सरकार की नई शिक्षा नीति ग्रामीण विद्यार्थियों के लिए होगी गलत साबित
सरकार का जिप शाला दत्तक देकर समूह शाला शुरु करने का प्रयास
* सावित्रीबाई फुले जिप शाला बचाव अभियान समिति ने किया आरोप
अमरावती/दि.2– महाराष्ट्र सरकार जिप शाला दत्तक शाला के रुप में देकर समूह शाला शुरु करने का प्रयास कर रही है. इस नई शिक्षा नीति से ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों पर मुसीबत आ सकती है. इस कारण शाला के इस निजीकरण का विरोध करने के लिए सभी ग्राम पंचायतो ने प्रस्ताव पारित कर उसे मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री सहित जिलाधिकारी व शिक्षणाधिकारी को भेजने की मांग सावित्रीबाई फुले जिप शाला शिक्षण बचाओ समिति ने आज मराठी पत्रकार भवन में आयोजित पत्रकार परिषद में की.
समिति के अध्यक्ष रामसाहेब चव्हाण ने पत्रकार परिषद में बताया कि, महाराष्ट्र सरकार की नई शिक्षा नीति ग्रामीण विद्यार्थियों के लिए खतरनाक है. सरकार जिप शाला दत्तक शाला के रुप में लेकर समूह शाला शुरु करनेवाली है. राज्य में शासन के इस निर्णय से 15 हजार शालाएं बंद हो सकती है. इसके बावजूद पालकवर्ग खामोश बैठे है. जिप शालाएं दत्तक देकर समूह शाला होना यानी अपने अधिकार की शाला बंद कर मनुष्य के मुलभूत अधिकार को छिनने का काम है. संविधान की धारा 245 का भी अवमान है. शाला बंद होना यानी ग्रामीण विद्यार्थियों का विशेषकर बहुजन, अन्य पिछडावर्गीय, जाति व जनजाति के विद्यार्थियों के लिए खतरे की घंटी है. इस कारण इस खतरे को रोकने के लिए ग्राम पंचायत का इस संबंध में प्रस्ताव पारित कर उसे मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री, जिलाधिकारी, शिक्षणाधिकारी को भेजने का अनुरोध अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद संलग्नित बहुजन आदिवासी संगठना द्वारा गठीत सावित्रीबाई फुले जिप शाला बचाओ अभियान समिति के अध्यक्ष रामसाहेब चव्हाण ने पत्रकार परिषद के माध्यम से जिले के नागरिकों से की है. पत्रकार परिषद में मुरलीधर डाहाके, अर्जून युवनाते, विलास पवार, अशोक चव्हाण, श्रीकृष्ण पवार, रोहीत झाकर्डे, निखिल चव्हाण, शालिकराम पवार, एड. रेश्मा तायडे (डहाणे) उपस्थित थे.