अमरावती

भागवत कथा के श्रवण मात्र से मनुष्य के पापों का होता है नाश : सुश्री रामप्रियाश्री

कल्याण नगर में श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ सप्ताह, संत बालयोगी गजानन बाबा का मनाया जा रहा जन्मोत्सव

अमरावती / दि. २६ -कल्याण नगर संत बालयोगी गजानन बाबा संस्थान की ओर से बाबा के 62 वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ सप्ताह का आयोजन किया गया है. कथा के सातवें दिन सुदामा चरित्र तथा कथा विराम किया गया. कथा प्रस्तुति करते हुए सुश्री रामप्रियाश्री ने कहा कि, श्रीमद् भागवत कथा सभी ग्रंथों का सार है. भागवत कथा के श्रवण मात्र से मनुष्य के पापों का नाश होता है. इसलिए श्रीमद् भागवत का बार- बार श्रवण करना चाहिए. मनुष्य कलियुग में भी सतयुग व द्वापरयुग का जीवन व्यतित कर सकता है. लेकिन मनुष्य अपने मन के ईष्या भाव से कलियुग का रोगी बन जाता है, तब किसी की सफलता हमारे रातों की नींद उड़ा देती है. अगर मनुष्य अपने जीवन में भागवत कथा का श्रवण कर ले, तो आप इस बीमारी से मुक्त हो सकते हैं. भागवत कथा मन को जगाता है. मनुष्य को निरंतर सतयुग में रहने की प्रेरणा देते हैं. निरंतर श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करने से सतयुग व द्वापरयुग आयेगा. साथ ही मनुष्य के जीवन में चमत्कारों की अनुभूति होगी. भगवान भोले के साथ भोले बनकर रहते हैं. सरल के साथ सरल रहते हैं. इसलिए सादगीपूर्ण जीवन व्यतीत कर भगवान को अपना बनायें. सुदामा की कथा सुनाते हुए उन्होंने आगे कहा कि, सुदामा की मित्रता निष्काम थी. उन्होंने मित्रता के संबंध लालच देकर नहीं बनाई. उनकी भक्ति में किसी प्रकार का लालच नहीं था. अब यह भक्ति दिखाई नहीं देती. लोग कलियुग में दिखावे के लिए, लोभ, भय की भक्ति को अपनाते हैं. भगवान की भक्ति में भय नहीं होना चाहिए. सुदामा गरीब ब्राम्हण थे. पर उन्होंने तीन घर के अलावा चौथे घर से भिक्षा नहीं ली. जो मिलता उसे मिल-बांटकर खाते. जिस दिन भिक्षा नहीं मिलती उस दिन भगवान को धन्यवाद देते. मनुष्य हमेशा शर्तोर्ं के साथ जीवन यापन करता है. जिसके कारण वह विपरीत परिस्थितियों भगवान को दोष देने लगता है. हम जिस परिस्थिति में हैं, उसमें धन्यता मानें, जितना मिल रहा है, उसमें संतुष्ट होने का प्रयास करें, तो जीवन में दुख के बादल कभी कभी नहीं मंडरायेंगे. ‘इक तू ही मेरा जग बेगाना, कन्हैया मेरी लाज रखना…, पांडुरंग बोला चला पंढरीला, दु:ख सारे दूर करी तोची दिनदयाला…, कर्म प्रधान विश्व करि राखा, जो जस करई सो तस फल चाखा…’ जैसे भजन तथा गोस्वामी जी की पंक्तियों के माध्यम से कथा का सार प्रस्तुत कर कथा की समाप्ति की. श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ के सातवें दिन पूर्व पार्षद प्रशांत वानखडे, प्रदीप हिवसे, बाबा राऊत, दयालनाथ मिश्रा, रमेश काठोले व राजकन्या काठोले, हरिहर इंगोले, विमल इंगोले, चंदन लोंढे, भैया आवारे व सुनीता आवारे, मोहित देशमुख व आसावरी देशमुख, गुल्ल्ू गुप्ता, डॉ. नंदकिशोर नावंदर, नीलेश शिरभाते, राहुल पवार, संजय गेडाम, राहुल खंडार, केतन मसतकर, नीलेश व अनीता सोनकुसरे, सारिका सोनकुसरे, शंकरराव पांडे, प्रदीप देशमुख आदि की विशेष उपस्थिति रही. सभी के हाथों संत बालयोगी गजानन बाबा की आरती की गई. तथा सभी श्रद्धालुओं को प्रसादी व फलाहार का वितरण किया गया. इस अवसर पर संस्थान के भक्तगण बड़ी संख्या में उपस्थित थे.

पालकी का किया पूजन
शाम के समय परिसर से संत बालयोगी गजानन बाबा के सालोरा तसरे स्थित पालकी का स्वागत, पूजन कर परिसर में पालकी ने भ्रमण किया. इस अवसर पर श्री के माता-पिता की प्रतिमा का पूजन तथा महाप्रसाद का वितरण किया गया. सप्ताह दौरान रोजाना सुबह 6 बजे रामधुन, सामुदायिक ध्यान व आरती, सुबह 7 बजे समर्थ संत गजानन महाराज शेगांव की ओर से विमल इंगोले द्वारा ग्रंथ पारायण, दोपहर 12 बजे से महिलाओं का भजन, रात 8.30 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जा रहे है.

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