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15 दिन के भीतर निपटाया जाये डॉ. आंबेडकर स्मारक स्थल की जगह का मसला

अन्यथा मनपा के खिलाफ आमरण अनशन करने की चेतावनी

* विभिन्न आंबेडकरवादी संगठन धमके निगमायुक्त कार्यालय पर
अमरावती/दि.30– विगत लंबे समय से इर्विन चौक स्थित डॉ. आंबेडकर पुतला परिसर के आसपास खाली पडी निजी जमीन को अधिग्रहित कर उसका स्वामित्व डॉ. आंबेडकर स्मारक समिती को दिये जाने की मांग की जा रही है और इस विषय को लेकर पिछले लंबे समय से मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में मामला लंबित है. लेकिन मनपा के विधि विभाग सहित भारी-भरकम फीस लेनेवाले मनपा के वकीलों द्वारा हाईकोर्ट में इस विषय को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही और मनपा के वकील सुनवाई के समय हाईकोर्ट में उपस्थित तक नहीं रहे और इस मामले की फिलहाल स्थिति क्या है, इस बारे में शहर के आंबेडकरवादियोें को कोई जानकारी भी नहीं दी जाती. जिससे आंबेडकरी समाज में तीव्र रोष व संताप की लहर है. ऐसे में इस मामले में मनपा द्वारा नियुक्त तीनों वकीलों को तुरंत इस केस से हटाया जाये. साथ ही आगामी पंद्रह दिनों के भीतर डॉ. आंबेडकर पुतला व स्मारक परिसर के लिए जमीन के मसले को हल किया जाये. इस आशय की मांग शहर के विभिन्न आंबेडकरवादी दलों द्वारा निगमायुक्त से मुलाकात के दौरान की गई. साथ ही ऐसा नहीं होने पर मनपा प्रशासन के खिलाफ आमरण अनशन करने की चेतावनी भी दी गई.
पूर्व लेडी गवर्नर प्रा. कमलताई गवई के नेतृत्व में निगमायुक्त प्रवीण आष्टीकर से मिलने हेतु गये प्रतिनिधी मंडल में भीम बिग्रेड के राजेश वानखडे, बसपा के सुदाम बोरकर, प्रहार के बंटी रामटेके, आजाद समाज पार्टी के मनीष साठे आदि का समावेश था. इन सभी प्रतिनिधियों द्वारा निगमायुक्त आष्टीकर को बताया गया कि, उन्होंने अपने-अपने संगठनों के जरिये कई बार मनपा प्रशासन को ज्ञापन व निवेदन सौंपे है और डॉ. आंबेडकर स्मारक स्थल के लिए अनेकों बार आंदोलन भी किये. लेकिन हर बार प्रशासन द्वारा उन्हें झूठे आश्वासन दिये जाते रहे है. लेकिन अब इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और यदि पंद्रह दिन के भीतर डॉ. आंबेडकर पुतला परिसर के पास खाली पडी जमीन का स्वामीत्व पुतला सौंदर्यीकरण समिती को नहीं दिया जाता है, तो मनपा प्रशासन के खिलाफ समस्त आंबेडकरी समाज द्वारा तीव्र आंदोलन छेडते हुए आमरण अनशन किया जायेगा. साथ ही इस बैठक के दौरान सभी संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस विषय को लेकर अब तक हुई प्रशासनिक कार्रवाई का पूरा लेखा-जोखा भी आयुक्त आष्टीकर के सामने रखा.

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