थानीय अब्दुला पैलेस में तहरीक उलमा-ए-हिंद की ओर से तहफ्फुज-ए-मसाजित और वक्फ बोर्ड की जिम्मेदारियां विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस अवसर पर सभी मस्जिद, मदरसे और दरगाह के ट्रस्टी मौजूद थे. कार्यक्रम की प्रस्तावना मौलवी मुशरीफ ने रखी. वहीं मौलवी रहमत ने औरंगाबाद वक्फ बोर्ड में रजिस्ट्रेशन और ऑडिट के लिए ट्रस्टियों को होने वाली परेशानियों और दिक्कतों को वक्फ बोर्ड के सामने रखा. जिसमें उन्होंने कहा कि संभाग में पिछले तीन साल से विभागीय अधिकारी का पद रिक्त है पांचों जिलों का मुख्यालय होने के बावजूद भी यहां पर वक्फ बोर्ड का ऑफीस नहीं है.
किसी भी मस्जिद, मदरसा और दरगाह के रजिस्ट्रेशन के लिए एक-एक फाइल को पांच-पांच साल तक इंतजार करना पडता है. अमरावती से साढे चार सौ किमी. की दूरी पर औरंगाबाद में कार्यालय होने पर ट्रस्टियों को आर्थिक बोझ भी सहन करना पडता है. रजिस्ट्री न होने के कारण ट्रस्टियों को कई तरह की दिक्कतों का सामना और सरकारी लाभ से वंचित रहना पड रहा है. 36 जिलों की जिम्मेदारी वक्फ बोर्ड में सिर्फ 16 कर्मचारियों के कांधो पर है. इसके कारण वक्फ बोर्ड काम का लोड ज्यादा होने का बहाना बनाकर दिशाभूल करते है. इन सभी बातों का संज्ञान वजाहत मिर्जा ने लिया. कार्यक्रम अध्यक्ष हाफिज नाजिम अंसारी ने सभी का धन्यवाद किया. कार्यक्रम का संचालन मुबशिश्र इशायती ने किया.
इस अवसर पर प्रमुख अतिथि के तौर पर मुफ्ती फिरोज, हाफिज अहमद इशाअती, हाफिज इरफान, एड. आमीद हुसैन, मौलवी लियाकत, मौलाना जुनैद रजा, हाफिज अब्दुल कादीर, मौलाना मुश्ताक अशरफी, जफर सिद्धीकी समाजवादी मौजूद थे. कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए मुफ्ती नदीम, मौलवी अरशद, नदवी सलीम बबलू इमरान खान, नौशाद शालिमार, शेख इसरार आलम, असलम भारती, मौलवी आसीफ कुरैशी, मौलवी नासीर, मौलवी नैमतुल्ला नदवी, मौलाना उबेदुल्ला, हाफीज हफिज, मुद्दसिर हाफीज मुज्जलि, हाफिज साजिद, हाफीज अबु अली, मोहम्मद रेहान, मौलाना मोहसिन, मुफ्ती नुरुलहसन, हाफिज जफर, मो. शाहिद, नदीम अंसारी नदवी, हाफिज जुबैर, हाफिज शहजाद, हाफिज मुजीब, मुफ्ती नदीम सबीली, मौलाना याहया नदवी, मौलाना साबिर मजाहिरी आदि ने प्रयास किया.