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प्रथम ग्रासे मक्षिका…

बात्रा ने कर दिया मना

* शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय डीन पद
अमरावती/दि.3- शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय साकार होने में और विलंब होने की आशंका जताई जा रही है. पता चला है कि दो रोज पहले वैद्यकीय शिक्षण विभाग द्वारा राज्यपाल के आदेशानुसार नियुक्त मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अजय बात्रा ने पद स्वीकार करने में असमर्थता जताई है. सूत्रों की माने तो यवतमाल के नाईक मेडिकल कॉलेज में फॉरेन्सिक के प्राध्यापक डॉ. बात्रा ने निजी कारणों से अमरावती में अधिष्ठाता पद संभालने से इंकार कर दिया है. अध्यादेश में डॉ. बात्रा को यवतमाल कॉलेज की जिम्मेदारी संभालते हुए अमरावती के नए कॉलेज के डीन के रुप में दायित्व संभालना था. मगर बेटी के विवाह और अन्य कारणों से डॉ. बात्रा ने डीएमइआर को भेजे पत्र में मनाही किए जाने की जानकारी अमरावती मंडल को पता चली है. जिससे वैद्यकीय शिक्षण क्षेत्र के जानकार इसे प्रथम ग्रासे… मान रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि प्रदेश शासन ने जीआर जारी कर 9 प्रस्तावित नई वैद्यकीय महाविद्यालय पर अधिष्ठाता की नियुक्ति कर दी थी. जिसमें अमरावती सहित संभाग के बुलढाणा और वाशिम तथा विदर्भ के वर्धा जिले के प्रस्तावित महाविद्यालयों का समावेश रहा. सरकार इसी सत्र से 100 सीटों वाले मेडिकल कॉलेज को आरंभ करने की जुगत में है. इसके वास्ते आनन फानन में जिला सामान्य अस्पताल तथा जिला स्त्री अस्पताल इर्विन और डफरीन को स्वास्थ्य महकमे से वैद्यकीय शिक्षा विभाग को हस्तांतरित किया गया है. दोनों अस्पताल की बेड संख्या 400 से अधिक है.
* आएंगे नए उपकरण, साधन
सूत्रों ने अमरावती मंडल को बताया कि वैद्यकीय शिक्षण विभाग के अधीन होने से अब दोनों ही अस्पतालों इर्विन तथा डफरीन में छोटी से छोटी मशीन से लेकर बड़े उपकरणों सिटी स्कैन सहित नई व्यवस्था होने वाली है. उसी प्रकार अस्पताल का प्रशासकीय कामकाज भी स्वास्थ्य विभाग से बदलकर मेडिकल शिक्षा विभाग के पास आ जाएगा.
* काफी काम व जिम्मेदारियां
इस बीच सूत्रों ने अमरावती मंडल को बताया कि डॉ. बात्रा ने डीएमइआर को पत्र भेज दिया है. उन्होंने विनम्रता से डीन पद अस्वीकार किया है. सूत्रों ने बताया कि अमरावती में नया मेडिकल कॉलेज रहने से ढेर सारे काम और जिम्मेदारियां रहने वाली है. अनेक प्रकार की दौड़धूप डीन को करनी पड़ेगी. विभिन्न विभागों से मंजूरी लेने के साथ राष्ट्रीय मेडिकल काउंसिल से भी पत्राचार कर स्वीकृति लेनी होती है. काफी काम और दायित्व को देखते हुए कदाचित डॉ. बात्रा ने पद अस्वीकार किया है.

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