अमरावती

हेल्पलाईन की पहल अच्छी, लेकिन इससे प्रशासन की राह में अडंगा न पैदा हो

राकांपा प्रदेश उपाध्यक्ष संजय खोडके का कथन

प्रतिनिधि/दि.१८ अमरावती -कोरोना के खतरे को देखते हुए २२ मार्च को पहले जनता कफ्र्यू का आवाहन किया गया था. जिसका लोगों ने बेहद कडाई के साथ पालन किया. इसके बाद २३ व २४ मार्च से लॉकडाउन की शुरूआत हुई और आज पांच माह से लॉकडाउनवाले हालात चले आ रहे है. जिसमें अब वक्त की जरूरत को देखते हुए अनलॉक के तहत कुछ ढील व छूट दी गई है. इस दौरान पिछले पांच माह से जिला व मनपा प्रशासन सहित पुलिस व स्वास्थ विभाग दिन-रात काम कर रहे है, वहीं शहर सहित जिले में सामाजिक व स्वयंसेवी संस्थाओं सहित नागरिकों के छोटे-छोटे समूहों ने भी इस आपदा से निपटने में बडे शानदार ढंग से काम किया है. जिसके दम पर अमरावती में हालात काफी नियंत्रण में है, ऐसा कहा जा सकता है. साथ ही इस समय हम कोरोना की लडाई के अंतिम चरण में है और हमारा प्रयास यह होना चाहिए कि, हम जल्द से जल्द हालात को सामान्य करने की दिशा में आगे बढे. ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि, प्रशासन का मनोबल बनाये रखा जाये और प्रशासन का पूरी तरह से साथ दिया जाये, क्योंकि यदि विगत पांच माह से दिन-रात काम कर रहे प्रशासन का मनोबल टूट गया, तो हालात काफी मुश्किलोंवाले हो सकते है. इस आशय का प्रतिपादन राकांपा प्रदेश उपाध्यक्ष संजय खोडके ने किया. बता दें कि, विगत कई दिनों से स्थानीय श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल की हेल्पलाईन द्वारा शहर में कोरोना के खिलाफ जनजागृति अभियान चलाने मोहल्ला समितियों के गठन की प्रक्रिया शुरू की है. जिसे लेकर प्रशासन एवं मनपा पदाधिकारियों के साथ हेल्पलाईन पदाधिकारियों की बैठकों का दौर लगातार जारी है. गत रोज हव्याप्रमं के ऑडिटोरियम हॉल में जिले की सांसद व सभी विधायकों सहित शहर के सभी सरकारी व निजी डॉक्टरों के साथ बैठक आयोजीत की गई थी. जिसमें राकांपा प्रदेश उपाध्यक्ष संजय खोडके ने अन्य लोगों की तुलना में लीक से हटकर अपने विचार रखे थे. इस संदर्भ में जानकारी हेतु संपर्क किये जाने पर संजय खोडके ने कहा कि, हव्याप्रमं की हेल्पलाईन द्वारा की जा रही पहल अपने आप में अच्छी है, लेकिन इस पहल का यह अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए कि, अब तक प्रशासन एवं मनपा पदाधिकारियों ने कुछ नहीं किया, क्योंकि प्रशासन व मनपा पदाधिकारियों के साथ-साथ शहर की कई सामाजिक व स्वयंसेवी संस्थाओं सहित नागरिकों के छोटे-छोटे समूहों ने विगत पांच माह के दौरान जो काम किया है, वह अपने आप में बेहद शानदार व अतुलनीय है. इसके साथ ही हेल्पलाईन द्वारा की जा रही पहल प्रशासन के लिए सहायक साबित होनी चाहिये और कोरोना के खिलाफ काम कर रहे प्रशासन की राह में कोई अडंगा पैदा नहीं होना चाहिये. खोडके के मुताबिक विगत पांच माह से दिन-रात काम कर रहे प्रशासन से जुडे लोग भी अब थकने लगे है. ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि, हम उन सभी लोगों का मनोबल बनाये रखे.

अमरावती ने पेश किया बेहतरीन उदाहरण इस बातचीत के दौरान संजय खोडके ने कहा कि, जिस समय कोरोना को लेकर बेहद कडा लॉकडाउन जारी था और हर ओर अफरातफरी व भय का माहौल था. उस समय अमरावती शहर सहित जिले में कोई भी जरूरतमंद एवं गरीब व्यक्ति सहित परप्रांतिय व्यक्ति भूखा नहीं सोया. अमरावती की जनता सहित प्रशासन ने हर एक जरूरतमंद के भोजन व निवास की व्यवस्था की. साथ ही आवागमन के साधन की सुविधा उपलब्ध होने के बाद परप्रांतिय लोगोें को यहां से सुरक्षित ढंग से उनके गृहराज्य व गृहनगर भेजा गया. खोडके के मुताबिक अप्रैल व मई माह के दौरान शहर में जगह-जगह पर तैयार भोजन के पैकेट वितरित करने का काम कई संस्थाओं व नागरिक समूहों ने स्वयंस्फूर्त तौर पर किया. साथ ही कई जागरूक नागरिकों ने अपने-अपने रिहायशी क्षेत्रों में रहनेवाले लोगोें के बीच कोरोना को लेकर अपने स्तर पर जनजागृति करने का भी काम किया. जिसकी वजह से अमरावती में हालात काफी नियंत्रित रहे.

टेस्टिंग बढने से बढ रहे कोरोना के मामले इस समय शहर में कोरोना संक्रमित मरीजों की लगातार बढती संख्या की ओर ध्यान दिलाये जाने पर राकांपा प्रदेश उपाध्यक्ष संजय खोडके ने कहा कि, अब पहले की तुलना में कोरोना टेस्टींग की संख्या बढा दी गई है और शहर में दो रैपीड एन्टीजन टेस्ट सेंटर भी शुरू कर दिये गये है. जाहीर सी बात है कि, जब टेस्टिंग की संख्या बढायी जायेगी, तो तुलनात्मक रूप से संक्रमितों की संख्या में भी इजाफा होगा, लेकिन यहां यह नहीं भूलना चाहिए कि, टेस्टिंग की संख्या को बढाना समाज हित में आवश्यक है. इससे समय रहते कोरोना संक्रमितों की जानकारी सामने आ रही है और ऐसे मरीजों का समय पर इलाज शुरू किया जा रहा है. संजय खोडके ने बताया कि, इस समय रिकवरी को लेकर अमरावती शहर सहित जिले की स्थिति समूचे महाराष्ट्र में बेहतरीन है. महाराष्ट्र में इस समय कोरोना संक्रमित मरीजों के ठीक होने का प्रमाण ५४ फीसदी के आसपास है. वहीं अमरावती शहर सहित जिले का रिकवरी रेट ७० फीसदी के आसपास है, वहीं अमरावती में कोरोना के चलते होनेवाली मौतों का प्रमाण ३.२६ प्रतिशत के आसपास है. जिसके चलते देश व दूनिया के हालात को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि, अमरावती में स्थिति काफी नियंत्रण में है और प्रशासन द्वारा हालात को नियंत्रित रखने के लिए बेहतरीन ढंग से काम किया जा रहा है.

दो दिन का जनता कफ्र्यू है आवश्यक इस समय प्रशासन द्वारा प्रति शनिवार व रविवार लगाये जानेवाले जनता कफ्र्यू के संदर्भ में पूछे गये सवाल पर संजय खोडके ने कहा कि, जब से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई है, तब से लोगों का अपने घरों से बाहर निकलने का प्रमाण बढ गया है और इसके बाद से ही शहर में कोरोना के संक्रमण का प्रमाण भी बढा है. ऐसे में कोरोना संक्रमण की चेन को तोडने के लिए प्रति सप्ताह दो दिनों का लॉकडाउन एक कारगर उपाय साबित हो सकता है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, अब दोबारा लंबी अवधिवाला लॉकडाउन लगाना संभव नहीं और ऐसे लंबी अवधिवाले लॉकडाउन को स्थायी पर्याय भी नहीं कहा जा सकता. साथ ही उन्होंने व्यापारियों की ओर से पी-१ व पी-२ की पध्दति को खत्म करने के संदर्भ में की जा रही मांग का समर्थन करते हुए कहा कि, प्रशासन द्वारा शनिवार व रविवार को लॉकडाउन लगाये जाने की वजह से पी-१ व पी-२ की पध्दति के चलते हर हफ्ते में कुछ व्यापारियों को दो दिन व कुछ को तीन दिन ही व्यवसाय करने का अवसर मिल रहा है. ऐसे में तो काम वाकई नहीं चल सकता. संजय खोडके ने इस विषय को विश्लेषणात्मक ढंग से समझाते हुए कहा कि, अमरावती शहर में करीब १५ हजार गुमास्ता लाईसेंसधारक प्रतिष्ठान है तथा करीब १०-१५ हजार छोटी-मोटी अन्य आस्थापनाएं भी होगी. इसी तरह १० कर्मचारियों से अधिक लोगों के साथ काम करनेवाले प्रतिष्ठान लेबर एक्ट में पंजीकृत हैं, वहीं करीब २० से २५ हजार प्रतिष्ठान ऐसे है, जहां काम करनेवाले लोगों की संख्या ५ से १० के बीच और यह प्रतिष्ठान लेबर एक्ट में पंजीकृत नहीं है. ऐसे में एक अनुमान के मुताबिक इन सभी प्रतिष्ठानों में औसतन करीब १ लाख लोग काम करते है और हर व्यक्ति के पीछे औसतन ३ से ४ लोगोें का परिवार निर्भर करता है. अत: यह मामला केवल व्यापारियोें को छूट देने का नहीं है, बल्कि तीन से चार लाख लोगों की रोजी-रोटी से जुडा मसला है. अत: इस पर सकारात्मक ढंग से विचार-विमर्श कर समस्या का समाधान खोजा जाना चाहिए.

शहर सहित जिले के राशन दूकानदार भी अभिनंदन के पात्र इस बातचीत में राकांपा प्रदेश उपाध्यक्ष संजय खोडके ने शहर सहित जिले के राशन दूकानदारों का अभिनंदन करते हुए कहा कि, अमूमन लोगबाग सरकारी राशन दुकानों और राशन दुकानदारों को लेकर कई तरह की अनर्गल बातें करते है. कींतु यहां यह नहीं भूलना चाहिए कि, कोरोना काल के दौरान गरीब एवं जरूरतमंद लोगों सहित परप्रांतिय लोगोें के लिए राशन दूकानदार किसी देवदूत से कम नहीं रहे. संजय खोडके के मुताबिक जिस समय बेहद कडा लॉकडाउन चल रहा था, उस समय राशन दूकानदारों द्वारा राशनकार्ड धारकों को सरकारी अनाज वितरित करने के साथ-साथ जिन लोगों के पास राशन कार्ड नहीं है, उन्हें भी अपनी जेब से पैसा खर्च कर राशन एवं अनाज की सहायता उपलब्ध करायी गयी. साथ ही कई राशन दूकानदारों ने जरूरतमंद लोगोें, विशेषकर अपने गांव जाने के इच्छूक परप्रांतिय लोगोें को रूपये-पैसे देते हुए आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करायी. इस बात की अनदेखी नहीं की जानी चाहिये.

शिकायतों के बदले सुझाव देने की परंपरा बने इस बातचीत के दौरान संजय खोडके ने कहा कि, प्रशासन के लिए भी कोरोना के चलते उपजे हालात एकदम नई परिस्थिति है. इसके बावजूद प्रशासन से जुडे लोग हर तरह का खतरा उठाते हुए कोरोना के खिलाफ लडाई में हिस्सा ले रहे है. काम करते वक्त प्रशासन से जुडे लोगों से कोई चूक या गलती होना संभव है. कींतु ऐसे समय शिकायतें करने की बजाय उन गलतियों को दूर करने हेतु प्रशासन को सुझाव दिये जा सकते है. यदि हम हमेशा ही शिकायतों का पुलीदा लेकर प्रशासन पर चढे रहेंगे, तो इससे प्रशासनिक अधिकारियों का मनोबल टूट सकता है. वहीं अगर हम प्रशासन के साथ कदमताल करते हुए उन्हें बेहतरीन काम करने के संदर्भ में सुझाव देते है, तो इससे न केवल प्रशासनिक अधिकारियों का मनोबल बना रहेगा, बल्कि वे अधिक बेहतरीन कार्य प्रदर्शन करेंगे. ऐसे में हव्याप्रमं द्वारा मोहल्ला समितियोें के गठन को लेकर शुरू की गई पहल को शानदार कहा जा सकता है. कींतु यह मोहल्ला समितियां प्रशासन के लिए सहायका साबित होनी चाहिये और इस पहल के चलते प्रशासन की राह अथवा कामकाज में कोई अडंगा पैदा नहीं होना चाहिये.

कोविड अस्पताल में लगातार सुधार जारी विगत कुछ दिनों से सरकारी कोविड अस्पताल में असुविधाओं व अव्यवस्था को लेकर काफी होहल्ला मचा हुआ है. इस ओर ध्यान दिलाये जाने पर संजय खोडके ने कहा कि, कोविड अस्पताल शुरू करने के बाद शुरूआती दौर में भोजन की गुणवत्ता को लेकर कुछ सवाल उठाये गये थे. जिसका तुरंत समाधान किया गया. इसके साथ ही बीच में एक बार पानी को लेकर शिकायतें मिली थी. इसे भी दुरूस्त करने करने का काम किया गया. इस समय कोविड अस्पताल में भरती मरीजों को सही समय पर गुणवत्ता पूर्ण चाय-नाश्ता व भोजन दिया जा रहा है. साथ ही वहां पर तमाम आवश्यक मुलभूत सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी है. इसके अलावा यहां पर मरीजों के इलाज के साथ-साथ उन्हें आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु स्वास्थ विभाग सहित स्थानीय प्रशासन द्वारा पूरा समय काम किया जा रहा है. ऐसे में हमेशा ही प्रशासन के कामों में खामियां और मीनमेख निकालने का कोई औचित्य नहीं. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि, प्रशासन के विभिन्न घटकों से जुडे लोग विगत पांच माह से लगातार काम कर रहे है. हमें चाहिए कि, हम खुद को एक बार उनके स्थान पर रखकर देखें, और सोचे की यदि हमें पांच माह तक लगातार यहीें काम करना पडता, तो हमारी हालत क्या हुई होती.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button