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आजादी के बाद बेहद रोचक थे अमरावती जिले के पहले दो विधानसभा चुनाव

पहले चुनाव में जिले से चुने गये थे 12 विधायक, दूसरे में 8 विधायकों का हुआ था चयन

* पहले चुनाव के समय अमरावती जिला था मध्यप्रदेश का हिस्सा
* दूसरे चुनाव के समय जोडा गया था बॉम्बे प्रोविन्स के साथ
* सन 52 में अमरावती व दर्यापुर के लिए भी दो सदस्यीय प्रणाली
* सन 57 के चुनाव में केवल दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र हेतु दो सदस्यीय प्रणाली थी
* सन 62 के चुनाव तक दो बार हुआ था निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्गठन
* वर्ष 1960 में महाराष्ट्र राज्य के गठन के साथ ही सन 62 से एकल सदस्यीय प्रणाली हुई शुरु
अमरावती/दि.12 – आगामी 3-4 माह बाद महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव होने वाले है. जिसके लिए अभी से राजनीतिक गहमागहमी होनी शुरु हो गई है. विधानसभा चुनाव हेतु इस समय अमरावती जिले में कुल 8 निर्वाचन क्षेत्र है. जहां से चुनाव पश्चात 8 विधायक चुने जाएंगे और मुंबई स्थित राज्य विधान मंडल की विधानसभा में अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करेंगे. परंतु देश की आजादी के बाद से लेकर वर्ष 1962 में महाराष्ट्र विधानसभा हेतु हुए पहले चुनाव तक विधायकों के निर्वाचन को लेकर यहीं स्थिति और पद्धति नहीं हुआ करती थी, बल्कि देश की आजादी के बाद अगले 15 वर्षों तक निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन व विधायकों की चयन प्रक्रिया को लेकर काफी हद तक उथल-पुथल वाले हालात रहे, ऐसा कहा जा सकता है.
बता दें कि, सन 1947 में 15 अगस्त को देश आजाद हुआ था. उस समय अंग्रेजों द्वारा अमल में लायी जाती प्रोविन्स व रेसिडेंसी पद्धति अस्तित्व में थी. जिसके तहत केंद्रीय एवं अलग-अलग प्रदेश स्तर पर जनप्रतिनिधियों का चयन करते हुए अंतरिम सरकार चलाई जाती थी. वहीं देश को आजादी मिलने पश्चात 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू करते हुए भारत को गणराज्य के तौर पर गठित कर संघीय शासन व्यवस्था को अमल में लाया गया. जिसके उपरान्त सन 1952 में पहली बार विधानसभा के चुनाव कराये जाने की घोषणा की गई. उस समय अमरावती जिला यह सेंट्रल प्रोविन्स एण्ड बेरार सर्किट यानि मध्यप्रांत का हिस्सा हुआ करता था और उस समय cकी राजधानी नागपुर में हुआ करती थी. 26 मार्च 1952 को तत्कालीन मध्यप्रांत की 184 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव करवाया गया था. जिसमें से 48 सीटों पर द्विसदस्यीय प्रणाली थी. वहीं 136 सीटों से 1-1 सदस्य चुने जाने थे. यानि कुल 232 सदस्यों का चयन होना था. जिसके लिए कुल 1122 प्रत्याशियों ने चुनाव लडा था.

* पहले चुनाव में अमरावती से थी 10 सीटें, 12 विधायक चुने गये थे
– अमरावती व दर्यापुर में थी दो सदस्यीय निर्वाचन प्रणाली
उस समय अमरावती जिले में अमरावती व दर्यापुर विधानसभा क्षेत्र के लिए भी दो सदस्यीय प्रणाली अमल में लायी गई थी. वहीं शेष 8 विधानसभा क्षेत्रों से 1-1 सदस्य चुना जाना था. जिसके चलते अमरावती जिले के 10 विधानसभा क्षेत्रों से पहले चुनाव में 12 विधायक चुनकर आये थे. बता दें कि, दो सदस्यीय प्रणाली वाले विधानसभा क्षेत्रों में पहले व दूसरे स्थान पर रहने वाले प्रत्याशियों को विजेता घोषित किया जाता था. जिसके तहत सन 1952 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में अमरावती से वीर वामनराव देशमुख व बाबूलाल काशीप्रसाद तथा दर्यापुर से किसन नारायणराव खंडारे व कोकिलाबेन गावंडे विजयी हुए थे. वहीं जरुड से रामकृष्ण बेलसरे, मोर्शी से पंजाबराव सदापुरे, चांदूर रेल्वे से पुंडलिकराव चावरे, तलेगांव से बाबुराव जाधव, नांदगांव से पंजाबराव यावलीकर, अचलपुर से अमृतराव सोनार, मेलघाट से बालकृष्ण भंडारी एवं वलगांव से पुरुषोत्तम देशमुख विधायक निर्वाचित हुए थे. जिनमें से मोर्शी के पंजाबराव सदापुरे ही निर्दलीय यानि स्वतंत्र प्रत्याशी थे. वहीं शेष सभी सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी.

* सन 56 में बॉम्बे प्रोविन्स का हिस्सा बना अमरावती
इसके उपरान्त सन 1956 आते-आते देश के सभी राज्यों का पुनर्गठन किया जाने लगा. जिसके तहत मध्यभारत (मंदसौर जिले के सुनेल एन्क्लेव को छोडकर) विंध्य प्रदेश व भोपाल राज्य को मध्यप्रदेश में मिला दिया गया. साथ ही राजस्थान के कोटा जिले के सीरोंज उपविभाग को भी मध्यप्रदेश से जोडा गया. वहीं नागपुर डिवीजन में शामिल रहने वाले मराठी भाषी जिलों को बॉम्बे स्टेट के साथ जोडा गया. इन मराठी भाषी जिलों में नागपुर सहित अमरावती, अकोला, बुलढाणा, यवतमाल, वर्धा, भंडारा व चांदा का समावेश था. जिसके उपरान्त बॉम्बे स्टेट में विधानसभा सीटों की संख्या 218 हो गई, जिनमें अमरावती जिले की 7 विधानसभा सीटों का समावेश था. साथ ही अमरावती जिले में केवल दर्यापुर की आरक्षित सीट के लिए ही दो सदस्यीय प्रणाली को अस्तित्व में रखा गया था. जिसके चलते अमरावती जिले की 7 सीटों से 8 विधायक चुने गये थे. जिनमें दर्यापुर से नारायण देशमुख व किसन खंडारे अमरावती से मालतीबाई वामनराव जोशी, मेलघाट से कोकिलाबाई गावंडे, बडनेरा से पुरुषोत्तम काशीराव देशमुख, चांदूर रेल्वे से पुंडलीक बालकृष्ण चवरे, अचलपुर से माधवराव भगवंतराव पाटिल व मोर्शी से हिरीबाई आनंदराव सावल निर्वाचित हुए थे. विशेष उल्लेखनीय है कि, यह सभी प्रत्याशी कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार थे तथा पहले दोनों चुनावों में कांग्रेस ने अमरावती जिले की सभी सीटों पर जीत हासिल की थी.

* सन 1952 के चुनाव में विजयी प्रत्याशी
निर्वाचन क्षेत्र        विजेता प्रत्याशी                     प्राप्त वोट
अमरावती          वामनराव गोपालराव जोशी           26,338
अमरावती          बाबुलाल काशीप्रसाद अहेरवार      21,598
दर्यापुर             किसन नारायणराव खंडारे             32,037
दर्यापुर             कोकिलाबाई गावंडे                      31,510
वलगांव            पुरुषोत्तम काशीनाथ देशमुख         12,362
अचलपुर         अमृतराव गणपतराव सोनार            8,136
मेलघाट           बालकृष्ण मुलचंद भंडारी              8,668
नांदगांव          पंजाबराव बाबुराव यावलीकर         7,986
तलेगांव           बाबुराव जाधव                            13,294
जरुड             रामकृष्ण बेलसरे                         12,141
मोर्शी              पंजाबराव सदापुरे                       10,847
चांदूर रेल्वे       पुंडलिक बालकृष्ण चोरे                10,479

* सन 1957 के चुनाव में विजयी प्रत्याशी
निर्वाचन क्षेत्र       विजेता प्रत्याशी                     प्राप्त वोट
दर्यापुर              नारायण उत्तमराव देशमुख      43,465
दर्यापुर              किसन नारायण खंडारे            41,807
अमरावती          मालतीबाई वामनराव जोशी       22,378
मेलघाट             कोकिलाबाई जगन्नाथ गावंडे      18,448
बडनेरा             पुरुषोत्तम काशीराव देशमुख      27,344
चांदूर रेल्वे        पुंडलिक बालकृष्ण चोरे             23,021
अचलपुर          माधवराव भगवंतराव पाटिल       22,625
मोर्शी               हीराबाई आनंदराव सालव          21,540

* अंतरिम सरकार से सन 65 तक पंजाबराव देशमुख थे जिले के सांसद
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, शिक्षा महर्षि के तौर पर ख्याति प्राप्त रहने वाले डॉ. पंजाबराव उर्फ भाउसाहेब देशमुख ने आजादी के पहले से ही अंग्रेजों द्वारा गठित भारत की अंतरिम सरकार में अमरावती जिले का प्रतिनिधित्व करना शुरु कर दिया था और वे आजादी पश्चात गठित हुई कार्यवाहक सरकार में भी अमरावती जिले के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल थे तथा उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरु द्वारा कृषि मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया था. इसके उपरान्त सन 1951 में हुए पहले संसदीय आम चुनाव में डॉ. पंजाबराव देशमुख ने अमरावती संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की थी और पहली सरकार में सांसद निर्वाचित होने के उपरान्त वे देश के प्रथम कृषि मंत्री भी बने थे. इसके पश्चात डॉ. पंजाबराव देशमुख ने सन 1965 तक संसद में अमरावती जिले का प्रतिनिधित्व किया था तथा उनके नेतृत्व के तहत ही अमरावती जिले की सभी विधानसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी विजयी होते रहे.

* जोशी पति-पत्नी निर्वाचित हुए थे अमरावती के विधायक
सन 1952 में अमरावती विधानसभा क्षेत्र हेतु दो सदस्यीय प्रणाली थी. जिसमें वीर वामनराव जोशी व बाबुलाल अहेरवार विधायक निर्वाचित हुए थे. वहीं इसके बाद वर्ष 1957 मेें अमरावती विधानसभा क्षेत्र हेतु एक सदस्यीय प्रणाली अमल में लायी गई और इस चुनाव में वीर वामनराव जोशी की पत्नी मालतीताई जोशी ने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की.

* दर्यापुर से किसन खंडारे दो बार बने विधायक
दर्यापुर विधानसभा क्षेत्र में आझादी के बाद दो विधानसभा चुनावों में द्विसदस्यीय प्रणाली के तहत दो-दो विधायकों का चयन हुआ. जिसके तहत सन 1952 के चुनाव में किसन खंडारे व कोकिलाबाई गावंडे विधायक बने, वहीं सन 1957 के चुनाव में किसन खंडारे के साथ ही नारायणराव देशमुख ने जीत हासिल की. जिसके चलते दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से किसन खंडारे लगातार दो बार विधायक निर्वाचित हुए.

* दो अलग-अलग क्षेत्रों से लगातार दो बार विधायक बनी कोकिला गावंडे
सन 1952 के चुनाव में दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से द्विसदस्यीय प्रणाली के तहत विधायक निर्वाचित होने वाली कोकिलाबाई गावंडे ने सन 1957 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मेलघाट क्षेत्र से दावेदारी पेश की. जहां से उन्हें 18 हजार 848 वोट हासिल हुए. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व निर्दलीय प्रत्याशी मामराज खंडेलवाल को 10 हजार 63 वोट मिले. जिसके चलते 8 हजार से अधिक वोटों की लीड से कोकिला गावंडे विजयी हुई और दर्यापुर के बाद मेलघाट से लगातार दूसरी बार विधायक बने.

* चांदूर रेल्वे में पुंडलिक चोरे लगातार दो बार जीते
चांदूर रेल्वे विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से सन 1952 व 1957 के विधानसभा चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पुंडलिक बालकृष्ण चोरे लगातार दो बार जीत हासिल करते हुए विधायक निर्वाचित हुए और पुंडलिक चोरे ने लगातार 10 वर्ष तक चांदूर रेल्वे क्षेत्र में प्रतिनिधित्व किया.

* लगातार दो बार जीतकर दोनों बार मंत्री बने थे पी. के. देशमुख
पी. के. डी के रुप में विख्यात पुरुषोत्तम देशमुख ने भी सन 1952 व 1957 के विधानसभा चुनाव में लगातार दो बार जीत हासिल की थी. पी. के. देशमुख ने सन 1952 में अपना पहला चुनाव वलगांव सीट से लडा था तथा 4444 वोटों की लीड से जीत हासिल की थी. उस चुनाव में पी. के. देशमुख को 12,362 तथा उनके निकटतम प्रतिद्वंदी गुलाबराव बोबडे को 7,918 वोट मिले थे. वहीं पी. के. देशमुख ने सन 1957 में अपना दूसरा चुनाव बडनेरा सीट से लडा था. जहां से उन्हें 27,344 वोट मिले थे. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी सुखदेव तिडके ने 16,366 वोट हासिल किये थे तथा इस चुनाव में पी. के. देशमुख ने 10,978 वोटों की लीड हासिल करते हुए जीत प्राप्त की थी. विशेष उल्लेखनीय है कि, लगातार दो चुनाव जीतने वाले पी. के. देशमुख दोनों ही बार मंत्री बनाये गये थे. जिसके तहत सन 1952 में शिक्षा मंत्री तथा सन 1957 में कानून मंत्री का पद पी. के. देशमुख को मिला था.

* सन 1962 से वर्ष 2019 तक विधानसभा चुनाव का सफरनामा
देश की आजादी के बाद से लेकर अब तक अमरावती जिले में कुल 15 बार विधानसभा के चुनाव हो चुके है. जिसके तहत सन 1952 व 1957 में हुए चुनाव सीपी एण्ड बेरार प्रांत तथा मुंबई प्रांत की विधानसभाओं के लिए कराये गये थे. वहीं सन 1960 में महाराष्ट्र राज्य का गठन होने के बाद महाराष्ट्र विधानसभा के लिए अमरावती विधानसभा क्षेत्र में पहली बार सन 1962 में चुनाव कराया गया था और इसके बाद से लेकर अब तक महाराष्ट्र में 13 बार विधानसभा चुनाव हो चुके है. वहीं अब महाराष्ट्र विधानसभा का 14 वां चुनाव आगामी 3-4 माह में होने जा रहा है. ऐसे में दैनिक अमरावती मंडल द्वारा अमरावती जिले में अब तक हुए विधानसभा चुनावों की स्थिति व नतीजों को लेकर अपने पाठकों हेतु विशेष रुप से चुनाव दर चुनाव की खबरें विश्लेषण और आंकडों के साथ प्रकाशित की जा रही है. जिसकी पहली कडी के तहत आज के अंक में वर्ष 1962 में हुए पहले चुनाव से संबंधित खबर प्रकाशित की गई है. यह एक तरह से अमरावती विधानसभा क्षेत्र में अब तक हुए विधानसभा चुनावों का सिंहावलोकन है.

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