पर्यटन नगरी चिखलदरा का ऐतिहासिक अंबा मंदिर अत्यंत प्राचीन है
अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने की थी मां अंबा की उपासना
परतवाडा/चिखलदरा/दि.२२ – विदर्भ के नंदनवन के नाम से विख्यात चिखलदरा पर्यटन नगरी में स्थित मां अंबा का ऐतिहासिक मंदिर आदिवासियों की श्रद्धा का केंद्र है. पौराणिक कथाओं के अनुसार पहाडों के बीच गुफा में स्थित मां अंबा की मूर्ति स्वयंभू है. ५ हजार वर्ष पूर्व अपने वनवास के दौरान पांडवों ने एक वर्ष अज्ञातवास इसी सातपुडा पहाड पर गुजारा था. तब पांडव इस मंदिर में पूजा के लिए आते थे. १९१९ वे शतक तक मां अंबा की मूर्ति अचानक लुप्त होने लगी. जिसमें भाविक भक्तों ने मां अंबा से प्रार्थना की और पुन: दर्शन देने की विनती की. मां अंबा ने भक्तों की पुकार सुनकर साक्षात्कार दिया और पुन: प्राणप्रतिष्ठा करने के आदेश दिए. भाविक भक्तों द्वारा पुन: मंदिर में मां अंबा माता की मूर्ति स्थापित की गई.
सातपुडा पर्वत की संकीर्ण गुफा में स्थित मंदिर का द्वार पूर्व दिशा में स्थित है, और यह अत्यंत संकरा है. गर्भागृह में जाने के लिए काफी झुककर जाना पडता है. गर्भागृह परिसर में १२ महीने पानी टपकता रहता है. पानी कहां से आता है किसी को पता नहीं. मंदिर के गर्भागृह में दर्शन हेतु जाने के लिए भाविकों की परेशानियों को देखकर उत्तमराव ईटकीकर व सहयोगियों ने चंदा कर गुफा को विस्तारित किया जिससे भाविक भक्तों को मां अंबा के दर्शन अब सुलभ हुए. गुफा में स्थित पहले मां अंबे की अत्यंत प्राचीन मूर्ति पाषाण की थी. १९३५-३६ में हिंदू महासभा के पाचलेगांवकर के हस्ते उसी स्थान पर संगमरमर की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा की गई.
बॉक्स
-
मेलघाट सह मध्यप्रदेश के आदिवासियों का भी है श्रद्धास्थान
पर्यटन नगरी चिखलदरा में स्थित अंबादेवी का मंदिर मेलघाट के आदिवासियों सहित मध्यप्रदेश के आदिवासियों का भी श्रद्धास्थान है. यहां पर बडी संख्या में श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण होने के पश्चायत मूर्गे व बकरे की बली देते है, और परंपरागत पूजा पाठ करते है.
बॉक्स
-
नवरात्रौत्सव पर लगता है भाविकों का तांता
शारदीय व चैत्र नवरात्री के अवसर पर दर्शन के लिए यहां पर भक्तों का तांता लगाता है. शारदीय नवरात्र की अपेक्षा चैत्र नवरात्र में ज्यादा संख्या में भाविकों की भीड यहां होती है. चैत्र नवरात्र के दरमियान यहां जत्रा का भी आयोजन होता है. इस साल कोरोना के चलते शासन के आदेश अनुसार मंदिर बंद है किंतु देवी के दर्शन के लिए बाहर से ही मंदिर संस्थान द्वारा व्यवस्था करवायी गई है.