परिवार का प्रथम व्यक्ति विधायक बनेगा- पंडितराव भारतीय
इंदिरा गांधी को समिप से देखने के लिए बासुरी बजाना सिखा था श्रीकांत ने
* माता-पिता ने सांझा की पुरानी यादें
* विधायक बनकर सभी काम करें- ताराबाई भारतीय
* तीनों बेटें अलग-अलग क्षेत्र में हुए कामयाब
अमरावती/दि.9- अमरावती जिले के सुपूत्र श्रीकांत भारतीय को भारतीय जनता पार्टी ने विधान परिषद की उम्मीदवारी दी. जिस पर श्रीकांत भारतीय सहित भारतीय परिवार का अभिनंदन किया जा रहा है. इस उपलब्धि पर श्रीकांत भारतीय के पिता पंडितराव भारतीय ने भी खुशी जाहीर कर हमारे परिवार का प्रथम व्यक्ति विधायक बनने जा रहा है, इसका अभिमान रहने की बात बतायी. श्रीकांत भारतीय को लेकर बीती बातों पर प्रकाश डालते पंडितराव भारतीय ने बताया कि, श्रीकांत जब परतवाडा में प्रायमरी शिक्षा ले रहा था, उस दौरान परतवाडा में इंदिरा गांधी का दौरा हुआ. उस दौरे में इंदिरा गांधी को नजदिक से देखने की लालसा में श्रीकांत ने बासुरी वादन सिखा और स्कूल के पथक में उन्होंने इंदिरा गांधी के स्वागत समारोह में बासुरी वादन किया था. बाल्यावस्था से ही वह सामाजिक कार्यों में रुची लेते थे. हमारा परिवार वारकरी परिवार है. हमने बच्चों को सभी के काम आने की सिख दी. आज वे सभी लोगों के काम आ रहे है. इसका समाधान है, ऐसा कहते पंडितराव भारतीय ने बताया कि, श्रीकांत ने जब से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का काम शुरु किया. तभी से वह जनसेवा में समर्पित रहा. श्रीकांत भारतीय की अब तक की यात्रा आसान नहीं थी. लेकिन उन्होंने अपनी जिद व महत्वाकांक्षा की बदौलत यह मुकाम हासिल किया है.
श्रीकांत भारतीय के पिता पंडितराव भारतीय शिक्षक थे. परतवाडा के एसजी बॉईज हाईस्कूल में से वे वर्ष 1995 में रिटायर्ड हुए. उन्हें सुधिर, श्रीकांत, तुषार यह तीन बेटे व प्राजक्ता नामक एक बेटी है. सबसे बडा बेटा सुधिर लोकनिर्माण विभाग से रिटायर्ड हुआ है. श्रीकांत और तुषार राजनीति में सक्रिय है, तो बेटी प्राजक्ता की उमरेड निवासी एडव्होकेट दानी के साथ विवाह हुआ है. श्रीकांत और तुषार ने राजनीति का मार्ग चुना, तब वे देर रात तक लोगों के कामों में जुटे रहते थे. तब थोडी चिंता जरुर होती थी, लेकिन अब कोई फिक्र नहीं है. जब श्रीकांत भाजपा पदाधिकारियों के साथ काश्मिर में तिरंगा ध्वज फहराने गया था, तब थोडी चिंता जरुर हुई थी, लेकिन ज्ञानेश्वर माउली के आशिर्वाद से सबकुछ ठीक रहा. जब तक निंदको द्बारा निंदा नहीं होती, तब तक हमारे में क्या बुराई है, इसका पता नहीं चलता. निंदकों के कारण ही हम आगे बढने में कामयाब होते है. इसलिए निंदकों का रहना भी जरुरी होता है, ऐसा प्रतिपादन करते पंडितराव भारतीय ने बताया कि, जब श्रीकांत केशरबाई लाहोटी महाविद्यालय में पीएचडी की पढाई कर रहे थे, उस दौरान उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लिए 2 महिने काम करने की अनुमति मांगी थी. लेकिन उसके बाद उसने पीछे मुडकर नहीं देखा. वह जब धरमपेठ के ज्युनियर कॉलेज में लेक्चरल के रुप में कार्यरत था, तभी से उसने भाजपा के लिए काम करना शुरु कर दिया था. भाजपा नेता स्व. प्रमोद महाजन, अरविंद शहापुरकर ने श्रीकांत को सक्रिय राजनीति में उतारा. इस दौरान श्रीकांत ने कई आंदोलनों का भी नेतृत्व किया और अब उसे विधान परिषद का प्रत्याशी बनाया गया है. विधायक बनकर श्रीकांत ने सभी के काम आना चाहिए, वह सभी के लिए अच्छा काम कर और नाम कमाएं, ऐसा प्रतिपादन श्रीकांत भारतीय की माता ताराबाई भारतीय ने किया. जिस तरह पंडितराव भारतीय ने बतौर स्कूल शिक्षक कार्यरत रहकर स्कूल के कार्यकारिणी सदस्य से लेकर अध्यक्ष पद तक की यात्रा की. उसी प्रकाश श्रीकांत भारतीय भी एक-एक चरण पूर्ण कर राजनीति में यशस्वी हो रहे है. इस पर भी ताराबाई ने अभिमान व्यक्त किया.
* अनाथों को एक प्रतिशत आरक्षण देने में अहम योगदान
पंडितराव भारतीय ने बताया कि, अनाथों को शिक्षा में एक प्रतिशत आरक्षण देने में श्रीकांत का अहम योगदान रहा. एक अनाथ युवती जिसे अच्छे मार्क्स मिलने के बावजूद भी उसे एडमिशन नहीं मिल रहा था, तब वह युवती श्रीकांत भारतीय के पास आयी और बताया कि, वह अनाथ रहने से उसकी जाति का पता नहीं है और जाति की जानकारी नहीं रहने से अच्छे मार्क्स रहने के बाद भी उसे एडमिशन नहीं मिल रही है. जिस पर श्रीकांत भारतीय ने अनाथ छात्रों के लिए एक प्रतिशत आरक्षण की दिशा में प्रयास किये, जो सफल रहे. अब तमाम अनाथों को विधायक मिलने जा रहा है, इस पर भी उन्होंने आनंद व्यक्त किया. सभी को समान न्याय देने का काम करना है. यह संदेश भी उन्होंने दिया.
* घर पर हमला हुआ तब बुरा लगा
भारतीय परिवार ने बताया कि, विधानसभा चुनाव के बाद उनके घर पर हमला हुआ था, तब सभी को बेहद बुरा लगा. जनता के काम करने के लिए ठोस भूमिका लेनी पडती है, लेकिन यहीं भूमिका जब एक-दूसरे पर हमले का कारण बनती है, तो बूरा लगता ही है. लेकिन अब श्रीकांत व तुषार दोनों विरोधियों को करारा जवाब देने में सक्षम है, इसलिए अब किसी से डर नहीं लगता. अब बेटों के यशस्वी यात्रा पर अभिमान होता है, ऐसा प्रतिपादन भी पंडितराव भारतीय ने किया.