अमरावती

खेत मजदूर का बेटा प्रवीण जाधव करेगा टोकियो ओलिम्पिक में देश का प्रतिनिधित्व

ओलिम्पिक के लिए चयनीत होनेवाला महाराष्ट्र का पहला धर्नुधर

  • अमरावती की धनुर्विद्या क्रीडा प्रबोधिनी में सीखे तिरंदाजी के गुर

अमरावती/दि.13 – तमाम विपरित हालातों से जूझने के बावजूद एकलव्य की तरह अखंड साधना करते हुए भुमिहिन खेत मजदूर के पुत्र प्रवीण जाधव ने टोकियो ओलिम्पिक में प्रवेश के लक्ष्य पर अचूक निशाना साधा है और ओलिम्पिक के लिए पात्र रहनेवाला व महाराष्ट्र का पहला धर्नुधर बन गया है. इसके साथ ही अब ओलिम्पिक में देश के लिए पदक जीतने हेतु वह लगातार मेहनत कर रहा है.
मुलत: सातारा जिले की फलटण तहसील अंतर्गत सरडे गांव निवासी खेत मजदूर रमेश जाधव के पुत्र प्रवीण जाधव ने वर्ष 2006 से 2011 के दौरान अमरावती की सरकारी धनुर्विद्या क्रीडा प्रबोधिनी में तीरंदाजी की प्रैक्टिस करनी शुरू की. जहां पर उसे प्रशिक्षक प्रफुल्ल डांगे सहित पूर्व भारतीय तिरंदाज एवं भारतीय धनुर्विद्या संगठन के सचिव प्रमोद चांदूरकर का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ. पश्चात एक वर्ष के लिए प्रवीण जाधव पुणे चला गया और इसके बाद वर्ष 2012 से 2017 के दौरान दोबारा अमरावती लौटकर प्रफुल्ल डांगे से प्रशिक्षण प्राप्त किया.
विगत 6 से 8 मार्च के दौरान पुणे स्थित आर्मी स्पोर्ट इन्स्टिटयूट में ओलिम्पिक हेतु धनुर्धरों की चयन स्पर्धा आयोजीत की गई थी. जिसमें तीन बार देश का प्रतिनिधित्व करनेवाले अग्रणी धनुर्धर अतनु दास व तरूणदीप रॉय को प्रवीण जाधव ने पीछे छोड दिया. सत्तर मीटर तीरंदाजी में कुल 2727 अंक हासिल करते हुए प्रवीण जाधव ने अव्वल स्थान हासिल किया. वहीं दास व रॉय को दूसरे व तीसरे स्थान पर संतोष करना पडा.

बोरे में भरकर रखे है पदक

प्रवीण जाधव ने अब तक तीरंदाजी में अनेकों पदक प्राप्त किये है. प्रवीण का परिवार एक नाले के किनारे दो कमरों के छोटे से घर में रहता है. जहां पर इन पदकों को करीने से सजाकर रखने की जगह नहीं है. ऐसे में उसके द्वारा हासिल सभी पदकों को उसके पिता ने एक बोरे में भरकर रखा है. प्रवीण के घर में भले ही अनाज के बोरे दिखाई न दें, लेकिन प्रवीण द्वारा हासिल किये गये पदकों के बोरे से उसकी अमीरी झलकती है. ओलिम्पिक में प्रवेश हेतु सफल होने की जानकारी मिलने पर अपने बेटे के लिए रमेश जाधव की आंखे छलछला उठी. बचपन से ही तीरंदाजी के लिए पूरी तरह समर्पित प्रवीण अपनी खेल की प्रैक्टिस के लिए लगातार कई वर्ष तक उनसे दूर रहा है और अब प्रवीण का परिवार चाहता है कि, उनका बेटा ओलिम्पिक में पदक हासिल कर परिवार सहित देश का नाम रोशन करे.

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