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नाबालिगों को अपराध से दूर रखना पहली प्राथमिकता

पुलिस कर्मियों को व्यसनों से दूर व मुक्त रखने विशेष अभियान

* ‘मीट द प्रेस’ में बोले एसपी अविनाश बारगल
अमरावती/दि.27– अमरावती जिला मराठी पत्रकार संघ द्वारा प्रति सप्ताह ‘मीट द प्रेस’ का आयोजन किया जाता है. जिसके तहत कल रविवार 26 दिसंबर की शाम जिला ग्रामीण पुलिस अधीक्षक अविनाश बारगल को ‘मीट द प्रेस’ हेतु आमंत्रित किया गया था. वालकट कंपाउंड परिसर स्थित मराठी पत्रकार भवन में आयोजीत ‘मीट द प्रेस’ में शामिल होते हुए एसपी अविनाश बारगल ने कहा कि, यह अमरावती जिले में उनकी चौथी पोस्टींग है और यहां पर अपने सेवाकाल का लंबा समय बिताने की वजह से उन्हें अब अमरावती ही अपना गृह जिला लगने लगा है. इस समय अपने विचारों को व्यक्त करने के साथ ही एसपी बारगल ने स्थानीय मीडिया कर्मियों द्वारा पूछे गये विभिन्न सवालों का भी खुलकर जवाब दिया. जिसके तहत उन्होंने कि, इन दिनों विभिन्न अपराधिक वारदातों में नाबालिगोें का सहभाग काफी अधिक बढता जा रहा है. ऐसे में जिला पुलिस के साईबर सेल द्वारा किशोरवयीन अपराधियों के सोशल मीडिया अकाउंटस पर कडी नजर रखी जा रही है. साथ ही उनके परिजनों से संपर्क करते हुए ऐसे नाबालिगों का समुपदेशन भी किया जाता है. इसके अलावा एसपी बारगल ने यह भी कहा कि, शराब जैसे व्यसन के अधीन रहनेवाले पुलिस कर्मचारियों को व्यसन मुक्त करने हेतु जिला पुलिस द्वारा एक अभियान चलाया जा रहा है. जिसके तहत अब तक 12 व्यसनाधिन पुलिस कर्मियों की पहचान की जा चुकी है. इनमें से 3 कर्मचारी तो ऐसे भी थे, जो लंबे समय से ड्यूटी पर हाजीर नहीं थे. इन सभी कर्मचारियों को पुणे स्थित मुक्तांगण भेजा जा रहा है. ताकि समुपदेशन व समोपचार के जरिये उन्हें व्यसनमुक्त किया जा सके.
इस अवसर पर जिला मराठी पत्रकार संघ के पदाधिकारी डॉ. चंदू सोजतिया व संजय शेंडे द्वारा एसपी अविनाश बारगल का भावपूर्ण स्वागत किया गया. साथ ही उनके समक्ष जिला मराठी पत्रकार संघ द्वारा प्रति सप्ताह आयोजीत की जानेवाली ‘मीट द प्रेस’ की संकल्पना स्पष्ट की. पश्चात एसपी अविनाश बारगल ने उपस्थित मीडिया कर्मियों के साथ मुक्त संवाद साधते हुए अपने व्यक्तिगत जीवन एवं सेवाकाल से संबंधित यादों को ताजा किया. साथ ही अपने निजी व पेशेवर जीवन से संबंधित जानकारियां देने के साथ-साथ मीडिया कर्मियों द्वारा पूछे गये सवालों का भी खुले दिल से जवाब दिया.
* पुणे विद्यापीठ से हुई पढाई, सन 96 में बने पुलिस अधिकारी
इस समय एसपी अविनाश बारगल ने बताया कि, वे मूलत: अहमदनगर जिले के निंभा गांव के निवासी है और उनकी प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा निंभा गांव में ही पूरी हुई. पश्चात वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु पुणे गये. जहां पर उन्होंने एग्रीकल्चर में बीएससी व एमएससी की पढाई पूर्ण की. इस दौरान उनके कुछ सहपाठी स्पर्धा परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे. जिन्हें देखकर उन्होंने भी एमपीएससी की परीक्षा हेतु तैयारी शुरू की. किंतु पहले दो प्रयासों में वे असफल हो गये और तीसरी बार परीक्षा देने पर उत्तीर्ण हुए. जिसके बाद वे सन 1996 में राज्य पुलिस सेवा में आ गये और नासिक में एक साल की ट्रेनिंग तथा इसके बाद एक साल का प्रोबेशन पिरियड पूरा करने के बाद उन्हें सन 1998 में एटापल्ली में एसडीपीओ की पहली पोस्टींग मिली.
* तब एके-47 साथ में लेकर सोना पडता था
एसपी अविनाश बारगल ने बताया कि, नक्सल प्रभावित गडचिरोली जिले में घने जंगलों के बीच जिला मुख्यालय से करीब 150 किमी दूर एटापल्ली अपने आप में काफी संवेदनशील और खतरनाक इलाका माना जाता है. पांच हजार की जनसंख्यावाले इस गांव का बारिश के मौसम में अन्य इलाकों से संपर्क पूरी तरह से टूट जाया करता था. साथ ही इस इलाके में चप्पे-चप्पे पर नक्सलवादियों की मौजूदगी थी. जो पुलिस को अपना सबसे बडा दुश्मन मानते है. ऐसे में इस इलाके में काम करना अपने आप में काफी चुनौतीपूर्ण होता है. इस परिसर में व्याप्त खतरे का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि, वे उस समय रात के वक्त पुलिस थाने में ही एके-47 रायफल अपने साथ लेकर सोया करते थे और उन दिनों पुलिस के जवानों को बाजार में अपनी जरूरत का सामान खरीदने हेतु भेष बदलकर जाना पडता था, ताकि नक्सलवादी उन्हेें पहचान न ले और अकेल पाकर उन पर हमला न करे. इस दौरान कई बार एनकाउंटर के प्रसंग भी आये.
* अमरावती से जुड गया गहरा नाता
एसपी अविनाश बारगल ने बताया कि एटापल्ली के बाद वे अमरावती जिले के चांदूर रेल्वे व पुणे के फलटण में एसडीपीओ रहे. पश्चात प्रमोशन मिलने पर अमरावती शहर पुलिस के डीसीपी व ग्रामीण पुलिस के एएसपी नियुक्त हुए. साथ ही नासिक में डीसीपी, नांदेड जिले में एएसपी तथा औरंगाबाद एटीएस में एसपी के तौर पर काम करने के बाद तीन माह पहले ही अमरावती जिला ग्रामीण पुलिस के एसपी नियुक्त हुए. ऐसे में कई बार अमरावती शहर व ग्रामीण पुलिस में अलग-अलग पदों पर काम करने के चलते उनका एक तरह से अमरावती जिले के साथ एक गहरा नाता जुड गया है और जब उन्हें यहां पर एसपी बनाकर भेजा गया, तो ऐसा लगा मानों वे अपने गृह जिले में ही जा रहे है. क्योंकि डीसीपी व एएसपी के तौर पर काम करने के दौरान वे अमरावती शहर वे जिले के ग्रामीण इलाकों के चप्पे-चप्पे से वाकीफ हो चुके थे.
* जातिय दंगों के दौरान अनुभव आया काम
इस समय एसपी बारगल ने बताया कि, वे जब वर्ष 2005 के दौरान चांदूर रेल्वे में एसडीपीओ के तौर पर तैनात थे, तब वरूड तहसील के शेंदूरजनाघाट में जातिय दंगा हुआ था और उन्हें हालात पर काबू पाने हेतु चांदूर रेल्वे से वरूड भेजा गया था. उस समय उन्हें स्थिति को नियंत्रित करने के दौरान जो अनुभव मिले, वे आगे चलकर काफी काम आये. ऐेसे ही अनुभवों के दम पर उन्होंने विगत 12 व 13 नवंबर को अमरावती शहर सहित जिले में पैदा हुए तनावपूर्ण हालात पर नियंत्रण पाया. चूंकि उन्हें अमरावती शहर की भौगोलिक एवं सामाजिक रचना पहले से पता थी और वे शहर पुलिस में डीसीपी के तौर पर पहले काम कर चुके थे. अत: 12 व 13 नवंबर को हालात पर वे बडी आसानी से काबू पा सके. साथ ही 14 नवंबर के बाद उन्होंने जिले के तहसील एवं ग्रामीण इलाकों में पहले ही प्रतिबंधात्मक कदम उठाते हुए हालात को अनियंत्रित नहीं होने दिया.
* कुंभ मेले का आयोजन अब तक की सबसे बडी जिम्मेदारी
इस समय अपने सेवाकाल से जुडे विभिन्न प्रसंगों को याद करते हुए एसपी अविनाश बारगल ने बताया कि, जब वे वर्ष 2005 के दौरान नासिक में डीसीपी के तौर पर तैनात थे, तब उनके झोन में 12 वर्ष के अंतराल पर आयोजीत होनेवाले कुंभ मेले का आयोजन होना था. जिसकी जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई थी. ऐसे में उन्होंने लाखो की भीड को नियंत्रित करने का नियोजन करने के साथ-साथ पूरे आयोजन के दौरान कानून व व्यवस्था की स्थिति को बनाये रखने हेतु बंदोबस्त लगाने, साधु-संतों एवं अखाडों के बीच आपसी समन्वय का काम भी उन्होंने बखूबी संभाला. जिसे वे अपने जीवन की सबसे बडी उपलब्धि और जिम्मेदारी मानते है. इसके अलावा वर्ष 2004 में उन्होंने बडी सफलतापूर्वक पुलिस प्रतियोगिता के आयोजन की भी जिम्मेदारी संभाली.
* सीपी जगन्नाथ व सीपी अमितेशकुमार रहे मार्गदर्शक
एसपी अविनाश बारगल ने बताया कि, अपने पूरे सेवाकाल के दौरान उन्हें कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ. जिनमें अमरावती के तत्कालीन पुलिस आयुक्त जगन्नाथ व डॉ. अमितेश कुमार का उन्हें सदैव मार्गदर्शन प्राप्त होता रहा. साथ ही उन्होंने बताया कि, औरंगाबाद एटीएस में गुजारे गये तीन वर्ष उनके सेवाकाल का सबसे शानदार अनुभव रहे. हालांकि कुछ मर्यादाएं रहने के चलते वे उस संदर्भ में कुछ अधिक जानकारी बयां नहीं कर सकते, लेकिन इतना जरूर कह सकते है कि, जनता पर आनेवाले कई अनजान खतरों से निपटने हेतु एटीएस काफी सतर्क रहता है तथा ऐसे खतरों को आने के पहले ही खत्म कर दिया जाता है.
* पत्नी व परिवार का रहा पूरा सहयोग
अपने पारिवारिक जीवन को लेकर बातचीत करते हुए एसपी अविनाश बारगल ने कहा कि, वर्ष 1996 में एमपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण होने के बाद वर्ष 1997 में उनका विवाह हो गया था और विवाह के तुरंत पश्चात वे ट्रेनिंग के लिए नासिक चले गये. जहां से उन्हें पहली पोस्टींग के लिए गडचिरोली भेजा गया. चूंकि उस समय नक्सल गतिविधियों की वजह से गडचिरोली को लेकर कई तरह की खबरें सामने आ रही थी और कुछ दिनों पहले ही नक्सलवादियों द्वारा किये गये विस्फोट में कुछ पुलिस कर्मी मारे गये थे. ऐसे में पत्नी सहित परिवार के सभी लोग काफी डरे-सहमे थे. इसी दौरान परिवार के लोगों को किसी ने बताया दिया कि, जो पुलिस अधिकारी गडचिरोली जाता है, वह वहां से जिंदा वापिस नहीं आता. ऐसे में परिजनों की हालात खराब हो गई थी. किंतु ऐसी तमाम विपरित स्थितियों में उनकी पत्नी ने बेहद सूझ-बुझ व समन्वय के साथ उनका साथ दिया. वहीं परिवार में भी कई ऐसे सदस्य रहे, जिन्होंने समय-समय पर उनका हौसला बढाया. पत्नी और परिवार से मिले सहयोग की वजह से वे अपने काम के प्रति पूरी तरह से समर्पित रह पाये और उन्होंने विभिन्न पदों पर पूरी निष्ठा के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाई.

*माता-पिता अपने बच्चों के दोस्त बनें
तेजी से बदलते मौजूदा दौर में अभिभावकों व बच्चों के बीच संवादहीनता की स्थिति लगातार बढ रही है. ऐसे में माता-पिता को पता ही नहीं चलता कि, उनके बच्चे किस अवस्था से गुजर रहे है और क्या कर रहे है. इसके लिए काफी हद तक सोशल मीडिया का बढता प्रभाव व इस्तेमाल भी जिम्मेदार है. कभी-कभी यह अपने आप में खतरनाक भी साबित हो सकता है, अत: यह बेहद जरूरी है कि, अभिभावकों द्वारा अपने कामकाजी व पारिवारिक जीवन के बीच संतुलन बनाये रखा जाये. साथ ही बच्चों के साथ समय बीताते हुए उनसे मित्रतापूर्ण व्यवहार भी किया जाये. इस आशय का प्रतिपादन करने के साथ ही एसपी अविनाश बारगल ने इन दिनों साईबर अपराधों सहित विभिन्न तरह की अपराधिक वारदातों में नाबालिगों के बढते सहभाग पर चिंता जताई. साथ ही कहा कि, माता-पिता ने अपने बच्चों की सभी तरह की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ ही इस बात की जानकारी भी जरूर रखनी चाहिए कि, उनके बच्चे किन लोगों के साथ उठते-बैठते है. हालांकि यह काम जासूसी की तरह नहीं करना चाहिए, बल्कि बच्चों के साथ बातचीत करते हुए उनका भरोसा जीतना चाहिए, ताकि बच्चे बाहरी लोगों के बहकावे में न आये और गलत रास्ते पर न चले.

* जिले में जल्द कार्यरत होगा महिला पुलिस स्टेशन
एसपी अविनाश बारगल ने अपराधिक वारदातों पर नियंत्रण प्राप्त करने हेतु उठाये जानेवाले प्रभावी कदमों के बारे में जानकारी देने के साथ ही कहा कि, महिलाओं की सुरक्षा उनके प्राथमिक कामों में शामिल है और जल्द ही जिला ग्रामीण पुलिस द्वारा जिले में महिला पुलिस स्टेशन शुरू करने का नियोजन किया जा रहा है. जिसके तहत जल्द ही जिले में स्वतंत्र महिला पुलिस स्टेशन अस्तित्व में आयेगा. जहां पर पुलिस निरीक्षक से लेकर सभी अधिकारी व कर्मचारी महिलाएं ही होंगी. इसके अलावा जिले के सभी पुलिस थानों में महिला कक्ष की स्थापना भी की जायेगी.

* व्यसनों से दूर रहे युवा
युवाओ में दिनोंदिन बढती व्यसनाधिनता पर अपनी चिंता जताते हुए एसपी अविनाश बारगल ने कहा कि, इन दिनों युवाओं में शराब सहित विभिन्न नशिले व मादक पदार्थों के सेवन की प्रवृत्ति बढ रही है, जो पूरी तरह गलत है. नशे की गर्त में फंसनेवाले युवा एक तरह से अपना और अपने परिवार व समाज का भविष्य बर्बाद कर रहे है. ऐसे में एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी होने के नाते वे नशिले पदार्थों की तस्करी को रोकने हेतु तो काम कर रही रहे है और तस्करों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है. वहीं युवाओं को भी जागरूक करने हेतु जिला पुलिस द्वारा विभिन्न जनजागृति अभियान चलाये जा रहे है. साथ ही साथ नशे के अधीन रहनेवाले पुलिस कर्मियों को नशे की गर्त से बाहर निकालने हेतु विशेष अभियान चलाया जा रहा है और उन्हें समुपदेशन व समोपचार हेतु पुणे स्थित मुक्तांगण भेजा जा रहा है.

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