फरवरी के दूसरे सप्ताह तक कंपोस्ट डिपो का कचरा होगा साफ
डंपिंग ग्राउंड मामला
* मनपा ने सुको में हलफनामा प्रस्तुत कर मांगा समय
* अब अगली सुनवाई 10 फरवरी को
अमरावती/दि. 30 – अमरावती नगरनिगम पर 47 करोड जुर्माने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान मनपा ने अपनी तरफ से हलफनामा प्रस्तुत करते हुए आगामी 10 फरवरी 2025 के पूर्व सुकली कंपोस्ट डिपो का कचरा पूरी तरह साफ कर देने का वादा किया है. इस कारण सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण की आगामी सुनवाई 10 फरवरी निश्चित की है.
बता दे कि गत 12 अगस्त को न्या. अभय ओका और न्या. अगस्टीन जॉर्ज की बेंच ने आवेदक अमरावती मनपा और प्रतिवादी गणेश अनासाने द्वारा प्रस्तुत हलफनामे का अध्ययन करने के बाद विरासत अपशिष्ट की वास्तविक मात्रा और लंबित कार्य को पूरा करने की समय सीमा के बारे में सवाल उठाया था. प्रतिवादी गणेश अनासाने के हलफनामे के मुताबिक अमरावती मनपा को लीगेसी कचरे की वास्तविक मात्रा का पता नहीं है, ऐसा कहा था.आज न्यायाधीशो ने आवेदक और प्रतिवादी द्वारा दी गई दलीले सुनने और अमरावती मनपा द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र के विवरण पर विचार कर अब अगली सुनवाई 10 फरवरी 2025 को तय की है. मनपा द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र में कहा है कि लंबित विरासत कचरा लगभग 70 हजार घनमीटर है और लगभघ 50 हजार घनमीटर कचरा एसएलएफ की खुदाई प्रक्रिया के दौरान निकलेगा, जिसे बायोमाइनिंग प्रक्रिया द्वारा 31 मार्च 2025 तक निपटाया जाएगा. इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने बिना किसी समय सीमा के विस्तार या विफलता की शर्त के साथ फरवरी 2025 के दूसरे सप्ताह तक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का समय दिया. और अगली सुनवाई 10 फरवरी तय की है.
* मुसीबत बढ़ सकती है मनपा की?
अब यह देखना है कि एसएलएफ लगभघ 30976 वर्ग मीटर है. जिसका अर्थ है कि लगभग 7.5 एकड और कचरा 6 मीटर है. जिसका उपयोग आंतरिक कचरे के निपटान के लिए 20 वर्षो तक किया जाना है. एसएलएफ प्रक्रिया से कितनी मात्रा में पुराना विरासत कचरा निकलता है और यदि विरासत कचरे की वास्तविक मात्रा 70 हजार घनमीटर से अधिक है, जिसका मनपा ने अपने आज के हलफनामे में पहले ही उल्लेख किया है. तब अमरावती मनपा के लिए बायोमाइनिंग को समयबद्ध तरीके से पूरा करना और अगली सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय का सामना करना भी मुश्किल होगा.वहीं बायोमाइनिंग कार्य के अनुपालन में हर बार विफल रहने पर 47 करोड जुर्माने की वसूली को लेकर लगी रोक भी सर्वोच्च न्यायालय हटा सकती है.