अमरावती

हत्यारोपी को उम्रकैद की सजा

प्रमुख जिला व सत्र न्यायालय का फैसला

* शिरखेड पुलिस थाना क्षेत्र के धामणगांव की घटना
अमरावती/ दि.7 – आरोपी संदीप तायडे ने सब्बल से सिर पर हमला कर दिलीप निमकरडे नामक व्यक्ति की बेरहमी से हत्या कर दी. इस मामले में प्रमुख जिला व सत्र न्यायालय के न्यायमूर्ति रविंद्र एम. जोशी ने हत्यारे दिलीप तायडे को उम्रकैद की सजा सुनाई है. यह घटना शिरखेड पुलिस थाना क्षेत्र के धामणगांव में वर्ष 2017 में घटी थी.
संदीप मधुकर तायडे (40, धामणगांव, तहसील मोर्शी) यह दफा 302 के तहत हत्या का अपराध सिध्द होने के कारण उम्रकैद की सजा व 1 हजार रुपए जुर्माने की सजा पाने वाले आरोपी का नाम है. अदालत में दायर दोषारोपपत्र के अनुसार मृतक दिलीप देविदास निमकरडे (45, धामणगांव) और आरोपी संदीप मधुकर तायडे यह दोनों एक ही गांव के रहने वाले है. 12 जनवरी 2017 को गांव के वृध्द व्यक्ति देविदास दादूजी अडायके की बीमारी के चलते मृत्यु हो गई. इस वजह से गांव के परिसर स्थित विश्वासराव कृष्णराव देशमुख के खेत में अंत्यविधि का कार्यक्रम शुरु था. इस समय दिलीप समेत गांव के अन्य लोग अंत्यविधि के कार्यक्रम में शामिल हुए थे. दफन विधि हेतु गड्ढा खोदने के लिए आया आरोपी संदीप तायडे हाथ की सबल लेकर मृतक दिलीप पर दौडा और सबल से उसके सिर पर वार कर दिया. उस समय उपस्थित लोग, जिसमें मृतक का भाई निलेश निमकरडे भी उपस्थित था. उन्होंने आरोपी को बाजू हटाया. इस बीच आरोपी सबल लेकर भाग गया. परंतु इस हमले में दिलीप के सिर में गहरी चोट लगी, काफी खुन बहने लगा. उपस्थितों ने खेती की पराटी से घाव को दबाकर ऑटो में अस्पताल ले गए. प्रत्यक्षदर्शी मृतक का भाई निलेश दौडते हुए घर गया, मृतक की पत्नी वंदना दिलीप निमकरडे को सारी घटना की जानकारी दी और उसे साथ लेकर निलेश ऑटो के पास आया. ऑटो में मृतक, उसकी पत्नी, निलेश और अन्य दो लोग अस्पताल के लिए रवाना हुए. मृतक दिलीप ने उसकी पत्नी को बताया कि, आरोपी संदीप को संदेह था कि, उसकी पत्नी और मृतक दिलीप के बीच अनैतिक संबंध है. इससे पहले भी मृतक दिलीप को आरोपी संदीप ने दो से तीन बार जान से मारने की धमकी दी थी. तब मृतक दिलीप ने उसे समझाया था, परंतु आरोपी संदीप सुनने को तैयार नहीं था.
दिलीप निमकरडे को घायल अवस्था में सबसे पहले अमरावती के जिला अस्पताल लाया गया, उसके बाद निजी अस्पताल में भर्ती किया गया. निजी अस्पताल में भर्ती करने के बाद वंदना दिलीप निमकरडे ने शिरखेड पुलिस थाने में जाकर शिकायत दी. मगर इलाज के दौरान दिलीप निमकरडे की मौत हो गई. पुलिस ने अपराध में वृध्दि करते हुए दफा 302 के तहत अपराध दर्ज किया. मामले की तहकीकात पूरी कर 10 अप्रैल 2017 को अदालत में दोषारोपपत्र दायर किया गया. इस मामले में सरकारी पक्ष की ओर से जिला सरकारी वकील परीक्षित शरद गणोरकर ने आरोपी के खिलाफ अपराध सिध्द करने के लिए 9 गवाहों के बयान लिये. सबूत और बयान को मान्य करते हुए न्यायमूर्ति रविंद्र एम. जोशी की अदालत ने आरोपी संदीप मधुकर तायडे को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई. सरकारी पक्ष की ओर से सरकारी वकील परिक्षित शरद गणोरकर ने दलीले पेश की. इस मुकदमे में सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन तायवाडे ने तहकीकात की. पैरवी अधिकारी के रुप में महिला पुलिस काँस्टेबल ममता चव्हाण ने अदालती कामकाज में सहायता की.

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