अमरावती

आस्था और भक्ति के साक्षी है क्षेत्र के ‘ गणपति मंदिर ‘

टिंबर डिपो , बोराला , बहिरम और वायगावं में विराजमान है श्रीगणेश

परतवाड़ा/अचलपुर – स्थानीय टिंबर डिपो रोड पर अति प्राचीन गणेश मंदिर जुड़वाशहर के लोगो के साथ ही दूरदराज के श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है .इसे प्राचीन पलटनवाड़ा का गणेश भी कहा जाता है .किसी जमाने मे अंग्रेजों की आरक्षित फ़ौज ( पलटन ) इसी जगह में निवास करती थी . तब अंग्रेजी फ़ौज में भरती भारतीय सैनिकों द्वारा यहां पूजा -अर्चना की जाती थी . पलटनवाडा का अपभ्रंश होकर ‘ परतवाड़ा ‘ नामकरण हुआ है .इस गणेश मंदिर पर चतुर्थी के दिन किसी छोटे से मेले से माहौल होता है.
  पूर्व नगराध्यक्ष रम्मू सेठ उर्फ रामकिसन अग्रवाल ने अपनी मातोश्री धन्नीबाई की स्मृति में इस मंदिर का काफी बरसो पूर्व जीर्णोद्धार कराया था. अभी वर्तमान में मिश्रा लाइन निवासी राधेश्याम रामसहाय अग्रवाल की ओर से अपनी पत्नी व पुत्री की स्मृति में मंदिर को नया विस्तार दिया गया है .राजस्थानी समाज की महिलाओं की अत्यधिक श्रद्धा डिपो गणेशजी से जुड़ी है. विघ्नहर्ता हर बाधा को दूर करते है . इस विश्वास के साथ सिर्फ गणेशोत्सव में ही नही अपितु रोजाना बड़ी संख्या में यहां भक्त दर्शन को आते रहते है .
   अचलपुर तहसील से जुड़े भगवान श्री गणेश के अन्य तीन प्राचीन मंदिर भी भक्तों की आस्था का केंद्र है .इन तीनो मंदिर मे स्थापित गणेश प्रतिमाएं इतिहास की साक्षी है .इसके साथ ही इनके प्रति भक्तों में अपार श्रद्धा देखने को मिलती है . इनमें से श्री क्षेत्र बहिरम में स्थित अष्टभुज महागणपति , बोराला के स्थित स्वयंभू गणपति और वायगाव में स्थित गणपति के दर्शन करने के लिए प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में भक्त यहां आते है .
    संपूर्ण विदर्भ में बहिरम का मेला सुख्यात है . सतपुड़ा पर्वत माला परिसर में आने वाले श्री क्षेत्र बहिरम में अष्टभुजाधारी , महागणपति विराजमान है . इस मूर्ति की ऊंचाई सात फुट है.   बताया जाता है कि भावसिंह राजा के कार्यकाल  की यह मूर्ति है. गणपतिजी की इस मूर्ति के आजु – बाजू में रिद्धि और सिद्धि विराजमान है .यहां विराजित गणपति की मूर्ति के दर्शन के लिए दूर -दूर से भक्त आते है .
शहर के वरिष्ठ पत्रकार , शिक्षक और गणपति के अनन्य भक्त अनिल कडू ने बहिरम के  गणपति मंदिर के जीर्णोद्धार में स्वयस्फूर्त सहभाग लिया था . स्थानीय व्यापारी जी.एम .अग्रवाल और अनिल कडू के प्रयासों से बहिरम गणपति का अतिउत्तम कायाकल्प किया गया है .प्रतिवर्ष गणेशोत्सव के दौरान परतवाड़ा के शिव गणेश मंदिर से भारी संख्या में श्रद्धालु पैदल चलकर बहिरम पहुंचकर , महागणपति के आगे शीश नावतें है
 अमरावती मार्ग पर स्थित पूर्णानगर में प्राचीनकालीन सिद्धेश्वर मंदिर है , जहां गणपति की चतुर्मुखी प्रतिमा है .
अमरावती के समीप स्थित वायगावं के गणपति महाभारत कालीन माने जाते है . बताया जाता है कि यहां जमीन में गणेशजी की मूर्ति मिली थी . सीताराम इंगोले के यहां मूर्ति रखने के बाद , मंदिर का निर्माण किया गया । यह मूर्ति पूर्ण एकदंत है . आजु-बाजू में रिद्धि और सिद्धि बैठी है . यहां प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने आते है .
 समीपस्थ परसापुर गाँव के पास स्थित बोराला गाँव मे स्वयंभू गणेश मंदिर है .मंदिर करीब 150 साल पुराना है .यहां स्थित गणेश प्रतिमा के सामने नित्यानंद महाराज की समाधि है .

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