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सिंधी भाषा, साहित्य व संस्कृति का जतन पहली प्राथमिकता

राज्य सिंधी अकादमी के सदस्य नानकराम नेभनानी का कथन

अमरावती/दि.22– अखंड भारत का हिस्सा रहनेवाले सिंध प्रांत के निवासियों को देश विभाजन के बाद अपनी जमीन से बेदखल होकर विभाजीत भारत में आना पडा और उस समय पाकिस्तान से आये सिंधी समाज बंधू देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर बस गये. लेकिन अपनी चल-अचल संपत्तियों को छोडकर आये हमारे बुजुर्गों ने अपनी भाषा व संस्कृति को नहीं छोडा, बल्कि अपनी जीवटता व कर्मठता के साथ आर्थिक तौर पर साधन संपन्न होने के साथ-साथ सिंधी होने की अपनी पहचान को भी अक्षुण्ण बनाये रखा. इसी पहचान आगे भी बनाये रखने का काम मैं महाराष्ट्र राज्य सिंधी साहित्य अकादमी के सदस्य के तौर पर करूंगा. इस आशय का प्रतिपादन अकादमी के नवनियुक्त सदस्य नानकराम नेभनानी द्वारा किया गया.
सरकारी नियंत्रण में चलनेवाली महाराष्ट्र राज्य सिंधी साहित्य अकादमी के सदस्य पद पर दो दिन पूर्व ही मुर्तिजापुर के पूर्व नगराध्यक्ष नानकराम नेभनानी का चयन हुआ. जिसके उपरांत दैनिक अमरावती मंडल ने उनसे विशेष तौर पर बातचीत की. इस समय नानकराम नेभनानी ने उपरोक्त प्रतिपादन करने के साथ ही बताया कि, राज्य सिंधी साहित्य अकादमी द्वारा राज्य में सिंधी भाषा, सिंधी साहित्य एवं सिंधी संस्कृति को संरक्षित व संवर्धित करने का कार्य किया जाता है. जिसके लिए विभिन्न तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और सिंधी भाषा व साहित्य सहित सिंधी लोककला को प्रोत्साहित करने हेतु तमाम आवश्यक कदम भी उठाये जाते है. साथ ही साथ सिंधी समाज की नई पीढी को अपने संस्कारों और संस्कृति से जोडे रखने और उन्हें सिंधी समाज के गौरवशाली अतित से परिचित कराने का कार्य भी राज्य सिंधी साहित्य अकादमी के जरिये किया जाता है. अकादमी का सदस्य नियुक्त होने के नाते अब वे खुद पूरे राज्य का दौरा करते हुए राज्य के अलग-अलग शहरों व जिलों में बसे सिंधी समाज बंधुओं से संपर्क करेंगे और सिंधी समाज की नई व पुरानी पीढी के बीच तालमेल व समन्वय स्थापित करते हुए सिंधी समाज की पहचान व भाषा को बनाये रखने हेतु सभी आवश्यक कदम भी उठायेंगे.
अकादमी सदस्य के तौर पर अपनी प्राथमिकताओं के बारें में बात करते हुए नानकराम नेभनानी ने बताया कि, इन दिनों सिंधी समाज की युवा पीढी आपसी बोलचाल में अपनी मातृभाषा से कुछ हद तक दूर होती जा रही है. इसे सिंधी भाषा के लिए एक तरह का खतरा भी कहा जा सकता है. ऐसे में उनकी सबसे पहली प्राथमिकता सिंधी समाज के युवाओं को अपनी मातृभाषा के साथ जोडने की होगी, ताकि सिंधी समाज की पहचान रहनेवाली सिंधी भाषा को बचाये रखा जा सके. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि, वे राज्य सिंधी साहित्य अकादमी के जरिये सिंधी समाज की युवा पीढी को स्पर्धा परीक्षाओं से जोडने का भी मानस रखते है, ताकि इन परीक्षाओं के जरिये सिंधी समाज के अधिक से अधिक युवा सरकारी सेवाओं में भी आये और अधिकारियों के तौर पर काम करे. व्यापार-व्यवसाय क्षेत्र में सिंधी समाज के योगदान को गौरवपूर्ण व अतुलनीय बताते हुए नानकराम नेभनानी ने कहा कि, व्यापार-व्यवसाय का अपना महत्व है और सरकारी नौकरी का भी अपना एक अलग महत्व है. ऐसे में अब तक व्यापार-व्यवसाय के क्षेत्र में अपना लोहा मनवा चुके सिंधी समाज ने अब सरकारी नौकरी के क्षेत्र में भी हाथ आजमाना चाहिए.

* राजनीति में निर्विवाद नेता रहे है नेभनानी
बता देें कि, किसी समय मूर्तिजापुर नगर पालिका में निर्विरोध नगराध्यक्ष निर्वाचित होनेवाले नानकराम नेभनानी मूर्तिजापुर नप में लगातार पांच बार निर्विरोध नगरसेवक भी निर्वाचित हुए थे. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर पर की थी और वर्ष 1978 में वे कांग्रेस के मूर्तिजापुर तहसील प्रमुख बने थे. इस पद पर लगातार 21 वर्षों तक काम करने के बाद उन्होंने वर्ष 1999 में कांग्रेस छोडकर राष्ट्रवादी कांग्रेस बनानेवाले शरद पवार के नेतृत्व पर भरोसा जताते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में प्रवेश कर लिया और उन्हें राकांपा का तहसील अध्यक्ष बनाया गया. तब से वे राकांपा में ही सक्रिय है, लेकिन उनके सभी राजनीतिक दलों और तमाम बडे राजनेताओं के साथ बेहद नजदिकी संबंध रहे. यही वजह है कि, हाल ही में जब राज्य की सत्ता में परिवर्तन हुआ और शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे राज्य के मुख्यमंत्री बने, तो दलगत मतभेदों को परे रखते हुए नानकराम नेभनानी ने ही सबसे पहले मंत्रालय पहुंचकर नये मुख्यमंत्री शिंदे का स्वागत किया. वहीं सीएम शिंदे ने भी किसी अन्य दल से वास्ता रखनेवाले नानकराम नेभनानी को महाराष्ट्र राज्य सिंधी साहित्य अकादमी के सदस्य पद पर नियुक्त किया, ताकि राज्य में सिंधी भाषा व संस्कृति को प्रोत्साहित किया जा सके. ज्ञात रहे कि, इस अकादमी का अध्यक्ष पद राज्य के सांस्कृतिक मंत्री के पास होता है, लेकिन चूंकि अभी राज्य मंत्रिमंडल का गठन नहीं हुआ है और सांस्कृतिक मंत्रालय का जिम्मा किसी को भी सौंपा नहीं गया है. ऐसे में वडसा-देसाईगंज से वास्ता रखनेवाले और अकादमी के सदस्य रहनेवाले जेसा मोटवानी को अकादमी का कार्याध्यक्ष नियुक्त किया गया है. साथ ही इस समय अकादमी में कुल 20 सदस्य है. जिनमें से 16 सदस्यों की नियुक्ति पिछली सरकार द्वारा की गई थी तथा नई सरकार ने अस्तित्व में आते ही चार नये सदस्यों की अकादमी में नियुक्ति की है. जिनमें नानकराम नेभनानी का भी समावेश है.

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