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बढते कांक्रीटीकरण से बढ रहा गर्मी का प्रभाव

देर शाम तक चलते है गर्म हवाओं के थपेडे

* सिमेंट की सडकें कर रही है गर्मी को बढाने का काम
अमरावती/दि.16– इस वर्ष अप्रैल व मई माह के दौरान आसमान से मानो आग ही बरस रही थी. जिसकी वजह से हर ओर तेज व भीषण गर्मी का सामना करना पडा. किंतु आसमान से बरसती तन को झूलसा देनेवाली धूप के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में लगातार बढ रहे कांक्रीटीकरण ने भी मौसम को गर्म करने में अपना पूरा योगदान दिया. जिसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में वातावरण काफी अधिक गर्म रहा और सूरज ढल जाने के बाद देर शाम तक गर्म हवाओं के थपेडे चलते रहे.
उल्लेखनीय है कि, इन दिनों तेजी से विस्तारित हो रहे शहरी क्षेत्रों को एक तरह से सिमेंट कांक्रीट का जंगल ही कहा जा सकता है. साथ ही रही-सही कसर सिमेंट कांक्रीट से बननेवाले सडकों ने पूरी कर दी है. उल्लेखनीय है कि, पहले सडकों का निर्माण डांबर व गिट्टी के जरिये किया जाता था. डांबर निर्मित सडकें जितनी जल्दी गर्म होती थी, उतनी ही जल्दी ठंडी भी हो जाती थी. किंतु सिमेंट कांक्रीट से निर्मित सडकें और इमारतें तेज धूप में गर्म तो बहुत जल्दी हो जाती है, किंतु धूप ढल जाने के बाद भी उन्हें सामान्य तापमान में आने यानी ठंडा होने में काफी अधिक वक्त लगता है. ऐसे में तेज धूप में तपकर गर्म हो जानेवाली इन सडकों व इमारतों की वजह से वातावरण में तपीश और अधिक बढ जाती है. साथ ही सूरज के ढल जाने और धूप के कम हो जाने के बाद भी सिमेंट कांक्रीट से बनी सडकों व इमारतों की वजह से वातावरण में तपीश बनी रहती है. ऐसे में सिमेंट सडकों पर शाम के वक्त गुजरते समय भी गर्म हवाओं के थपेडे महसूस होते है.
उल्लेखनीय है कि, इस बार समूचा विदर्भ क्षेत्र तेज व भीषण गर्मी का सामना करता रहा और अप्रैल माह के अंत से लेकर जारी मई माह के दौरान अनेकों बार ग्रीष्म लहर का भी असर देखा गया. इस दौरान विदर्भ क्षेत्र के कई जिलों में अधिकतम तापमान 44 से 45 डिग्री सेल्सियस के उच्चतम स्तर तक जा पहुंचा. वहीं प्रत्यक्ष में 47 डिग्री तक ही तापमान का ऐहसास हुआ. ऐसा इसलिए रहा, क्योंकि आसमान से बरसनेवाली आग जैसी धूप की वजह से जो अधिकतम तापमान बन रहा था, उसे शहरी क्षेत्र में सीमेंट व कांक्रीट के जंगल दो से तीन डिग्री सेल्सियस से बढा रहे थे. यहां पर यह भी ध्यान देनेवाली बात है कि, शहरी क्षेत्र में विकास के नाम पर किये जानेवाले कामों के चलते बडे पैमाने पर पेडों की कटाई हुई है और शहर के आसपास खाली पडी वन विभाग की जमीनों पर उसी अनुपात में वृक्षारोपण नहीं हुआ. ऐसे में पेड-पौधों से मिलनेवाली प्राकृतिक ठंडक धीरे-धीरे नदारद होती चली गई और साल-दर साल सीमेंट कांक्रीट से बने जंगलों में गर्मी का असर बढ रहा है. वहीं अब लगातार कई-कई दिनों तक ग्रीष्म लहर भी बनी रहती है. जिसकी वजह से देर शाम तक गर्म हवाओं के थपेडे महसूस होते है. वहीं इस बार गर्मी ने विगत कुछ दशकों के रिकॉर्ड तोड डाले और इस वर्ष पडी भीषण गर्मी से हर कोई हैरान-परेशान रहा. ऐसे में अब शहरी क्षेत्र में युध्दस्तर पर वृक्षारोपण अभियान चलाये जाने की जरूरत प्रतिपादित की जा रही है, ताकि शहरी क्षेत्र में हरियाली का प्रमाण बढाते हुए गर्मी के असर को कुछ कम किया जा सके.

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