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दादासाहब कालमेघ के प्रति आजीवन सभासदों का प्रेम ही मेरी बडी जीत का राज

हेमंत कालमेघ ने कहा- बेटे जैसे स्नेह से भावुक हूं

* शिवाजी संस्था चुनाव में सर्वाधिक वोटों से जीत
* संस्था जबर्दस्त प्रगति पथ पर
* एक और सीनियर कॉलेज को मंजूरी
* अमरावती मंडल से खास बातचीत
अमरावती/दि.13 – प्रदेश की दूसरे नंबर की शिक्षा संस्था शिवाजी के पंचवार्षिक चुनाव में रिकॉर्ड 490 वोट लेकर जबर्दस्त जीत दर्ज करने वाले और अपने कंधों पर भैयासाहब देशमुख के प्रगति पैनल को विजयी बनाने वाले हेमंत कालमेघ ने अपनी विजय का श्रेय पिता दादासाहब कालमेघ के कार्यों और संस्कारों को दिया. अमरावती मंडल से खास बातचीत में हेमंत जी ने कहा कि, उनकी रिकॉर्ड जीत दादासाहब कालमेघ के प्रति आजीवन सभासदों का प्रेम और निष्ठा दर्शाती हैं. उन्होेंने यह भी कहा कि, संस्था के आजीवन सदस्यों के प्रति वे संपूर्ण आदर, प्रेम और सम्मान का रिश्ता रखते हैं. आजीवन सभासद भी उन्हें अपना बेटा मानते हैं. इसी बात का परिचायक है कि, पहली पसंद के 490 वोट उन्हें प्राप्त हुए. कालमेघ ने अमरावती मंडल से विशेष बातचीत में चुनाव रणनीति, संस्था की प्रगति, विरोधी पैनल के नेताओं के आरोप-प्रत्यारोप पर भी बेबाक जवाब दिये. वार्तालाप के दौरान उनके दोनों फोन घनघनाते रहे. कोई किसी कार्यवश कॉल कर रहा था, तो कोई बधाई-अभिनंदन का कॉल था. बातचीत के प्रमुख अंश
प्रश्न – शिवाजी शिक्षा संस्था समूचे विदर्भ की एक नंबर संस्था हैं. 5 दशक हो गये हैं. फिर भी संस्था में चुनाव करवाने की नौबत क्यों आयी?
हेमंत कालमेघ – संस्था के उपाध्यक्ष नरेशचंद्र ठाकरे थे ही. भैयासाहब देशमुख के नेतृत्व में कार्यकारिणी भली प्रकार कार्य कर रही थी. संस्था भी प्रगति पथ पर अग्रेसर थी. ठाकरे जी ने अध्यक्ष बनने की इच्छा जताई. उसके कारण चुनाव कराना पडा.
प्रश्न – ठाकरे को अध्यक्ष बनाने का वादा पिछली बार किया गया था. सुनने में आया है कि, हर्षवर्धन अर्थात भैयासाहब देशमुख ने 2017 के चुनाव में उन्हें अगली बार अध्यक्ष बनाने का वचन दिया था?
हेमंत कालमेघ – ऐसा कुछ नहीं हुआ. इस बात का मैं गवाह हूं. संस्था के चुनाव को लेकर 2017 में आयोजित बैठक में डॉ. शेलके, वसंतराव जी धोत्रे और भैयासाहब के साथ मैं भी मौजूद था. कोई आश्वासन नहीं दिया गया था. उनसे इस बार भी उपाध्यक्ष के रुप में कार्यरत रहने की विनती की गई थी.
प्रश्न – विधानसभा चुनाव में ठाकरे और देशमुख एक हो गये थे. डॉ. बोंडे को गिराने के लिए हाथ मिलाया था. फिर ठाकरे संस्था के चुनाव में एकदम विरोधी कैसे हो गये?
हेमंत कालमेघ -विधानसभा चुनाव को लेकर मैं कोई टिप्पणी नहीं करुंगा. जहां तक संस्था का मसला हैं. 5 वर्ष तक सभी के संबंध मधुर रहे. सभी ने एकसंघ होकर काम किया. भैयासाहब के नेतृत्व में संस्था ने तरक्की की.
प्रश्न – चुनाव होने ही नहीं देने चाहिए थे. क्यों नौबत आई?
हेमंत कालमेघ – हमें भी इस बात का मलाल है कि, नाहक चुनाव करवाने पडे. फिर भी इस बात का भी संतोष है कि, गत चुनाव में 6 पैनल थे. अब 2 पैनल पर आ गये. इसे भी उपलब्धि माना जा सकता हैं. उपाध्यक्ष ठाकरे जी कंटीन्यू कर दें, तो शायद ही कोई दूसरा विरोध करता.
प्रश्न – आप परदे के पीछे चाणक्य के रुप में रणनीतिकार रहे. आपका क्या कहना हैं?
हेमंत कालमेघ – चाणक्य वगैरह कुछ नहीं. 5 वर्ष तक बढिया कार्य संस्था का रहा. भैयासाहब, दिलीप जी इंगोले और सभी का योगदान हैं. चाणक्य नहीं लेकिन इतना जरुर है कि, शिवाजी के इलेक्शन में सबसे ज्यादा अनुभव मुझे रहा. उस हिसाब से रणनीति बनाई.
प्रश्न – खूब आरोप लगे. भ्रष्टाचार के भी आरोप किये गये. आपका क्या कहना है?
हेमंत कालमेघ – व्यक्तिगत रुप से आरोप लगाये गये उनमें कोई तथ्य नहीं था. भ्रष्टाचार का आरोप करने पर सबूत देने चाहिए थे. ऐसा नहीं हुआ. उलटे हमारे कार्यकाल में सर्वोत्तम पारदर्शी प्रशासन दिया. एक रुपए का भी दाग नहीं हैं. चुनाव निपट गया. अब सब विषय खत्म माने जा सकते हैं. इवेंट बनाया गया था. उसका कोई मोल नहीं. उन चीजों का जानबूझकर खंडन भी नहीं किया. क्योंकि कोई महत्वपूर्ण नहीं लगा. जब विपक्ष 15 दिनों तक आरोप-प्रत्यारोपों में लगा रहा. उसी दौरान संस्था लगातार प्रगति के नये सोपान रच रही थी. शिवाजी साइंस कॉलेज को नैक का ए प्लस दर्जा, पवनी के महाविद्यालय को बी प्लस प्लस, पीडीएमसी में गायनिक की एक से बढकर सीट 4 हो गई और बालापुर तहसील के निंभा में वरिष्ठ महाविद्यालय को स्वीकृति मिली हैं. हम सभी संस्था की प्रगति के लिए दौडधूप कर रहे थे.
प्रश्न – प्रगति तो होती ही हैं, क्या विशेष किया गया?
हेमंत कालमेघ – प्रगति में क्या अपेक्षित रहता हैं. 4 महत्वपूर्ण बातें होती हैं. संसाधन, आर्थिक, शैक्षणिक, मानव संसाधन. चारों ही बैरोमीटर पर शिवाजी शिक्षा ने नई उचाई को छूआ हैं. जब भी आर्थिक प्रगति की चर्चा कोषाध्यक्ष दिलीपबाबू इंगोले सभा में लेखाजोखा पढते, तो 2 घंटे बीत जाते, वह खत्म नहीं होता. संस्था की प्रगति को लैंडमार्क अथवा ऐतिहासिक कहा जा सकता हैं.
प्रश्न – आगे किन बातों पर ध्यान रहेगा. कौनसे आश्वासन पूर्ण होंगे?
हेमंत कालमेघ – प्रगति पैनल के वचननामा में इसका स्पष्ट उल्लेख हैं. क्रीडा प्रबोधिनी, सैनिक स्कूल, गीताजयंती परीक्षा को वरियता दी जाएगी. भाउसाहब पंजाबराव देशमुख को अपेक्षित संस्था का विकास होगा. होलिस्टीक स्टूडंट के लिए संस्था कटिबद्ध हैं. छात्र का सर्वांगिण विकास ही हमारा लक्ष्य हैं.
प्रश्न – वोटर्स दिनोंदिन कम हो रहे हैं, क्या कारण हैं?
हेमंत कालमेघ – संस्था के संविधान में संशोधन करना था. दो विशेष आमसभा बुलाकर प्रस्ताव सहायक धर्मदाय आयुक्त को भेजा गया. वह प्रस्ताव विचाराधीन हैं. मा. हर्षवर्धन देशमुख ने चुनाव सभा में स्पष्ट आश्वासन दिया कि, संस्था के वर्तमान आजीवन सभासदों को विश्वास में लेकर ही और मार्गदर्शक तत्व बनाकर ही सदस्य बढाये जाएंगे.
प्रश्न – 100 लोगों को नियुक्ति पत्र दिये गये?
हेमंत कालमेघ – इसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं हैं. टाईमिंग संयोगवश आयी हैं. 3 माह से प्रक्रिया चल रही थी. कार्यकारिणी बैठक में स्वीकृति देने पर प्रशासन को अधिकार दिये गये थे. मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता ने छात्र और मरीज संख्या बढने के कारण 100 लोगों की भरती की हैं. आजीवन सदस्यों के पाल्यों को अवसर मिला हैं.

* शिवाजी संस्था में सर्वाधिक वोट लेकर विजयी और अपने अभिन्न मित्र हेमंत कालमेघ का कार्यालय में पुष्पगुच्छ देकर स्वागत करते अमरावती मंडल के राजेश अग्रवाल.

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