अमरावती

दादासाहब के प्रयासो से दीक्षा भूमि को मिली विश्व स्तर पर पहचान

मधुकर अभ्यंकर का प्रतिपादन

  • सिद्धार्थ हाईस्कूल में मनाई पूर्व राज्यपाल रा.सू. गवई की जयंती

अमरावती प्रतिनिधि/दि.३१ – १४ अक्तूबर १९५६ को डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने अनुयायीयों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी थी. तब से दीक्षाभूमि सभी भारतीयों का ऊर्जा स्त्रोत बनी. पूर्व राज्यपाल दादासाहब उर्फ रा.सू. गवई दीक्षा भूमि के विकास के लिए हमेशा प्रयासरत रहे. उनके प्रयासों से दीक्षाभूमि को विश्व स्तर पर पहचान मिली. ऐसा प्रतिपादन राहुल व्यायाम प्रसारक मंडल के संस्थापक अध्यक्ष मधुकर अभ्यंकर ने व्यक्त किया. वे पूर्व राज्यपाल दादासाहब उर्फ रा.सू. गवई की जयंती के अवसर पर परतवाडा स्थित सिद्धार्थ हाईस्कूल में बतौर कार्यक्रम अध्यक्ष के रुप में उपस्थित थे.
कार्यक्रम के अध्यक्ष मधुकर अभ्यंकर ने आगे कहा कि दादासाहब ने दीक्षा भूमि के निर्माण के लिए आखिर तक संघर्ष किया, और डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के विचार घर-घर तक पहुंचाने का कार्य किया. इस अवसर पर प्रमुख अतिथि के रुप में प्राचार्य संजय गुल्हाने, प्रा. गजानन वानखडे, पूर्व नगर सेविका वनमाला सोनोने, साहबराव लव्हाले, बेबी लव्हाले, दादाराव घुले, मुरलीधर खेडकर, स्मिता पाटील मंचासीन थे.
इस अवसर पर अतिथियों द्वारा दादासाहब गवई की प्रतिमा का पूजन किया गया, व उनके जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला गया. इस समय नंदिनी पाटील, सुखदेवराव सरदार, अरुण वानखडे, मंगला वंजारी, दिनेश मोहोड, उद्धव कोकाटे, गोपाल खडसे, मनोज जामनेकर, जयश्री खडके, माधवी कोकाटे, प्रमोद खडके, निला गुल्हाने, शीला तायडे, रमेश कौतिककर, कविता वानखडे, भारती वानखडे, सागर सिंह चव्हाण, रजनी हरणे, बेबी धुरधर आदि प्रमुख रुप से उपस्थित थे.

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