अमरावती

युवा कार्यकर्ताओं का परिश्रम और समर्पण हर व्यक्ति के लिए प्रेरणादायी- डॉ. प्रकाश आमटे

जाणीव प्रतिष्ठान का ‘आम्ही सारे कार्यकर्ता’ पुरस्कार वितरित

  • शेगांव नाका अभियंता भवन में हुआ आयोजन

अमरावती/दि.29 – तकनीकी विज्ञान से समाज में परिवर्तन को बढावा मिल रहा है. नंदकुमार व आरती पालवे जैसे युवा अपना दुख-दर्द भुलकर दूसरों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर चुके है. ऐसे युवा कार्यकर्ताओं का परिश्रम और समर्पण समाज के हर व्यक्ति के लिए प्रेरणादायी साबित हो रहा है. जो दूसरों के लिए जीना सिख जाता है, उसे मन की शांति प्राप्त होती है. इसलिए हो सके तो जीवन में कुछ समय दुसरों को खुशियां देने में समर्पित करने का आवाहन वरिष्ठ समाजसेवी डॉ. प्रकाश आमटे ने किया.
स्थानीय शेगांव नाका स्थित अभियंता भवन में रविवार को जाणीव प्रतिष्ठान की ओर से ‘आम्ही सारे कार्यकर्ता’ पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया. किसान नेता चंद्रकांत वानखडे की कृतज्ञता निधी से अनाथ, मतिमंद व पुनर्वास करनेवाले पलसखेड निवासी डॉ. नंदकुमार पालवे व आरती पालवे को ‘आम्ही सारे कार्यकर्ता पुरस्कार’ प्रदान किया गया. इस अवसर पर प्रमुख मार्गदर्शक के रूप में वे बोल रहे थे. कार्यक्रम में महात्मा ज्योतिबा फुले व संत गाडगे महाराज की प्रतिमा का पूजन कर उन्हें अभिवादन किया गया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ किसान नेता चंद्रकांत वानखडे ने की. कार्यक्रम में वरिष्ठ विचारक तथा संपादक श्रीपाद अपराजित, सत्कारमूर्ति डॉ. नंदकुमार पालवे व आरती पालवे प्रमुखता से उपस्थित थे. डॉ. प्रकाश आमटे ने कहा कि संत गाडगेबाबा ने अपने परिवार की चिंता नहीं की. उन्होंने स्वयं का जीवन मानवता की सेवा को समर्पित किया. समाज में विचारों की असमानता है, लेकिन उन्हें दूर करने मानवता के नाते जब हम एकत्रित होते है तो अपने आप ही समाज का आचरण बदल जाता है और कटूता दूर होती है. वरिष्ठ संपादक श्रीपाद अपराजित ने कहा कि इन्सान ‘मैं’ को छोड दें तो ‘आम्ही सारे’ की निर्मिती होती है. अहंकार छोडने के बाद ही विनम्रता जन्म लेती है. भूतकाल की गलतियों में सुधार कर वर्तमान सुधरता है. भावनाओं के आवेश में इन्सान बोलने लगता है. तब वह जो नहीं बोलना चाहिए वह बोल जाता है. जिससे समाज में द्वेष भाव पनपता है.
आज अंबानगरीवासी भाईचारे के साथ एक दूसरे का ख्याल रखते है. इससे आनेवाले समय में ‘आम्ही सारे’ प्यार की बदोलत पूरी दुनिया को जीत लेंगे, ऐसा विश्वास उन्होंने व्यक्त किया. किसान नेता चंद्रकांत वानखडे ने कहा कि सामाजिक क्षेत्र में कार्यकर्ताओं के कार्य की सराहना कर उन्हें सामाजिक क्षेत्र के लिए प्रेरित करने का प्रयास ‘आम्ही सारे कार्यकर्ता’ पुरस्कार कर रहा है. इतनी कम आयु में डॉ. नंदकिशोर व आरती पालवे 150 से अधिक मतिमंदों के माता-पिता है. उनके कार्य की निरंतर सराहना ही उन्हें आगे बढने की प्रेरणा देते है. किसी की नकल न करते हुए उन्होंने अपने बलबुते समाज की सेवा करने का प्रण लिया है. ऐसे समाज परिवर्तकोें के पीछे ‘आम्ही सारे फाउंडेशन’ की संपूर्ण टीम हमेशा खडी रहेगी. ऐसा विश्वास उन्होंने जताया. सत्कार के जवाब में डॉ. नंदकुमार पालवे ने कहा कि, मतिमंदों की सेवा करते समय कोई नियोजन नहीं किया था. जब प्रत्यक्ष उनसे बात होने लगी तो उनकी परिस्थितियोें का खुलासा हो गया.
आज की आधुनिक पारिवारिक पध्दति ही मानसिक व्याधियों को जन्म दे रही है. ऐसे मरीजों से बातचीत करने पर उनकी 80 फीसदी बिमारी ठीक होती है. 20 फीसदी बिमारी दवाईयां ठीक कर देती है. पलसखेड में होली के समय एक मानसिक रूप से बिमार महिला पर अत्याचार की घटना सामने आई. ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने लोगों को ऐसे मरीजों को सुरक्षा प्रदान करनी होगी. सेवा संकल्प में आर्थिक सहयोग देने कई लोग तैयार है, लेकिन ऐसे मरीजोें को मानसिक आधार देने ही सेवा संकल्प की पहली प्राथमिकता है. उसके लिए 10 मिनट का समय देने का आवाहन उन्होंने किया. कार्यक्रम में पालवे दम्पत्ति को एक लाख रूपये का धनादेश, शाल, स्मृतिचिन्ह व सन्मानपत्र पुरस्कार स्वरूप प्रदान किया गया.
कार्यक्रम की प्रस्तावना डॉ. आशिष लोहे ने रखी. संचालन राहुल तायडे व आभार आशिष कडू ने माना. कार्यक्रम की सफलता के लिए जाणीव प्रतिष्ठान के नितीन चौधरी, आशिष कडू, डॉ. हरिश बिंड, डॉ. मुकेश टापरे, सुधीर दरणे, डॉ. पराग सावरकर, आकाश देशमुख, दीपक तायडे, रविंद्र मोरे, अली असगर कोवैतवाला, विद्या लाहे, सोनाली देवबाले, प्रदीप पाटील, जयंत सोनोने, अन्वय जवलकर आदि ने प्रयास किये.

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