-
प्रस्ताव के समर्थन व विरोध में पडे 7-7 वोट
-
सभापति रासने के कास्टिंग वोट ने बचायी नैय्या
-
करीब पांच माह के इंतजार पश्चात प्रकल्प को मिली मंजुरी
-
मंजुरी के बाद और अधिक हमलावर हुआ विपक्ष
अमरावती/दि.17 – स्थानीय सुकली वनारसी स्थित कंपोस्ट डिपो में जमा हजारों टन कचरे को हटाने हेतु शुरू किये जानेवाले बायोमायनिंग प्रकल्प को लेकर विगत लंबे समय से मनपा में गतिरोध बना हुआ था और विपक्ष द्वारा किये जाते विरोध के चलते यह विषय स्थायी समिती के सामने अटका हुआ था. ऐसे में गत रोज हुई स्थायी समिती की बैठक में बाकायदा इस विषय को लेकर सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच हाथ उठाकर मतदान करवाया गया. किंतु यहां पर भी मामला काटे की टक्करवाला रहा, जब इस प्रकल्प के प्रस्ताव के पक्ष व विपक्ष में 7-7 वोट पडे. ऐसे में सभापति रासने द्वारा अपने कास्टिंग वोट ‘विशेष मताधिकार’ का प्रयोग करते हुए इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया गया, जिसके चलते इस प्रस्ताव को स्थायी समिती की मंजुरी मिलने के साथ ही इस काम का ठेका भोपाल स्थित नैशनल फेडरेशन ऑफ फार्मर प्रोक्यूरमेंट प्रोसेसिंग एन्ड रिटेलिंग कार्पोरेटिव ऑफ इंडिया लि. (नेकॉफ) को देना मंजूर किया गया.
बता दें कि, यह मामला विगत कई माह से अधर में अटका हुआ था और 15 करोड रूपयेवाले इस प्रकल्प की लागत 18 करोड 96 लाख रूपये तक पहुंच गई थी. विपक्ष द्वारा इस बात को लेकर ऐतराज जताया जा रहा था कि, इस प्रकल्प पर मनपा द्वारा अपनी तिजोरी से निधी खर्च क्यों की जा रही है. जबकि इस प्रकल्प हेतु स्वच्छ भारत अभियान अंतर्गत केंद्र सरकार से पैसा मिलना चाहिए. किंतु मनपा के मौजूदा सत्ता पक्ष द्वारा अपने आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए तमाम तरह के जल्दबाजी कि जा रही है और आनन-फानन में इस प्रकल्प को मंजुरी देते हुए ठेकेदार कंपनी तय की गई है. वही दूसरी ओर सत्ता पक्ष का कहना रहा कि, बायोमायनिंग प्रकल्प में हो रही लेट-लतीफी को राष्ट्रीय हरीत लवाद ने काफी गंभीरता से लिया है और इसी मामले को लेकर इससे पहले महानगरपालिका को लवाद द्वारा 47 करोड रूपयों का दंड सुनाया जा चुका है. इसके खिलाफ मनपा द्वारा अपील की गई है. ऐसे में यदि जल्द से जल्द इस प्रकल्प को मंजुरी नहीं दी जाती, तो मनपा की तिजोरी पर 47 करोड रूपयों का बेवजह बोझ पड सकता था. वही बायोमायनिंग प्रकल्प के लिए लगनेवाली निधी मिलने हेतु मनपा की ओर से केंद्र सरकार को प्रस्ताव पहले ही भेजा जा चुका है. साथ ही केंद्र एवं राज्य सरकार की ओर मनपा का काफी अनुदान बकाया भी है. ऐसे में इस प्रस्ताव को मंजुरी देने से मनपा की तिजोरी पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पडनेवाला, बल्कि इसकी वजह से मनपा 47 करोड रूपयों की दंड राशि भरने से बच गई है.
गत रोज इन्हीं तमाम विषयों की पार्श्वभुमि के साथ स्थायी समिती की बैठक मनपा के स्व. सुदामकाका देशमुख स्मृति सभागृह में शुरू हुई. जिसमें सबसे पहले सभापति सचिन रासने ने अपने कक्ष में सत्ता पक्ष व विपक्ष के सदस्यों के बीच आम सहमति बनाने का प्रयास किया. किंतु इसमें असफलता मिलने के बाद स्थायी समिती की बैठक शुरू हुई. जिसमें इस प्रस्ताव पर चर्चा करनी शुरू की गई. चर्चा के दौरान सदस्य सलीम बेग ने इस विषय पर मतदान करवाये जाने की मांग रखी और प्रस्ताव के समर्थन व विरोध में हाथ उठाकर मतदान करने का निर्णय लिया गया.
बता दें कि, 16 सदस्यीय स्थायी समिती में इस समय 15 सदस्य ही है. क्योंकि स्थायी समिती सदस्य रहनेवाली युवा स्वाभिमान की पार्षद सुमती ढोके द्वारा नगरसेवक पद से इस्तीफा दे दिया गया है. वही कल की बैठक में एमआईएम पार्षद अफजल हुसैन भी उपस्थित नहीं थे. ऐसे में 14 सदस्यों के साथ यह बैठक शुरू हुई. जिसमें से भाजपा पार्षदों की संख्या 8 है. किंतु कल की बैठक में भाजपा पार्षद गोपाल धर्माले व रिटा पडोले ने अपनी ही पार्टी द्वारा लाये गये प्रस्ताव के विरोध में हाथ उठाकर मतदान करते हुए विपक्ष का साथ दिया. वही बसपा पार्षद चेतन पवार ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. ऐसे में प्रस्ताव के समर्थन और विरोध में 7-7 वोट पडे. जिससे मामला बराबरी और काटे की टक्करवाला हो गया. ऐसे समय सभापति सचिन रासने ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए प्रस्ताव के पक्ष में अपना कास्टिंग वोट डाला और इस एक वोट की वजह से यह प्रस्ताव पारित हुआ. ऐसे में माना जा सकता है कि, बसपा गुट नेता चेतन पवार के एक वोट की वजह से सत्ता पक्ष की किरकिरी होने से बच गई. अन्यथा भाजपा के दो पार्षदों द्वारा ऐन समय पर पाला बदल लेने के चलते इस मामले में विपक्ष की जीत होना तय था. ऐसे में अब सभी की निगाहें इस बात की ओर भी लगी हुई है कि, पार्टी लाईन तोडनेवाले दोनों पार्षदों के खिलाफ सत्ता पक्ष एवं शहर भाजपा द्वारा क्या कार्रवाई की जाती है.
स्थायी में झोन निहाय ठेके पर भी जोर
– अब नई प्रभाग रचना के अनुसार रहेंगे साफ-सफाई के ठेके
– निविदा प्रक्रिया का प्रस्ताव हुआ मंजुर, गेंद आमसभा के पाले में
बायोमायनिंग प्रकल्प के ठेके को मंजुरी देने के साथ-साथ स्थायी समिती की गत रोज हुई बैठक में साफ-सफाई के ठेके को लेेकर आवश्यक विचार-विमर्श किया गया और पुराने ठेकों को समयावृध्दि देने की बजाय अब नई तीन सदस्यीय प्रभाग रचना को ध्यान में रखते हुए नये सिरे से साफ-सफाई के ठेके दिये जाने के प्रस्ताव को मंजुरी दी गई है. जिससे आज होनेवाली आमसभा में ऐन समय पर रखे जानेवाले विषय के तौर पर रखा गया और इसे आमसभा में भी मंजुरी दिलाये जाने को लेकर तमाम तैयारियां सत्ता पक्ष की ओर से कर ली गई. ऐसे में साफ है कि, इससे पहले चार सदस्यीय प्रभाग पध्दति को ध्यान में रखते हुए दिये गये साफ-सफाई के प्रभागनिहाय ठेके को समयावृध्दि नहीं मिलने जा रही. बल्कि नई प्रभाग पध्दति को ध्यान में रखते हुए साफ-सफाई के ठेके नये सिरे से जारी किये जायेंगे.
चुनाव को ध्यान में रखकर विपक्ष कर रहा दिशाभुल
बायोमायनिंग प्रकल्प से संबंधित मसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मनपा स्थायी समिती सभापति सचिन रासने ने कहा कि, इससे पहले स्थायी समिती में सभी दलों के सदस्यों की सहमति से 15 करोड रूपये की लागतवाले बायोमायनिंग प्रकल्प के काम कासे मंजूरी दी गई थी और टेंडर की प्रक्रिया शुरू की गई थी. किंतु यह रकम कम रहने की वजह से कोई भी टेंडर लेने हेतु आगे नहीं आया. पश्चात सभी सदस्यों की सहमति से एक पीएमसी यानी प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कन्सलटंट की नियुक्ति की गई. जिसमें तमाम बातों का अध्ययन करते हुए इस काम की लागत करीब 19 करोड रूपये तय की. पश्चात सभी को विश्वास में लेकर इस काम की टेेंडर प्रक्रिया शुरू की गई और अब भोपाल की एक कंपनी ने 18 फीसद बिलो में इस काम का ठेका लिया है. यानी पुरानी लागत की तुलना में नई लागत को लेकर कोई विशेष वृध्दि नहीं हुई है. साथ ही मनपा द्वारा इस प्रकल्प हेतु सरकार से निधी प्राप्त करने के लिए तमाम प्रयास किये जा रहे है. साथ ही चूंकि हरीत लवाद द्वारा इस काम में हो रही देरी को ध्यान में रखते हुए मनपा पर 47 करोड का दंड लगाया गया है. अत: दंड की राशि से बचने के लिए जरूरी है कि, इस काम को जल्द से जल्द शुरू किया जाये. यह सब पता रहने के बावजूद विपक्ष द्वारा आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए आम जनता को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि विपक्ष में रहनेवाले दलों की इस समय राज्य में सत्ता है. अत: यदि उन्हें मनपा की वाकई फिक्र है, तो उन्हें चाहिए कि, वे अपनी सरकार से इस प्रकल्प के लिए मनपा को निधी दिलाये.
अपने फायदे को ध्यान में रखकर सत्ता पक्ष ने लिया निर्णय
वहीं इस संदर्भ में मनपा के नेता प्रतिपक्ष बबलू शेखावत ने कहा कि, राष्ट्रीय हरीत लवाद द्वारा मार्च 2023 तक की मियाद इस काम के लिए दी गई है. ऐसे में मनपा की सत्ता में रहनेवाले भाजपा द्वारा जल्दबाजी करते हुए आनन-फानन में इस प्रस्ताव को मंजुरी दिया जाना समझ से परे है. शेखावत के मुताबिक वे इस प्रकल्प के खिलाफ नहीं है, बल्कि उनकी यह सोच है कि, इस प्रकल्प हेतु स्वच्छ भारत अभियान के तहत केंद्र सरकार से पैसा मांगा जाना चाहिए. किंतु सत्ता पक्ष द्वारा ऐसा करने की बजाय अपने व्यक्तिगत हितों को ध्यान में रखते हुए यह पैसा मनपा की तिजोरी से खर्च करने की तैयारी कर ली गई है. जिसमें अंतत: बोझ अमरावती के आम नागरिकों पर पडेगा. जबकि यहां मनपा के पास खुद अपने वाहनों में पेट्रोल व डीजल भरने के लिए पैसे नहीं है.
हमने शहर व मनपा के हितों को ध्यान में रखकर लिया निर्णय
बायोमायनिंग प्रकल्प के संदर्भ में कांग्रेस द्वारा लगाये जा रहे आरोपों में कोई दम नहीं है. इस विषय को मनपा की सत्ता में रहते समय खुद कांग्रेस ने अपने फायदे के लिए साल-दर साल लटकाये रखा. जिसकी वजह से नौबत राष्ट्रीय हरीत लवाद द्वारा 47 करोड रूपये का दंड सुनाये जाने तक पहुंच गई. वही हमने इस मामले में फूर्ताई के साथ काम करते हुए राष्ट्रीय हरीत लवाद को हलफनामा देकर आश्वस्त किया कि, इस मामले में हम एक माह के भीतर काम शुरू कर देंगे, वहीं हमने किया. साथ ही हमने राज्य सरकार के जरिये केंद्र सरकार के पास निधी मिलने हेतु प्रस्ताव भेजने की भी पूरी तैयारी कर ली है. किंतु विपक्ष द्वारा इसे बेवजह गोलमाल बातों में उलझाकर आम जनता को भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है.
जल्दबाजी में लिया गया है मंजुरी का फैसला
इसके अलावा पूर्व महापौर व पार्षद विलास इंगोले ने इस विषय को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, मनपा की आर्थिक स्थिति पहले ही काफी डावाडौल है. ऐसे में नाहक ही मनपा की तिजोरी पर 19 करोड रूपयों का बोझ नहीं डाला जाना चाहिए और बायोमायनिंग के काम हेतु केंद्र सरकार से निधी प्राप्त की जानी चाहिए. जिसके लिए स्थानीय सांसद, पालकमंत्री व विधायक सहित सभी जनप्रतिनिधियों ने साथ मिलकर काम करना चाहिए. ऐसी मांग हम विगत लंबे समय से उठा रहे थे. किंतु मनपा की सत्ता में रहनेवाली भाजपा ने इन तमाम बातों को दरकिनार करते हुए अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए जल्दबाजी में इस प्रकल्प को मंजूरी दी. यह सीधे तौर पर आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए लिया गया फैसला है. जिसके लिए भाजपा ने पूरी ‘सेटिंग’ कर ली है.