किसी भी संस्था का प्रमुख राजा से कम नहीं

स्वामी गोविंददेव गिरी महाराज का कथन

* सांस्कृतिक भवन में रोटरी क्लब ऑफ अमरावती का आयोजन
अमरावती/दि.10– समय का नियोजन कुशल नियोजन की नींव है. किसी भीस संस्था का संचालक, अध्यक्ष, प्रमुख किसी राजा के कम नहीं होता, उसे अपने समय का नियोजन राज्य, प्रजा तथा परिवार के लिए इस तरह से करना चाहिए कि सभी को महत्व मिले, ऐसी बात स्वामी गोविंददेव गिरी महाराज ने यहां के सांस्कृतिक भवन में रोटरी क्लब ऑफ अमरावती की ओर से आयोजित कार्यक्रम में कही. महाराज ने अमृत वर्षा करते हुए कहा कि नारद युधिष्ठिर संवाद के माध्यम से बड़े ही सटिक तरह से राजा के कर्तव्य तथा प्रबंधन पर बड़ा सटिक विश्लेशन किया.
महाराज ने बताया कि सिंहासन पर बैठने वाले राजा को किस तरह से अपना कार्य करना चाहिए, महाराज ने कहा कि कोई भी बडा निर्णय कभी नहीं लेना चाहिए और न ही समूह में. सबसे अच्छा निर्णय तब लिया जाता है, जब कम से कम तीन तथा अधिक से अधिक लोगों को जो उस विषय के माहिर हो, उसके साथ पहले अलग-अलग तथा उसके बाद सामूहिक रूप से चर्चा करके लिया जाना चाहिए प्रबंध शास्त्रा का शिखर महाभारत विषय पर दूसरे दिन अपनी अमृत वर्षा करते हुए गोविंद देव गिरी महाराज ने कहा कि कुशल प्रबंधन के लिए कर्तव्य निष्ठा, परिवार संचालन तथा अपन कामकाज तीनों के बीच समय सही विभाजन किया जाना जरूरी है. व्यायाम, पूजा पाठ, कार्यालय में काम, परिवार के लिए तय समय उन्हीं के लिए दिया जाता है. संत ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास आयोध्या के कोषाध्यक्ष तथा श्री कृष्ण जन्मभूमि न्यास मथुरा के उपाध्यक्ष गोविंददेव जी महाराज ने कहा कि जब तक हर कोर्स के लिए समय की विभाजन नहीं करेंगे तब तक सभी कार्य तय समय पर नहीं होगा, महाराज ने कहा कि जब हम कोई पसंदीदा काम करते हैं, तो थकते नहीं है, लेकिन जब हमें अपना रुचिकर काम नहीं मिलता तो हम बहुत जल्दी थक जाते हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि अगर हम किसी कवि को हिसाब किताब काम दे दे तो वह बहुत जल्दी बोर या थक जाएगा, प्रबंधन पर चर्चा करते हुए महाराज ने कहा कि हर किसी को हर बात नहीं बतानी चाहिए, उन्होंने कहा हमें प्रबंध की बारीकियों पर चिंतन करते समय अनुकूल, प्रतिकूल तथा उदासीन इन तीन बातो का ध्यान रखना होगा. कौन हमारे साथ सदैव अनुकूल, कौन प्रतिकूल होगा और तटस्थ होगा, इसका विवेक जरूर होना चाहिए, समाज, संस्था तथा सरकार तीनों से जुड़े लोगों में कुशल प्रबंधन होना चाहिए.
अपने प्रवचन में पहलगाम में हुए आतंकवादी घटना का जिक्र करते हुए महाराज ने कहा कि आपरेशन सिंदूर का नाम किसने प्रधानमंत्री को सुझाया यह में उनसे जब प्रत्यक्ष रूप से मिलूंगा तो पूगा उन्होंने कहा कि जिस आपरेशन सिंदूर की पूरे विश्व में प्रशंसा हो रही है उसकी निंदा करने वाले भी है. महाराज ने कहा कि किसी कार्य में सफलता में सबसे अहम योगदान प्रबंधन ही होता है. अगर प्रबंधन सही रहा तो सफलता को कोई रोक नहीं सकता.
रोटरी क्लब ऑफ अमरावती की ओर से आयोजित किए गए दो दिवसीय आयोजन के दूसरे दिन के कार्यक्रम में आयोजन समिति के अध्यक्ष रोटे डा नरेंद्र राठी, सीए आशीष हरकुट, सुशील लढा. नीलेश परतानी, प्रशांत करवा, सारंग राऊत, नंदकिशोर राठी, राजेश मित्तल, नितीन गुप्ता, ब्रजेश सादानी, सुमित खंडेलवाल, राम राठी, प्रशांत मोंढे, ऋषिकेश नांगलकर, उदय कालमेघ, आशीष वाकोडे, डा मुरली बुब, डा मंजूश्री बुब अनिल अग्रवाल, उर्मिला कलंत्री, सुदर्शन चोरडिया, भगवान वैद्य प्रखर, गोकुलेश दम्माणी, पूजा दम्माणी, नीलेख दम्माणी, राजेश डागा, किशोर गट्टानी, अनुपमा लड्ढा, ऋषि अग्रवाल, वसंत मालपानी समेत अन्य लोग उपस्थित थे. आयोजन समिति की ओर से जिन्होंने महाराज जी का सत्कार किया उनमें प्रशांत करवा, सारंग राऊत, नितीन गुप्ता, ब्रजेश सादानी, ऋषिकेश नागलकर, उदय कालमेघ, हेमंत चांडक, नीलेश परतानी, अमेय वैद्य तथा पंकज कावरे, सत्कार कार्यक्रम संचालन नीलेश परतानी ने किया.

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