चुनाव के धामधूम में गूंज रहा सोयाबीन के दरों का मुद्दा
उपमुख्यमंत्री फडणवीस को किसानों के रोष का करना पडा सामना
लातुर/दि.13– सोयाबीन की प्रति क्विंटल दरों में उतार-चढाव, आयात-निर्यात नीति की ओर केंद्र सरकार की हो रही अनदेखी और इससे उत्पादक किसानों पर आया संकट इसबार के चुनाव में महत्वपूर्ण मुद्दा साबित हो रहा है. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भी हाल ही में सोयाबीन उत्पादक किसानों के रोष का सामना करना पडा.
पांच साल पहले 2015 में अक्टूबर माह में सोयाबीन की दरें 4 हजार रुपए क्विंटल थी. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोयाबीन के उत्पादन में भारी गिरावट आई थी. इसी दौरान देश में सोयाबीन की रिकार्ड निर्यात हुई. जिसके परिणाम स्वरूप सोयाबीन के दाम काफी बढ गए. वर्ष 2020 में 10 हजार 300 रुपए प्रति क्विंटल तक दाम पहुंचे. पिछले साल बारिश नदारद रहने से सोयाबीन का उत्पादन 30 से 40 प्रतिशत घटा. लातुर जिले के औसा तहसील में उजनी के किसान सुधीर गंगणे को पिछले साल के सोयाबीन खर्च के बारे में पूछने पर उन्होने बताया कि, एक एकड में पांच क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन हुआ. जिसे 4500 रुपए दाम मिले. इससे 22 हजार 500 रुपए हाथ में लगे. लेकिन फसल लागत पर कुल खर्च 20 हजार 500 रुपए हुआ था. यानी एक एकड में केवल 2 हजार रुपए हाथ में बचे.
* इस प्रकार रहीं दरें
सीजन दर (रु.प्रतिक्तिंटल)
अक्टूबर 2019 4000
अगस्त 2020 10,300
मार्च 2021 7500
अगस्त 2021 6400
वर्तमान में 4500