अफगान की ज्वलंत झाकियों को किया गया साकार
रूपेश टिंगणे ने जुनी टाकसाल में करायी गणेश स्थापना
अमरावती/दि.17 – स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए तिलक ने घर-घर में गणपति सार्वजनिक रूप से बिठवाने का प्रयास किया. इसके माध्यम से उन्होंने स्वतंत्र आंदोलन चलाया. आज सार्वजनिक गणपति के माध्यम से ज्वलंत सवाल उठाए जाते है. उसी प्रकार दुनिया में प्रसारित रहनेवाले अफगनिस्तान में तालिबान का कहर व उद्रेक ज्वलंत विषय गणपति बाप्पा की झांकी में दिखाया गया है.
तालिबान ने अफगनिस्तान को पूरी तरह से अपने कब्जे में लिया है. वहां तालिबान ने अपना शासन चलाया है. सभी सरकारी संस्था को अब तालिबान ने अपने हाथ में लिया है. लोकशाही व्यवस्था अब पूरी तरह से नष्ट हो गई है. फिलहाल मुस्लिम देश एक समय में हिन्दू संस्कृति और उनके नियमों पर विश्वास रखता था. इसे महाभारत की पौराणिक पार्श्वभूमि की कथा पर विश्वास रखनेवाला था. महाभारत के कौरव का मामा व गांधारी का भाई शकुनी इसी देश का था जिसे छत्रपति शिवाजी महाराज के सरनौबत नेताजी पालकर को औरंगजेब ने जबर्दस्ती से मुसलमान बनाकर अफगनिस्तान में रखा था.एक समय में आर्थिक सांस्कृतिक शैक्षणिक द़ृष्टि से संपन्न व प्रगतिशील यह देश था परंतु यह देश आज दुर्भाग्य से वैश्विक दहशत का प्रमुख केन्द्र बना है.
अमरावती जुनी टाकसाल में रूपेश टिंगणे ने अपने घर में गणपति की झांकी हर साल की तरह इस साल भी बनाई है. जिसमें उसने ‘गांधारी के शॉप के भुक्तभोगी अफगनिस्तान’ को इस झांकी में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है. इसमें ऐसा बताया गया है कि इतिहास मेंं सबसे बड़ा युध्द माना जानेवाला महाभारत का षडयंत्र यहीं से शुरू हुआ है.
कंधार का नाम पहले गंधार था. इस संबंध मेें वेद व्यास ने महाभारत में बहुत कुछ बताया है. लगभग 5500 वर्ष पूर्व राजा सुबल गांधार पर राज्य करता था. उसकी पुत्री का नाम गांधारी था गांधारी का विवाह हस्तिानपुर के राजकुमार धृतराष्ट्र से हुआ था. गांधारी को शकुनी नाम का एक भाई था. पिता की मृत्यु के बाद गांधार का पूरा राज्य शकुनी के हाथ में आ गया . जब भीष्म ने राजा सुबुल के संपूर्ण परिवार का नाश किया था व गांधारी का विवाह अंधे धृतराष्ट्र से किया था. इसलिए शकुनी ने कौरव और पांडवों का आपस में भेद कर लड़ाई करवाकर संपूर्ण हस्तिानपुर नष्ट कने का षडयंत्र रचा था. अपने 100 पुत्र की मृत्यु से शोकाकुल होकर गांधारी ने ऐसा शाप शकुनी को दिया कि तेरे राज्य में कभी शांति नहीं रहेगी. तब का यह गांधार आज का अफगनिस्तान है और आज की स्थिति को देखकर गांधारी के शाप का प्रत्यय आ रहा है.
गांधार देश का उल्लेख ऋग्वेद व्यतिरिक्त उत्तर रामायण में और महाभारत में मिलता है. गांधार इस शब्द का अर्थ गंध और गांधार यानी सुंगधित जमीन इस नाम की वजह क्या है यहा केशर का रोपण किया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव का नाम गांधार है. इसका उल्लेख शिवसहस्त्रनाम में है. माना जाता है कि भगवान शिवभक्त पहले यहां रहते थे.
अत: मैं गणराया के चरणों में प्रार्थना करता हूॅ कि इस नगरी का गत वैभव फिर से मिले. दुनिया में शांति स्थापित हो. तालिबान ने जो आतंक फैलाया है वह देखकर मन दु:खी होता है. यह भूमि फिर से सुजलाम सुफलाम हो यह गणराया से प्रार्थना करे.