अमरावतीमहाराष्ट्र

झाडियों में अथवा कचरे में फेंक दी जाती है बच्ची

इंसानीयत खो दी या ममता चली गई?

* तीसरी अथवा चौथी बेटी होने पर उठाया जाता है घातक कदम
* 10 साल सजा का है प्रावधान
अमरावती /दि. 9– बेटा होने की लालसा में बेटी होने पर अनेक माताओं द्वारा बच्चे फेंक दिए जाते है. ऐसा करने पर न्यायालय जन्म देनेवाली माता को कडी सजा देती है. ऐसे प्रकरणों में अनैतिक संबंधो के चलते जन्मे नवजात को फेंकने पर 10 साल कारावास की सजा न्यायालय द्वारा सुनाई जाती है. फिर भी कुछ प्रकरणों में तीसरी और चौथी बच्ची होने पर संबंधित परिवार अथवा माता द्वारा ऐसे निर्णय लिए जाते है.
प्रेमप्रकरणो के चलते विवाह न होते बच्चे का जन्म होने पर ऐसे बच्चे को कहीं फेंककर मामला रफादफा करने का प्रयास किया जाता है. इस तरह कोख से जन्में बच्चे को फेंकते समय माता का भी दिल भर आता है. प्यार के नाम पर अनैतिक संबंधो के चलते जन्मे बच्चे की जिम्मेदारी स्वीकारने के लिए संबंधित व्यक्ति तैयार नहीं होता. उस समय माता निर्दयी हो जाती है. लेकिन यह गलत है. संबंधित माता पर कार्रवाई होती है. बच्चे की जिम्मेदारी स्वीकारने में उसका जन्मदाता पिता तैयार न रहा तो उसकी शिकायत पुलिस स्टेशन में की जा सकती है. जिले के ग्रामीण क्षेत्र में इस बार ऐसा कोई भी मामला उजागर नहीं हुआ है.

* स्त्री भ्रूण हत्या का प्रमाण अधिक
गर्भलिंग निदान और स्त्री भ्रूण हत्या के साथ ही नवजात फेंकने का प्रमाण भी राज्य में बढता जा रहा है. पैसेवालो में भी इस तरह के प्रकरण खुलेआम घटित हो रहे है. बेटा ही चाहिए, इस लालसा में नवजात बालिका को कचरा कुंडी अथवा गटर, नाले में फेंक दिया जाता है.

* प्रेमप्रकरण कारणीभूत
युवावस्था में हुई गलती के कारण जन्मे बालक को लावारिश अवस्था में छोडने का प्रमाण शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्र में है. इसे प्रेमप्रकरण और बदनामी का भय भी कारणभूत है.

* अत्याचार प्रकरण के सैकडों मामले
शहर आयुक्तालय में पिछले 11 माह में बलात्कार के कुल 96 मामले दर्ज है. जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 117 मामले दर्ज है.

* 10 माह में एक नवजात मिला
पिछले 10 माह में शहर आयुक्तालय में नवजात फेके जाने का एक मामला दर्ज किया गया है. अमरावती शहर अथवा जिले के ग्रामीण क्षेत्र में इस तरह के मामले प्रकाश में नहीं आए है.

* संतान प्राप्ति के लिए महंगे उपचार
संतान प्राप्ति के लिए किए जानेवाले वैद्यकीय उपचार काफी महंगे है. इतना खर्च करने के बावजूद महिला गर्भवती होगी की नहीं, एक दफा प्रसूति हुई तो जन्मा बच्चा जिंदा रहेगा अथवा नहीं, यह कोई भी शत-प्रतिशत बता नहीं सकता. सरोगसी रहे अथवा अन्य पर्याय सभी उपचार महंगे है.

* इर्विन के स्वच्छता गृह में मिला था बच्चा
जिला अस्पताल यानी इर्विन के कैज्युअल्टी विभाग के शौचालय की सीट में 26 अगस्त की रात 8 बजे के दौरान एक नवजात मृतावस्था में पाए जाने से खलबली मची थी. शौचालय की सीट में बरामद हुआ यह नवजात पुरुष लिंग का था.

* तो होता है मामला दर्ज
नवजात जिंदा बच्चे को फेका गया और फेकने के बाद उसकी मृत्यु अथवा शव को रफादफा दिखाई दिया तो रफादफा करते पाए जाने पर भी मामला दर्ज किया जाता है. इसमें सजा का प्रावधान है.
– कल्पना बारवकर, पुलिस उपायुक्त.

Back to top button