चांदूर रेल्वे/दि.14– एक, दो नहीं बल्कि 18 वर्ष रात-दिन एक करते हुए बच्चों की तरह 172 संतरे के पौधे लगाये. कर्ज लेकर काफी मेहनत की. संतरे की फसल से बरकत होकर घर में समृद्धि आयेगी, ऐसी उम्मीद थी, लेकिन बेमौसम बारिश व अतिवृष्टि से किसान की मेहनत पर पानी फिर गया. लगातार संतरे गलने, कम बाजार भाव, सरकार का गलत नियोजन के सामने हतबल हुए चांदूर रेल्वे तहसील के बासलापुर के एक संतरा उत्पादक किसान मोहनप्रसाद दुबे ने संतरा बगीचे 172 हरेभरे पे़ड़ जेसीबी द्वारा नष्ट कर दिए.
निसर्ग के लहरीपन के कारण संतरा उत्पादकों पर संकट मंडराया है वहीं संतरे पर विविध रोगों का प्रादुर्भाव बढ़ने से संतरे बड़े पैमाने पर गलने लगे है. संतरा उत्पादन के लिए लगने वाला खर्च भी निकलता नहीं. इस कारण किसानों को संतरे सड़क पर फेंक देेने व हरेभरे पेड़ तोड़ने की नौबत आयी है. दुबे के यहां 4 एकड़ खेती है. उस पर संतरे का बगीचा लगाया था. लेकिन निसर्ग के लहरीपन के कारण इस वर्ष भी अपेक्षित उत्पादन नहीं हुआ.