अमरावतीमहाराष्ट्र

भारतीय संविधान मौलिक अधिकारों की रक्षा करने प्रतिबद्ध और सक्षम

न्यायमूर्ति भूषण गवई का कथन

* कोलंबिया में आयोजित व्याख्यान में रखे विचार
अमरावती/दि.30– भारतीय संविधान परिवर्तनकारी है और देश के प्रत्येक नागरिक को सम्मान, न्याय और समानता प्रदान करने के साथ-साथ उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध और सक्षम है. भारतीय संविधान में समय के अनुरूप सुधार किया जा सकता है. यह बात देश के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायमूर्ति भूषण गवई ने कही. अमेरिका के कोलंबिया विद्यापीठ के व्याख्यान दौरान वे बोल रहे थे.

अपनी बुद्धीमत्ता, अभ्यास व कर्तव्य से देश के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद तक पहुंचने वाले अमरावती के सुपुत्र न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई अमेरिका के अभ्यास दौरे पर है. न्यूयॉर्क के विश्वप्रसिद्ध कोलंबिया लॉ स्कूल में उन्हें व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया गया था.

मंगलवार 26 मार्च को कोलंबिया लॉ स्कूल में अपने 35 मिनट के व्याख्यान में न्यायमूर्ति भूषण गवई ने सीमित शब्दों में भारतीय संविधान की महत्ता स्पष्ट की. कोलंबिया लॉ स्कूल में न्या.गवई का परिवर्तनवादी संविधानवाद के 75 वर्ष इस विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया . व्याख्यान में उन्होंने संविधान की विशेषता के बारे में विस्तार से जानकारी दी. मूलभूत अधिकारी भारतीय संविधान की आत्मा है. परंतु संविधान में गोपनियता व एलजीबीटीक्यू समूह के अधिकार का उल्लेख नहीं दिखता. क्योंकि संविधान लिखते समय यह बातें अस्तित्व में नहीं थी. ऐसा रहने पर भी सर्वोच्च न्यायालय ने आवश्यकता के समय जीवन संरक्षण व व्यक्तिगत स्वतंत्रता की संज्ञा का विस्तार करके नागरिकों को यह अधिकार बहाल किया. संविधान का वर्चस्व टिकाने के लिए न्यायलयों ने हमेशा ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सूचना का अधिकार नागरिकों के लिए कितना महत्वपूर्ण है, यह सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में इलेक्टोरेल बॉन्ड प्रकरण के निर्णय द्वारा दिखा दिया, ऐसा न्यायमूर्ति गवई ने बताया.

* चर्चासत्र में लिया हिस्सा
न्यायमूर्ति भूषण गवई ने न्यूयॉर्क सिटी बार असोसिएशन की ओर से आयोजित चर्चासत्र में भी हिस्सा लिया. कानून का राज्य व व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा करने में भारत व अमेरिका के न्यायालय की भूमिका यह चर्चासत्र का विषय था. इसके साथही न्यूयॉर्क न्यायालय के मुख्य प्रशासकीय न्यायमूर्ति जोसेफ झोयास व महिला न्यायमूर्ति उशीर पंडित-दुरांत भी चर्चासत्र में सहभागी हुई थी.

* समानता के लिए आरक्षण जरूरी
देश की सामाजिक असमानता शुरुआत से ही चिंता का विषय है. इस ओर न्या.गवई ने ध्यानाकर्षण करवाते हुए समानता प्रस्थापित करने के लिए दुर्बल समूहों को आरक्षण देना आवश्यक है, यह भूमिका रखी. पहले सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण नीति का समर्थन नहीं किया, किंतु बाद में इसका समर्थन किया. आरक्षण की नीति संविधान की नींव है. देश में असमानता पर उपाय योजना के रूप में इस ओर देखना चाहिए, ऐसा न्यायमूर्ति गवई ने कहा.

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