इंजीनियर्स की समस्याओं को हल करना लक्ष्य
कंसल्टिंग सिविल इंजीनियर्स असो. के अध्यक्ष मिलिंद काहाले
* अमरावती मंडल से विशेष बातचीत
अमरावती/दि.21- असोसिएशन ऑफ कंसल्टिंग सिविल इंजीनियर्स के अध्यक्ष तथा युवा ऊर्जा से भरपूर मिलिंद काहाले का कहना है कि सिविल इंजीनियर्स की सभी समस्याओं का हल करना उनके असोसिएशन का उद्देश्य है. हाल तक काफी कुछ कार्य हुआ है. पहले सहायक संचालक नगर रचना सहित अनेक क्षेत्र में सिविल अभियंताओं को दिक्कतें आती थी. वह दूर कर दी गई है. ग्रामीण क्षेत्र में भी आनेवाली समस्याओं और दिक्कतों को दूर करने का प्रयास असोसिएशन करता आया है. लगभग 10 वर्षो से असोसिएशन कार्यरत है. पहले मनीष राऊत अध्यक्ष थे. हाल ही में मिलिंद काहाले अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं. असो. के सदस्यों की संख्या 187 है.
* सभी परेशानी में दौड
काहाले बताते हैं कि असो. के सदस्य की सभी दिक्कतों में दौडकर जाने की उनकी प्रथा है. किसी को नक्शा मंजूर करवाने की तो किसी को और कोई परेशानी या दिक्कत आती. उन्हें जानकारी मिलते ही वे असो. के सदस्य के लिए तत्पर रहे हैं. समस्याओं के बारे में उन्होंने बताया कि, कभी मटेरियल को लेकर परेशानी आती है. कोई क्लाइंट फीस अदा नहीं करता, रेट की समस्या होती है. सभी से निपटने का असो. का प्रयत्न है. उसी प्रकार श्रमिकों की सेफ्टी और सिक्युरिटी के लिए भी काम करते हैं. साइट पर श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने उन्होंने काम किए हैं. सदस्यों को इस बारे में निर्देश दिए हैं.
* बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी
मिलिंद काहाले जितने विनम्र है, उतने ही बहुआयामी भी. थोडी बहुत राजनीति में दखल रखने वाले काहाले ने बताया कि, सुधीर रोहनकर, नितिन बोरेकर उनके राजकीय व सामाजिक मार्गदर्शक हैं. अनेक संस्थाओं से जुडे काहाले बिल्ड क्रॉफ्ट कंसल्टिंग इंजीनियर्स एलएलपी, आश्रय कंस्ट्रक्शन के संचालक हैं. इसी प्रकार महाराष्ट्र शासन के टाउन प्लानिंग एण्ड वेल्युवेशन के स्ट्रक्चरल ऑडिटर भी हैं. युवाओं के लिए कुछ कर गुजरने का उनका दृढ इरादा है. उनकी बिल्ड क्रॉफ्ट में विनित केडिया, प्रसाद पंत एवं प्रतीक खेडकर उनके साथ हैं.
* गुरव महासंघ युवक प्रदेशाध्यक्ष
समाज के सभी वर्गो के युवाओं को आगे बढाने का पक्का इरादा रखने वाले मिलिंद अपने समाज गुरव महासंघ युवक आघाडी के प्रदेशाध्यक्ष हैं. आश्रय फाउंडेशन के अध्यक्ष हैं. श्री शैव गुरव हितकारीणी के उपाध्यक्ष, स्मयंतक बहुउद्देशीय संस्था के उपाध्यक्ष, अ.भा. मराठी नाट्य परिषद मुंबई की अमरावती शाखा के सहसचिव, मराठी चित्रपट महामंडल के सभासद, आश्रय फिल्मस के संचालक, युवा स्वाभिमान के प्रवक्ता, इंडियन सोसायटी ऑफ स्ट्रक्चरल इंजीनियर्स मुंबई के भी सदस्य हैं. 10 से 12 देशों की यात्राएं कर चुके हैं.
*माता-पिता ने लिया है संन्यास
काहाले परिवार की अनूठी परंपरा है. सात पीढियों से यह परंपरा अबाध हैं. सेवानिवृत्ति पश्चात घर के बडे महानुभाव पंथ अपनाकर संन्यास धारण करते हैं. काहाले के पिता संजय मुख्याध्यापक के रुप में निवृत्त हुए और उन्होंने अपनी पत्नी समीधा के साथ संन्यास ले लिया है. नागदेव आश्रम में सेवा दे रहे हैं. मिलिंद की पत्नी डॉ. मधुरा और 6 वर्ष की पुत्री आरोही है. मिलिंद की सोच कबीर के दोहे ‘साई इतना दीजिए…’ जैसी है.
* बहुत बडी सोच
मिलिंद काहाले संत गुणवंत बाबा पर फिल्म बना चुके हैं. उनकी सोच उम्दा हैं. उनका मानना है कि पद, पैसा, प्रतिष्ठा नश्वर हैं. मानव को दूसरे मानव के उपयोगी होना चाहिए. जोग सर की सैनिक स्कूल में पढे मिलिंद समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पित होना चाहते हैं. कुछ रचनात्मक, कुछ कांक्रीट वर्क करने की उनकी सोच हैं. विवाह पर देने वाली साडियां वे जरुरतमंदों में वितरित कर देते हैं. ऐेसे ही तेरहवीं का प्रकार सीमित कर उन पैसों का अन्यत्र उपयोग करने की सोच मिलिंद काहाले ने बातचीत में व्यक्त की. वे चाहते हैं कि अमरावती के युवा पढ लिखकर यहीं काम काज , बिजनस, व्यवसाय करें.
* 18 जिले का दौरा
मिलिंद काहाले महाराष्ट्र सरकार के आर्थिक युवा विकास महामंडल के पदाधिकारी हैं. इस महामंडल को शसन ने 50 करोड रुपए का फंड दिया है. जो युवाओं को ऋण उपलब्ध करवाता हैं. पढाई और व्यवसाय के लिए योजनाएं हैं. इसी सिलसिले में अमरावती का यह युवा कार्यकर्ता पश्चिम महाराष्ट्र, कोकण सहित 18 जिले का दौरा कर चुका हैं.
* पढे लिखों का राजनीति में आना आवश्यक
पेशे से सिविल इंजीनियर मिलिंद काहाले का दृढ मत है कि सुशिक्षित लोगों का राजनीति में आना आवश्यक है. तभी वे मनचाहा कार्य कर सकेंगे. वैसे स्वयं मिलिंद चुनाव लड चुके हैं. बस यहीं उन्हें असफलता मिली, अन्यथा बाकी सभी क्षेत्र में उन्होंने अपने कार्यो की छाप छोडी है.