बाघों के साम्राज्य पर बहेलिया टोली की नजर
व्याघ्र प्रकल्पों हेतु गर्मी का मौसम रहेगा चुनौतीपूर्ण

* राष्ट्रीय व्याघ्र प्राधिकरण की ओर से अलर्ट जारी
अमरावती /दि.8– चंद्रपुर जिले के राजूरा जंगल में बहेलिया टोली के सदस्यों द्वारा बाघ की शिकार किये जाने की घटना के बाद देशभर के 9 राज्यों में स्थित व्याघ्र प्रकल्पों में सतर्कता की चेतावनी जारी कर दी गई है. गर्मी के मौसम दौरान जलस्त्रोतों की कमी के चलते बाघों की गतिविधि किसी एक स्थान पर केंद्रीत हो जाती है. जिसका फायदा बहेलिया टोली द्वारा उठाया जा सकता है. ऐसी संभावना वनविभाग द्वारा व्यक्त की गई है. विगत सालभर के दौरान मध्य प्रदेश की बहेलिया टोली द्वारा बाघों को निशाना बनाये जाने की घटनाओं को देखते हुए अलर्ट मिलने के बाद अब गर्मी का सीजन व्याघ्र प्रकल्पों हेतु काफी चुनौतिपूर्ण रहेगा.
देशभर के 9 राज्यों में बाघों के शिकार का खतरा पैदा हो जाने का संदेश केंद्रीय वन्यजीव अपराध अन्वेशन संस्था द्वारा जारी किया गया था. जिसके चलते महाराष्ट, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, छत्तीसगढ, झारखंड व आसाम राज्यों के व्याघ्र प्रकल्पों के बाघ बहेलिया टोली के रडार पर रहने के चलते सभी राज्यों का वन महकमा अलर्ट हो गया है. इस समय गर्मी का सीजन शुरु हो जाने के चलते बाघों के शिकार की संभावना बढ गई है. महाराष्ट्र के पेंच, नवेगांव-नागझिरा, ताडोबा, चंद्रपुर व टिपेश्वर व्याघ्र प्रकल्पों के बाघ इस समय बहेलिया टोली के टारगेट पर है. करीब 15 दिन पहले बहेलिया टोली ने मेलघाट सारिसका व पन्ना व्याघ्र प्रकल्प के बाघों पर अपना ध्यान केंद्रीत किया था. मेलघाट के जारिदा वन परिक्षेत्र में हुए बाघ की शिकार में बहेलिया टोली का हाथ रहने की बात स्पष्ट हुई थी. खास बात यह है कि, इस टोली की दूसरी पीडी भी बाघ के शिकार मामलों में अब तरबेज हो गई है.
* आग और शिकार
– तेंदूपत्ते तोडने का सीजन शुरु हो जाने के चलते बडे पैमाने पर स्थानीय नागरिक जंगलों में घुसते है और कई बार जंगलों में शिकार के लिए आग भी लगाई जाती है. इस बात को ध्यान में रखते हुए गर्मी के मौसम दौरान बहेलिया टोली के सदस्य भी आदिवासी बस्तियों में आकर रहते है और बाघों का लोकेशन हासिल करते है. साथ ही मौका मिलते ही बाघों का शिकार भी करते है.
– मध्य प्रदेश के शिवणी और कटनी बहेलिया टोली के प्रमुख केंद्र है. जहां से बाघों के चमडे सहित अन्य अवयवों को नेपाल, भुटान व म्यामार की ओर भेजा जाता है.
– इस काम हेतु चार तरह की व्यवस्था एक श्रृंखला के तौर पर काम करती है. ऐसे में इस श्रृंखला को तोडने का काम महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश के लिए एक चुनौती की तरह है.
* व्याघ्र प्रकल्प में अलर्ट
– महाराष्ट्र के व्याघ्र प्रकल्पों में रहने वाले बाघों पर बहेलिया टोली की वक्रदृष्टि रहने के चलते राज्य के वनविभाग व वन्यजीव विभाग इस समय अलर्ट मोड पर है. जिसके चलते वन कर्मचारियों की दीर्घकालीन छुट्टीयों को रद्द किया जा रहा है. साथ ही जंगल में स्थित प्राकृतिक व कृत्रिम जलस्त्रोतों की बार-बार जांच पडताल की जा रही है. क्योंकि ऐसे स्थानों पर पानी में यूरिया डालकर बाघों की शिकार की जाती है.
– विदर्भ के व्याघ्र प्रकल्पों में 4 हजार जलस्त्रोत है और इन सभी स्थानों पर वनविभाग व वन्यजीव विभाग द्वारा कडी नजर रखी जा रही है. साथ ही मेलघाट के जंगलों में गर्मी के मौसम के दौरान लगने वाली आग पर नियंत्रण रखने का काम भी व्याघ्र प्रकल्प सहित वनविभाग के अधिकारियों को करना होगा.
* पिछली बार चंद्रपुर में बाघ की शिकार होने के बाद एनटीसीए ने बहेलिया टोली को लेकर अलर्ट किया था. परंतु इस बार ऐसा कुछ नहीं है. साथ ही इस समय जंगल में लगने वाली आग पर समय रहते नियंत्रण पाने हेतु मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में स्वतंत्र पथक कार्यरत है औश्र बाघों के संरक्षण व संवर्धन हेतु पूरी सतर्कता बरती जा रही है.
– आदर्श रेड्डी,
क्षेत्र संचालक,
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प.