लोकसभा के परिणाम पर निर्भर करेगा विधायकों का भविष्य
विधानसभा के लिए अभी से मोर्चाबंदी व प्रयास शुरु
* मौजूदा विधायको सहित अन्य कई इच्छुक भी जुट गए काम पर
अमरावती/दि.02– हाल ही में लोकसभा के लिए अमरावती संसदीय क्षेत्र में मतदान कराया गया और अब 4 जून को वोटो की गिनती होने के बाद चुनावी नतीजे घोषित होंगे. ऐसे में सभी की निगाहें 4 जून को होनेवाली मतगणना पर टिकी हुई है. विशेष तौर पर अमरावती जिले के सभी मौजूदा विधायकों सहित विधानसभा का चुनाव लडने के इच्छुकों का भी पूरा ध्यान आगामी चुनावी नतीजो पर है, क्योंकि इन्हीं चुनावी नतीजो के जरिए एकतरह से मौजूदा विधायकों का राजनीतिक भविष्य तय होगा और किस विधानसभा क्षेत्र में किस प्रत्याशी को कितने वोट मिले है, इस पर पूरा गणित निर्भर करेगा. जिसके चलते विधानसभा चुनाव लडने के इच्छुक विधायकों सहित अन्य इच्छुकों द्वारा अभी से ही अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रो में हुए मतदान को ध्यान में रखकर मतगणना को लेकर कयास लगाए जा रहे है. साथ ही अभी से अपने लिए मोर्चाबंदी की जा रही है.
बता दे कि, अमरावती जिले में विधानसभा हेतु कांग्रेस के तीन व भाजपा के एक विधायक है. साथ ही चार निर्दलीय विधायक भी है. इसके अलावा भाजपा के शहराध्यक्ष प्रवीण पोटे पाटिल राज्य विधान परिषद में स्थानीय स्वायत्त निकाय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते है. कांग्रेस के तीन विधायको में सुलभा खोडके (अमरावती), एड. यशोमति ठाकुर (तिवसा) व बलवंत वानखडे (दर्यापुर) का समावेश है. वहीं भाजपा के प्रताप अडसड धामणगांव विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते है. इसके अलावा निर्दलीय विधायको में प्रहार पार्टी के बच्चू कडू (अचलपुर) व राजकुमार पटेल (मेलघाट), युवा स्वाभिमान पार्टी के रवि राणा (बडनेरा) तथा देवेंद्र भुयार (मोर्शी-वरुड) का समावेश है. अमरावती जिले के 8 विधानसभा क्षेत्रो में से मोर्शी-वरुड एवं धामणगांव रेलवे विधानसभा क्षेत्र का समावेश वर्धा लोकसभा क्षेत्र में होता है. वहीं शेष 6 विधानसभा क्षेत्र अमरावती संसदीय क्षेत्र में शामिल है. जहां पर इस बार कुल 37 प्रत्याशी मैदान में थे. जिसमें से मुख्य मुकाबला भाजपा प्रत्याशी नवनीत राणा, मविआ के कांग्रेस प्रत्याशी बलवंत वानखडे तथा प्रहार जनशक्ति पार्टी के प्रत्याशी दिनेश बूब के बीच हुआ.
वहीं मुख्य तौर पर महायुति व महाविकास आघाडी के बीच ही सीधी टक्कर होने की बात राजनीतिक जानकारो द्वारा कही जा रही है. जिसके चलते महायुति प्रत्याशी के लिए जहां एक ओर भाजपा के शहराध्यक्ष व विधायक प्रवीण पोटे पाटिल व युवा स्वाभिमान पार्टी के विधायक रवि राणा ने अपनी पूरी ताकत झोंकी. वहीं मविआ की जीत के लिए खुद कांग्रेस प्रत्याशी रहनेवाले कांग्रेस विधायक बलवंत वानखडे सहित तिवसा क्षेत्र की विधायक यशोमति ठाकुर ने काफी दम लगाया. साथ ही यह भी कहा गया है कि, प्रहार जनशक्ति पार्टी की सीटी भी अमरावती में जमकर गुंजी है. ऐसे में प्रहार पार्टी के प्रत्याशी हेतु प्रहार दोनों विधायको यानि बच्चू कडू व राजकुमार पटेल ने जमकर प्रचार किया. इसके अलावा भाजपा विधायक प्रताप अडसड और निर्दलीय विधायक देवेंद्र भुयार वर्धा संसदीय क्षेत्र के प्रत्याशियों हेतु प्रचार में व्यस्त रहे. वहीं दूसरी और अमरावती की कांग्रेस विधायक सुलभा खोडके ने अपने आप को लोकसभा चुनाव से पूरी तरह अलग रखा और वे कांग्रेस प्रत्याशी बलवंत वानखडे के प्रचार हेतु कहीं पर भी दिखाई नहीं दी.
ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि, आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अमरावती जिले के सभी मौजूदा विधायकों का राजनीतिक भविष्य क्या होगा और उनके निर्वाचन क्षेत्र में उनकी पार्टी के प्रत्याशियों को मिलनेवाले वोटो के आधार पर उनकी पार्टियों द्वारा क्या निर्णय लिया जाता है. साथ ही मौजूदा विधायको की पार्टियों सहित प्रतिस्पर्धी राजनीतिक दलो से चुनाव लडने की इच्छा रखनेवाले इच्छुको की फौज भी अच्छी-खासी है. जिनके द्वारा अभी से ही अपनी राजनीतिक मोर्चाबंदी शुरु कर दी गई है. जिसके चलते मौजूदा विधायको सहित चुनाव लडने के इच्छुकों द्वारा अब कौनसी रणनीति अमल में लाई जाती है, यह देखना काफी दिलचस्प होगा. साथ ही इसकी ओर सभी का ध्यान भी लगा हुआ है.