अमरावती

घटना आज बूरी लग रही है लेकिन कल उसके अच्छे परिणाम आएगे

वैष्णवाचार्य प.पू. हरिरायजी ने प्रवचन में सिखाई जीवन जीने की कला

* गोवर्धननाथ हवेली में वचनामृत का आयोजन
अमरावती/दि.12 – जो भी होता है भगवान की इच्छा से होता है और भगवान कभी किसी का बुरा नहीं चाहता. इसलिए वर्तमान में जो हो रहा है चाहे कै सा भी हो, उसे अच्छा ही समझें. क्योंकि हो सकता है वह घटना आपको आज बुरी लग रही है. लेकिन कल उसके अच्छे परिणाम भी दिख सकते हैं, हमें भले ही पता नहीं कि हमारे हित में क्या है. लेकिन भगवान तो सर्वज्ञाता हैं. अपने मंगल प्रवचन के दौरान वैष्णवाचार्य परम पूज्य गोस्वामी 108 श्री हरिराय ने यह बात भक्तों को समझाई. रायली प्लॉट स्थित गोवर्धनदास हवेली में बुधवार को वचनामृत कार्यक्रम के दौरान वे बोल रहे थे.
वचनामृत कार्यक्रम गोवर्धनदास हवेली सत्संग मंडल, अमरावती की ओर से हरिरायजी के अंबानगरी में पधारने के उपलक्ष्य में बुधवार को शाम 5 बजे से 7 बजे तक विवेक-धैर्य-आश्रय विषय पर आयोजित किया गया था. जिसमें विवेक का अर्थ बताते हुए उन्होंने कहा कि, जब घटनाएं हमारे मुताबिक नहीं होतीं तो हम सोचते हैं कि भगवान हमारे साथ बुरा क्यों कर रहा है. कई बार जब हमारे जीवन में दुख आते हैं तो हम शिकायत करते हैं कि, जीवन में दुख क्यों आ रहा है. हमें आज नहीं पता चलता कि जो हो रहा है यह अच्छा है या बुरा, लेकिन भविष्य में हमें पता चलता है कि वह होना भी जरूरी था. इसलिए विवेक तभी है जब आप जीवन के हर प्रसंग को भगवान की इच्छा समझ कर आगे बढ़ें. धैर्य का अर्थ ऐसा है कि भले ही फिलहाल हमारे जीवन में दुख है, लेकिन जल्द ही सुख भी आ जाएगा. क्योंकि दुनिया में कोई वस्तु स्थायी नहीं है. जो आया है उसे जाना भी पड़ता है. यदि अभी रात है तो कल दिन भी होगा. इसलिए प्रत्येक परिस्थितियों में धैर्य रखें कि जल्द सुख भी आने वाला है. दुख की घड़ियों में कोई गलत कदम की ओर रुख ना करें. आश्रय का अर्थ उन्होंने बताया कि, परिस्थिति कितनी ही बिकट हो, लेकिन भगवान का नाम आप हमेशा याद रखें. लोग दुख की घड़ी में तो भगवान को खूब याद करते हैं, पूजा करते हैं. लेकिन सुख की घड़ी आई तो उनका विस्मरण कर देते हैं. हमें यह याद रखना चाहिए कि, सुख भी वही देता है और दुख भी वही देता है इसलिए उसका स्मरण हर परिस्थिति में किया जाना चाहिए. हर किसी को यह याद रखना चाहिए कि, हम सभी उस पर आश्रित हैं. हरिरायजी ने व्यंगात्मक रूप से कहा कि, कितने ही सत्संग क्यों ना आयोजित हो जाएं, लोग सुनते तो मनभर हैं लेकिन करते कण भर भी नहीं. यदि सत्संग में बताई गई बातों का वे कणभर भी आत्मसात करते हैं तो उनके जीवन का कल्याण होगा. वचनामृत कार्यक्रम में गोविंद दम्मानी, गोवर्धन दम्मानी, जयकिसन दम्मानी, देवकिसन लढ्ढा, हितेश राजकोटिया, घनश्याम बाहेती, श्याम दम्मानी, महेश सेठ, स्वप्निल श्रॉफ, आशीष करवा, राशि दम्मानी, ज्योति गगलानी, लक्ष्मी करवा, पल्लवी गगलानी, शकुंतला दम्मानी, छाया दम्मानी, कश्मिरा सेठ, नटूबेन दासानी, हंसाबेन पोपट, शकुंतला भैयाजी, वंदना दम्मानी, पलेजा, पुष्पा गोहिल, हेमंत पच्छीगर, कृष्णदास गगलानी, मुकेश श्रॉफ, आशीष मुंधड़ा, दीप्ती मुंधड़ा, दीपाली करवा, गोकु लेश दम्मानी, ब्रजेश दम्मानी. आदिती पोपट, कीर्ति राजक ोटिया, कोमल धु्रव, रूपा गगलानी, उमाबेन झंवर, अरुणा नदियाला, गीता पोपट और जसापारा बेन उपस्थित रहे.

 

Back to top button