इच्छुकों की बांछे खिली, शुरू हुए मनपा के चक्कर

कई लगे अपने कागजात तैयार करने में

* महापालिका चुनाव 2025
* चुनाव आयोग के आदेश का प्राय: स्वागत
अमरावती/ दि. 11- सुप्रीम कोर्ट के पिछले माह के फैसले पश्चात आखिरकार राज्य चुनाव आयोग ने 2017 समान अमरावती मनपा की प्रभाग रचना रखने के निर्देश का अमूमन सभी दलों और संगठनों तथा इच्छुकों ने स्वागत किया है. आज से ही महापालिका के चुनाव विभाग के चक्कर काटने शुरू हो गये हैं. पिछला इलेक्शन लड चुके अथवा उम्मीदवार के करीबी रहकर कार्य कर चुके कार्यकर्ता बडे काम के हो गये हैं. उनमें से अधिकांश कार्यकर्ता इस बार चुनाव लडनेवालों के बडे उपयोगी रहनेवाले है. इसलिए अभी से ऐसे जानकार, प्रभाग रचना की समझ रखनेवाले कार्यकर्ताओं की पार्टी संगठन में पूछ परख बढ गई है.
राज्य चुनाव आयोग ने अमरावती समेत ड श्रेणी की सभी महापालिका हेतु प्रभाग रचना के निर्देश जारी किए. 35 पन्नों के आदेश में प्रभाग रचना संबंधी प्रावधानों की सावधानी का भले ही उल्लेख हो. किंतु प्रभाग रचना पिछले चुनाव जैसी रहने की बडी घोषणा से दलों के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता निश्चित ही राहत महसूस कर रहे हैं. उन्हें पिछले चुनाव के अनुभव का बडा उपयोग होनेवाला है.
आज ही पहुंचे अनेक इच्छुक
प्रभाग रचना की अधिसूचना घोषित होने से महापालिका चुनाव लडने वाले कार्यकर्ता और उनके समर्थक आज ही चुनाव विभाग पहुंच गये. अधिकारियों से अपनी शंकाओं का निवारण करने के साथ उन्होंने अपने क्षेत्र की संभावित सीमाओं के बारे में जानकारी ले ली. कुछ ऐसे भी लोग पहुंचे थे जो कालांतर में उम्मीदवारों को इस बारे में गाइड करने वाले हैं. प्रभाग रचना तय हो जाने से आनेवाले दिनों में कार्यक्रमों के आयोजन का भी मामला निश्चित होना है. इसलिए अधिकारियों ने अमरावती मंडल से चर्चा में स्वीकार किया कि कई इच्छुक प्रत्यक्ष कार्यालय आए तो अनेक ने फोन पर संपर्क कर अपेक्षित जानकारी पूछी.
बडे दलों की बल्ले- बल्ले
चार सदस्यीय प्रभाग रचना के कारण बडे दलों की पौ बारह होने की चर्चा मनपा गलियारे में पुन: सुनने मिली. पिछले तीन चुनाव से 3 या 4 सदस्यों वाले प्रभाग बनाए गये हैं. उनकी सीमा विस्तृत होने से छोटे दल अथवा अपक्ष उम्मीदवारों को प्रत्येक वोटर्स तक पहुंचना और उन्हें अपने फेवर में करना बडा दुष्कर कार्य हैं. बडे दलों के पास कार्यकर्ता के साथ बडी यंत्रणा भी होती है. उन्हें पार्टी लेवल पर गाइडेन्स देनेवाले भी काफी संख्या में उपलब्ध रहते हैं. जिससे अभी से कहा जा रहा है कि बडे दलों की महापालिका चुनाव में बल्ले- बल्ले रहेगी.
संगठनों ने किया खारिज
संगठनों और छोटे दल कहे जा रहे राजनेताओं ने इसे सिरे से खारिज किया. उनका दावा रहा कि क्षेत्र में काम करनेवाला कार्यकर्ता सुदृढ होना चाहिए. महापालिका चुनाव में पार्टी नहीं तो व्यक्ति की पूछ परख होती है. इसलिए बहु सदस्यीय प्रभाग पध्दति हो या वार्ड पध्दति चुनाव में वोटर्स विचार पूर्वक मतदान करते हैं. उल्लेखनीय है कि महापालिका के पहले इलेक्शन 1992 में वार्ड पध्दति से हुए थे. जिसमें निर्दलीयों का दबदबा रहा था. 27 निर्दलीय उस इलेक्शन में महापालिका सदन पहुंचे थे. कई अपक्षों ने उप महापौर सहित अन्य पदों तक पहुंंच बनाई थी.

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