संपत्ति कर में की गई दरवृद्धि को रद्द किया जाए
अन्यथा आयुक्त निवास के सामने करेंगे अनशन
* पत्र-परिषद में नागरिक कृति समिति ने दी चेतावनी
* 10 दिनों का दिया अल्टिमेटम
अमरावती/दि.16– मनपा आयुक्त ने संपत्ति कर में चारगुना में से डेढ गुना कर भुगतान करने संबंध में उपमुख्यमंत्री अजितदादा पवार ने दिए आदेश को कचरे की टोकरी दिखाई है. संपत्ति कर में की गई दरवृद्धि को रद्द किया जाए, अन्यथा आयुक्त निवास के सामने अनशन करेंगे, यह चेतावनी अमरावती नागरिक कृति समिति ने आज जिला मराठी पत्रकार संघ में ली पत्र-परिषद के माध्यम से दी है.
समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि, अमरावती मनपा के प्रशासकीय कार्यकाल में तत्कालीन अमरावती मनपा आयुक्त डॉ. प्रवीण आष्टीकर ने 3 फरवरी 2022 को बढोतरी संपत्ति कर संबंध में 10 प्रतिशत वृद्धि करने का निर्णय लिया था, और संपत्ति का रि-असिसमेंट व मूल्यांकन करने के लिए स्थापत्य नाम की कंपनी की निविदा को मंजूरी दी थी. इस निविदा प्रक्रिया में 18 से 20 करोड का भ्रष्टाचार होने के बारे में 30 सितंबर 2023 को मनपा के कर अधीक्षक व स्थापत्य कंपनी के खिलाफ सिटी कोतवाली में लिखित तौर पर शिकायत की है. संपत्ति धारकों के आपत्ति संबंध में अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई. तथा तीन दिन पूर्व राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अमरावती मनपा आयुक्त देवीदास पवार को प्रत्यक्ष कार्यालय में बुलकार अमरावती मनपा क्षेत्र में चार गुना बढाया संपत्ति कर रद्द किया जाए और डेढ गुना वसूल करने संबंध में आदेश दिए थे, किंतु आयुक्त पवार ने उनके आदेश को कचरे की टोकरी दिखाई.शहर में संपत्तियों का सर्वेक्षण गलत पद्धति से किया जाने से संपत्तिधारकों को बडे पैमाने पर संपत्ति कर नोटिस दिया जा रहा है. तथा टैक्स वसूलने के लिए सख्ती करने का प्रयास आयुक्त के आदेश से हो रहा है. अमरावती नागरिक कृति समिति ने इसके पूर्व भी मनपा आयुक्त, संभागीय आयुक्त को इस संबंध में ज्ञापन देकर गलत पद्धति से संपत्ति धारकों को दिया गया बढाया हुआ टैक्स रद्द करने की मांग की थी. बावजूद इसपर कोई निर्णय नहीं लिया गया. आगामी 10 दिनों में इस संबंध में निर्णय नहीं लिया गया तो मनपा आयुक्त के निवासस्थान के सामने कृति समिति के सदस्य अनशन पर बैठेंगे.
समिति ने जनता से आह्वान किया है कि, जिन जनप्रतिनिधियों ने संपत्ति कर को लेकर आवाज नहीं उठाई उन्हें लोकसभा, विधानसभा व मनपा के चुनाव में मतदान न करें. सख्ती से टैक्स वसूली एक तरह की हुकूमशाही है, आयुक्त यह आदेश तुरंत वापस लें, अन्यथा कर्मचारियों के शोषण संबंध में शिकायत राज्य सरकार, चुनाव आयोग से करेंगे, ऐसा नागरिक कृति समिति ने पत्र-परिषद में बताया.