अमरावती

शिक्षा क्षेत्र का चेहरा-मोहरा बदल गया

कोरोना की वजह से ऑनलाईन हुई शिक्षा

  • अब भी निश्चितता व संभ्रम कायम

अमरावती/दि.31 – पूरी दुनिया को हैरान-परेशान कर देनेवाली कोरोना की संक्रामक महामारी का सर्वाधिक प्रभाव शिक्षा क्षेत्र पर पडा और इस क्षेत्र में कई आमूलचूल बदलाव हुए. जिसके तहत सरकार को ऑनलाईन शिक्षा का अफलातून प्रयोग करना पडा. जिसकी वजह से शिक्षकों और विद्यार्थियों को काफी तनाव एवं समस्याओं का सामना करना पडा.
प्रति वर्ष 25 जून से नये शैक्षणिक सत्र का प्रारंभ होता है, और सभी शालाओं व महाविद्यालयों में पढाई-लिखाई के साथ ही विद्यार्थियों के शोर-शराबे का माहौल दिखाई देता है. इसके साथ ही रोजाना सुबह, दोपहर व श्याम स्कुली गणवेश में सजे-धजे बच्चों को स्कुल जाते व वापिस आते देखना भी अपने आप में एक शानदार अनुभव हुआ करता था. लेकिन इस बार मार्च माह से कोरोना संक्रमण का खतरा व्याप्त होने के चलते 25 जून से शालाएं व महाविद्यालय खुले ही नहीं और यह स्थिति अब तक लगभग बरकरार है. हालांकि इस स्थिति से पार पाने हेतु सरकार एवं शिक्षा विभाग द्वारा ऑनलाईन शिक्षा का पर्याय उपलब्ध कराया गया है. किंतु यह पारंपारिक शिक्षा की तरह कारगर साबित नहीं हो पा रहा.
समूचे राज्य की तरह अमरावती जिले की सरकारी एवं निजी शालाओें के विद्यार्थी पूरा साल अपने घरों पर रहने को मजबूर रहे. यद्यपि सरकार द्वारा मोबाईल के जरिये ऑनलाईन शिक्षा की व्यवस्था की गई है, लेकिन मोबाईल की उपलब्धता और इंटरनेट की समस्या की वजह से आधे से अधिक विद्यार्थी ऑनलाईन शिक्षा से वंचित है. वहीं जिन लोगोें के पास ये सुविधाएं उपलब्ध है, उन्हें भी काफी समस्याओें व दिक्कतों के साथ ही तनाव का भी सामना करना पडा. क्योेंकि लगातार मोबाईल स्क्रीन से चिपके रहने की वजह से विद्यार्थियोें में नेत्रविकार और सिरदर्द जैसी समस्याएं देखी गयी. साथ ही शालाओें में प्रत्यक्ष पढाई-लिखाई बंद रहने के बावजूद अभिभावकों को अपने बच्चों की पूरी स्कूली फीस जमा करानी पडी. जिसमें उन्हें किसी तरह की कोई छूट नहीं मिली. कोरोना एवं लॉकडाउन काल के दौरान कई लोगोें के रोजगार चले गये और आय के स्त्रोत घट गये. ऐसे में स्कूली फीस अदा करने को लेकर भी लोगों को कई तरह की तकलीफों का सामना करना पडा.

दसवीं व बारहवीं के विद्यार्थियों का काफी नुकसान

इस वर्ष जो विद्यार्थी कक्षा 10 वीं व 12 वीं में पहुंचे है, उनके लिए यह वर्ष जीवन का सबसे महत्वपूर्ण मोड कहा जा सकता है, लेकिन जारी वर्ष में नया शैक्षणिक सत्र पूरी तरह से अस्त-व्यस्त रहा और स्कूल, महाविद्यालय व कोचिंग क्लासेस पूरा समय बंद रहे. ऐसे में इन विद्यार्थियों की पढाई और शैक्षणिक वर्ष का लगभग सत्यानाश ही हो गया है. साथ ही अब सभी की नजरें इस बात की ओर लगी हुई है कि, राज्य शिक्षा मंडल सहित अन्य शिक्षा बोर्ड द्वारा कक्षा 10 वीं व 12 वीं की परीक्षा के संदर्भ में क्या निर्णय लिया जाता है. साथ ही इन विद्यार्थियों में अपनी अलग पढाई व कैरियर को लेकर जबर्दस्त संभ्रम का वातावरण देखा जा रहा है, क्योेंकि अनिश्चितता के बादल अब भी छटे नहीं है.

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