अमरावतीमुख्य समाचार

नई व पुरानी पीढी के बीच समन्वय स्थापित करना पहली प्राथमिकता

पूज्य पंचायत कंवरनगर के अध्यक्ष पद प्रत्याशी प्रेमचंद कुकरेजा का कथन

* पंचायत की आय के स्त्रोत को बढाने पर दिया जायेगा विशेष ध्यान
अमरावती/दि.25– पूज्य पंचायत कंवरनगर का इतिहास लगभग उतनाही पुराना है, जितना की भारत की आजादी का इतिहास है. देश स्वतंत्र होने के बाद सिंध प्रांत से अमरावती आकर बसे हमारे बुजुर्गों ने पूज्य पंचायत कंवर नगर की स्थापना की थी. ऐसे में यह पंचायत अपने साथ अपने बुजुर्गों की विरासत को साथ लेकर आगे बढ रही है. साथ ही पंचायत ने हमेशा ही बदलते दौर के साथ होनेवाले नये बदलावों को भी आत्मसात किया है. ऐसे में अपनी पुरानी परंपराओं व संस्कृतियों का जतन करने के साथ ही नई पीढी को इसके साथ जोडे रखना और नई व पुरानी पीढी के बीच समन्वय स्थापित करना पंचायत की सबसे बडी जिम्मेदारी है. जिसका अध्यक्ष होने के नाते मैं पूरी तरह से निर्वहन करूंगा. साथ ही पूज्य पंचायत कंवरनगर की आय को बढाने पर भी पूरा ध्यान दिया जायेगा, ताकि पंचायत द्वारा समाज के जरूरतमंद बंधुओं की सहायता की जा सके. इस आशय का प्रतिपादन पूज्य पंचायत कंवरनगर के अध्यक्ष पद का चुनाव लड रहे प्रेमचंद कुकरेजा द्वारा किया गया.
बता दें कि, हाल ही में पूज्य पंचायत कंवर नगर के दस प्रभागों में पंचायत सदस्यों के लिए चुनाव की प्रक्रिया पूर्ण करायी गई. जिसके उपरांत पंचायत ने 85 क्रियाशिल सदस्य निर्वाचित होकर पहुंचे. वहीं अब इन 85 नवनिर्वाचित सदस्यों द्वारा पंचायत की 13 सदस्यीय कार्यकारिणी का चयन किया जा रहा है. जिसके लिए आगामी रविवार 27 मार्च को मतदान करवाया जाना है. इस चुनाव में अध्यक्ष पद हेतु समाज के वयोवृध्द व प्रतिष्ठित नागरिक प्रेमचंद कुकरेजा ने भी नामांकन प्रस्तुत करते हुए अपना दावा पेश किया है. ऐसे में दैनिक अमरावती मंडल ने अध्यक्ष पद के प्रत्याशी प्रेमचंद कुकरेजा से विशेष तौर पर बातचीत करते हुए जानना चाहा कि, अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद उनकी प्राथमिकताएं क्या होगी और बतौर पंचायत अध्यक्ष वे सिंधी समाज की भलाई व विकास के लिए क्या सोचते है.
इस बातचीत में अध्यक्ष पद प्रत्याशी प्रेमचंद कुकरेजा ने बताया कि, सिंधी समाज का प्रतिनिधित्व करनेवाली पूज्य पंचायत का मुख्य कर्तव्य अपने कार्यक्षेत्र अंतर्गत आनेवाले परिसर के निवासी सिंधी समाज बंधुओं के सुख-दुख और जरूरतों का ख्याल रखना होता है. इसके साथ ही सिंधी समाजबंधुओं के घरेलू व आपसी मामलों या विवादों का भी पंचायत द्वारा अपने स्तर पर निपटारा किया जाता है. इन सभी कामों को समर्पित एवं निष्पक्ष भाव से पूरा करने का दायित्व पंचायत अध्यक्ष का होता है. इसके अलावा पंचायत अध्यक्ष को यह भी देखना होता है कि, पंचायत के अन्य पदाधिकारी व कार्यकारी सदस्य अपनी जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर रहे है अथवा नहीं.
इस बातचीत के दौरान प्रेमचंद कुकरेजा ने कहा कि, वस्तुत: अपनी बढती उम्र और स्वास्थ्य कारणों के चलते वे अध्यक्ष पद का चुनाव ही नहीं लडना चाहते थे. किंतु पंचायत के नवनिर्वाचित सदस्यों, विशेषकर युवा सदस्यों द्वारा उनसे अध्यक्ष पद हेतु नामांकन प्रस्तुत करने का आग्रह किया गया. जिसका सम्मान करते हुए उन्होंने अध्यक्ष पद हेतु अपना नामांकन भरा है. इसके साथ ही अध्यक्ष पद को लेकर अपनी दावेदारी के समर्थन में प्रेमचंद कुकरेजा ने कहा कि, वे विगत करीब 40 वर्षों से समाज एवं संतों की सेवा में है तथा वर्ष 1983 से भारतीय सिंधु सेवा समिती एवं शंकरनगर मोक्षधाम में बतौर पदाधिकारी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे है. इसके अलावा विगत 20 वर्षों से पूज्य पंचायत कंवरनगर के सदस्य निर्वाचित हो रहे है और इससे पहले दो बार पंचायत के सचिव भी रह चुके है. ऐसे में उनके पास पंचायत में काम करने और सभी समाजबंधुओं को साथ लेकर चलने का प्रदीर्घ अनुभव है. इस बात के मद्देनजर ही पंचायत के नवनिर्वाचित सदस्यों ने इस बार अध्यक्ष पद हेतु उनके नाम को आगे बढाया है.
अपनी जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त रहनेवाले प्रेमचंद कुकरेजा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि, यदि अध्यक्ष सहित पूरी कार्यकारिणी का चयन पंचायत सदस्यों द्वारा आम सहमति से कर लिया जाता, तो काफी बेहतर था. लेकिन अगर कार्यकारिणी के लिए चुनाव भी हो रहा है, तो इसमें कोई हर्ज नहीं है. पंचायत के इतिहास में अब तक अधिकांश बार पदाधिकारियों व कार्यकारिणी सदस्यों का चयन सर्वसम्मति से ही हुआ है, लेकिन दो बार ऐसे मौके भी आये, जब पदाधिकारियों व कार्यकारिणी सदस्यों का चयन करने हेतु चुनाव करवाये गये थे. अत: यदि इस बार भी 13 सदस्यीय कार्यकारिणी के लिए चुनाव हो रहा है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है.
इस बातचीत के दौरान प्रेमचंद कुकरेजा ने कहा कि, पूज्य पंचायत कंवरनगर द्वारा अपने कार्यक्षेत्र अंतर्गत रहनेवाले समाज बंधुओं से सालाना शुल्क के नाम पर नाममात्र राशि ली जाती है. ऐसे में पंचायत को अपना कामकाज चलाने एवं समाजहित में किये जानेवाले कामों के लिए धन की आवश्यकता होती है. इसी धन से समाज के जरूरतमंद परिवारों को भी आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है. ऐसे में आर्थिक रूप से सक्षम व संपन्न समाजबंधुओं से सहयोग लिया जाता है. जिसके लिए पंचायत को बार-बार अपनी झोली फैलानी पडती है. ऐसे में वे चाहते है कि, पंचायत के अख्तियार में रहनेवाली अचल संपत्तियों व समाज मंदिरों की व्यापक स्तर पर देखभाल व दुरूस्ती करते हुए उन्हें विभिन्न कार्य प्रसंगों के लिए किराये पर उपलब्ध कराया जाये, ताकि इससे पंचायत को कुछ अतिरिक्त आय हो सके. जिसका समाजहित में उपयोग किया जा सके. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, पंचायत के आवाहन पर सभी समाजबंधुओं का हर मौके पर पूरा सहयोग हमेशा से ही मिलता रहा है. किंतु वे चाहते है कि, समाज बंधुओं पर भी अतिरिक्त आर्थिक बोझ न पडे और पंचायत अपने स्तर पर आर्थिक रूप से कुछ सक्षम बन सके. इस हेतु तमाम आवश्यक प्रयास किये जाने बेहद जरूरी है. पूरी बातचीत के दौरान प्रेमचंद कुकरेजा ने कई बार दोहराया कि, पूज्य पंचायत का अध्यक्ष एक तरह से सभी समाज बंधुओं का प्रतिनिधित्व करता है और नई व पुरानी पीढी के बीच संवाद सेतु की भूमिका का निर्वहन करता है. इस जिम्मेदारी और भूमिका को निभाने के लिए वे अपनी ओर से पूरी तरह तैयार है और उन्हें पूरा विश्वास है कि, आगामी 27 मार्च को पंचायत सदस्यों द्वारा उन्हें अगले तीन वर्षों के लिए अध्यक्ष चुनते हुए समाज की सेवा का अवसर प्रदान किया जायेगा.

Related Articles

Back to top button