सिनेट की सभा में गूंजा दीक्षांत समारोह का मुद्दा
अमरावती /दि.14– संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ की गत रोज हुई बजटीय सिनेट सभा के दौरान विगत दिनों आयोजित दीक्षांत समारोह का मुद्दा जमकर गूंजा. सिनेट सदस्यों का कहना रहा कि, राज्यपाल व कुलपति रमेश बैस के मार्गदर्शन पश्चात राष्ट्रगीत का कार्यक्रम हुआ और फिर आयोजन की समाप्ति की घोषणा की गई. इसके उपरान्त आचार्य पदवियां कैसे प्रदान की गई. विद्यापीठ नियमों का इस तरह से पहली बार उल्लंघन होने को लेकर सिनेट सदस्यों ने पीठासीन सभापति को जमकर आडे हाथ भी लिया.
गत रोज हुई सिनेट सभा में पीठासीन सभापति कुलगुरु डॉ. मिलिंद बारहाते, प्र-कुलगुरु डॉ. प्रसाद वाडेगावकर एवं कुलसचिव डॉ. तुषार देशमुख मंच पर उपस्थित थे. अधीसभा के प्रारंभ में ही नूटा के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण रघुवंशी ने औचित्य का मुद्दा उपस्थित करते हुए दीक्षांत समारोह में हुई गलतियों की ओर सभी का ध्यान दिलाया. इस चर्चा में डॉ. सुभाष गवई, डॉ. आर. डी. सिकची, डॉ. संतोष बनसोड, डॉ. रवींद्र मुंद्रे, डॉ. प्रशांत विघे, डॉ. अविनाश बोर्डे, प्रा. कैलास चव्हाण, भैय्यासाहब मेटकर, प्रा. संतोष उके, एड. मोतीसिंह मोहता व डॉ. नीलेश गावंडे ने हिस्सा लिया. इन सभी सदस्यों ने सवाल उपस्थित किया कि, राज्यपाल के मार्गदर्शन पश्चात सीधे राष्ट्रगीत करवाते हुए कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा कैसे की गई और फिर उसके बाद पदविदान कैसे किया गया. सवाल यह भी पूछा गया कि, दीक्षांत समारोह के लिए राज्यपाल की तारीख और समय को लेकर पहले ही तय हो चुका था. इसके बावजूद भी समारोह के दौरान विद्यापीठ के नियमों का उल्लंघन क्यों किया गया और पदविदान समारोह में कुलगुरु अथवा प्राधिकारिणी सदस्यों के हाथों पदवियां क्यों प्रदान नहीं की गई. इस संदर्भ में नियमावली व मानक तय रहने के बावजूद उनका पालन क्यों नहीं किया गया.
एक के बाद एक आते इन सवालों के चलते पीठासीन सभापति सहित प्र-कुलगुरु व कुलसचिव के अच्छे खासे पसीने छुट गये थे और दीक्षांत समारोह में हुई गलतियों को लेकर सिनेट सभा में तूफानी चर्चा होने के चलते पीठासीन सभापति व कुलगुरु डॉ. मिलिंद बारहाते ने दीक्षांत समारोह में गलती होने की बात मान्य करते हुए कहा कि, राज्यपाल ने पहले 10 बजे का समय दिया था. जिसे बाद में बदलकर 11 बजे कर दिया गया. इस वजह से 11 बजे शुरु हुए दीक्षांत समारोह का पूरा नियोजन ही गडबडा गये.
* लेडीज होस्टल का मुद्दा भी उठा
इस बजटिय सिनेट सभा में छात्राओं के होस्टल की सुविधा का मुद्दा भी चर्चा हेतु रखा गया. सिनेट सदस्य डॉ. संतोष बनसोड ने यह विषय उपस्थित करते हुए कहा कि, विद्यापीठ में लेडीज होस्टल की सुरक्षा का ठेका कुछ दिन बाद खत्म होने वाला है. ऐसे में किसी नई सुरक्षा रक्षक एजेंसी को ठेका देते समय उसकी पूरी जांच पडताल की जाये. क्योंकि इसे लेकर सरकार के स्पष्ट दिशा-निर्देश है.
* सूचना अधिकार को लेकर भी उठे सवाल
सिनेट सदस्य डॉ. प्रशांत विघे ने विद्यापीठ में सूचना अधिकार की अनदेखी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि, रासेयो के कामकाज को लेकर जानकारी मांगे जाने के बावजूद डेढ वर्ष की कालावधि बीत जाने पर भी अब तक कोई जवाब नहीं मिला है. जनसूचना अधिकारी से लेकर अपीलिय अधिकारी तक जाने के बावजूद भी हाथ में कुछ भी नहीं आया है और अब सूचना आयुक्त के पास जाने की सलाह दी जा रही है. परंतु इसकी वजह से विद्यापीठ पर दंड भी लग सकता है. इस ओर नूटा के अध्यक्ष सिनेट सदस्य डॉ. प्रवीण रघुवंशी ने ध्यान दिलाया और जानना चाहा कि, कुलगुरु द्वारा इस मामले में लुकाछीपी क्यों की जा रही है. इस समय कुलसचिव डॉ. तुषार देशमुख ने कबूल किया कि, व्यवस्थापन परिषद की ओर जानकारी भेजी गई थी. परंतु संबंधित अधिकारी द्वारा इसे अपने ही पास दबाकर रख लिया गया. जिसके बाद प्रवीण रघुवंशी ने यह भी कहा कि, बंद कमरों में कोई निर्णय न लिया जाये और विद्यापीठ की बदनामी के लिए किसी को भी न बक्शा जाये.