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पालकमंत्री के सामने महायुति को संभालने की चुनौती

जिले की राजनीति पर घट्ट पकड की बीजेपी की कोशिश

* राणा ने व्यक्त की थी बावनकुले को जिम्मेदारी देने की मांग
अमरावती /दि.20– पालकमंत्री घोषित करने में भी महायुति को बडा विलंब हुआ. अमरावती जैसे मुख्यालय जिले में प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले को जिम्मेदारी दी गई है. जिससे बावनकुले के सामने जिले में महायुति के घटक दलों को संभालना एक चुनौतीभरा काम होगा, इस प्रकार का कयास राजनीतिक हलकों में लगाया जा रहा है. हालांकि बावनकुले का प्रदेशाध्यक्ष के रुप में अमरावती से अनेक दौरों और प्रचार कार्यों के कारण नाता जुड गया है. फिर भी माना जा रहा है कि, बीजेपी को विधानसभा चुनाव में मिले भारी जनसमर्थन को देखते हुए ही बावनकुले को यहां का पालकमंत्री पद दिया गया है. याद दिला दे कि, स्वयं मंत्री पद से चूक जाने के बाद सीएम फडणवीस के करीबी विधायक रवि राणा ने बावनकुले को मंत्री बनाये जाने की डिमांड पुरजोर अंदाज में उठाई थी.
जिले में बीजेपी के पांच विधायक सर्वश्री राजेश वानखडे, प्रवीण तायडे, प्रताप अडसड, केवलराम काले और उमेश यावलकर चुने गये हैं. उसी प्रकार युति के घटक दल राकांपा अजीत पवार गुट की सुलभा खोडके एवं सीएम फडणवीस के बेहद करीबी युवा स्वाभिमान के रवि राणा है. फिर भी बीजेपी ने राणा को पहले मंत्री पद से दूर रखा. अब पालकमंत्री के रुप में महायुति के घटक दलों में तालमेल रखने के लिए बावनकुले को जिम्मेदारी दी है.
किसी भी जिले के लिए पालकमंत्री पद महत्वपूर्ण माना जाता है. प्रशासकीय स्तर पर कामों में पालकमंत्री की जिम्मेदारी बडी होती है. ऐसे ही राजनीतिक पटल पर भी पालकमंत्री अपने दल का विस्तार और प्रभुत्व बढाते हैं. अमरावती में संभाग मुख्यालय होने से प्रदेशाध्यक्ष पद के व्यक्ति को बडे विचारपूर्वक पालकमंत्री बनाया गया है. जिससे देवेंद्र फडणवीस और चंद्रकांत पाटिल वाला स्तर कायम रखा गया है. बीजेपी ने जिले की सियासत पर अपनी पकड मजबूत रखने के लिए ही बावनकुले को जिम्मेदारी देने की चर्चा हो रही है.
अमरावती में पिछले दिनों बीजेपी ने पहली बार कमल निशानी पर लोकसभा चुनाव लडा था. ऐसे में पार्टी को अगली बार लोकसभा की सफलता सुनिश्चित करने के लिए शीघ्र होने वाले निकाय चुनाव में भी प्रभावी प्रदर्शन करना है. इसके लिए वित्त वर्ष खत्म होने में दो माह शेष रहते संपूर्ण विकास फंड के उपयोग का भी मामला है. निकाय चुनाव की आचार संहिता से पहले सभी फंड का यूज हो जाना चाहिए. डीपीसी का अध्यक्ष पद पालकमंत्री के पास रहता है. ऐसे में जिले के अनेक प्रकल्पों को साकार करने में बावनकुले की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी.

 

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