गिरोह के मुख्य सूत्रधार द्वारा एजंट को दिया जाता है लाखो रुपए का कमीशन
ऑनलाईन जालसाजी का मामला
* खातेदार बनाना और उन पर ध्यान देने की जिम्मेदारी
अमरावती/दि.26ऑनलाईन जालसाजी करनेवाले 8 लोगों का गिरोह ग्रामीण पुलिस ने मुंबई से पकड लिया. इस गिरोह का मुख्य सूत्रधार विदेश में रहने के बावजूद वह इस गिरोह को आदेश देता है और एजेंट उस मुताबिक का करते है. यह गिरोह खातेदार तैयार करने से लेकर उन्हें बडे शहर में लेकर जाने का, जालसाजी की रकम नागरिको के खाते से मुख्य सूत्रधार तक पहुंचने तक खाताधारक पर ध्यान रखने की जिम्मेदारी निभाते है. इस काम के लिए एजेंट को तीन से चार दिनों में दो से तीन लाख रुपए दिए जाते है, ऐसा पुलिस जांच में सामने आया है.
शेअर मार्केट में निवेश का प्रलोभन देकर ऑनलाईन पैसे ऐंठने की घटनाएं बढी है. इस जालसाजी का मास्टरमाईंड विदेश में बैठकर देश के नागरिको को लूट रहा है. आम लोगों से लूटी हुई रकम इधर से उधर करने के लिए आरोपियों को बैंक खाते महत्व के है. इस कारण ही एजेंटो से पार्ट टाईम जॉब के नाम पर बैंक खाते निकालने, जिनके खाते निकाले उन्हें बडे शहरो के एक होटल में रोककर उनके खाते से जालसाजी की रकम रफादफा की जा रही है. इसके लिए खाताधारक को नया मोबाईल भी दिया जाता है. एक खाताधारक को तीन से चार दिन से अधिक रोका नहीं जाता अथवा उसके खाते का इस्तेमाल नहीं किया जाता. लेकिन इन तीन-चार दिनों में बैंक खाताधारक अप्रत्यक्ष रुप से एजेंट की नजरकैद में रहे जैसा होता है. उस पर ध्यान रखने की जिम्मेदारी भी एजेंट की ही रहती है. इसके बदले एजेंट को लाए गए बैंक खाताधारक के खाते से जितनी रकम मुख्य सूत्रधार के पास भेजी जाएगी, उस रकम में से एक से सव्वा प्रतिशत रकम दी जाती है. अनेक बार दिनभर में खाताधारको की खाते से करीबन एक करोड रुपए की रकम भी इधर से उधर की जाती है. इस कारण संबंधित एजेंट को एक दिन में एक से सवा लाख रुपए तक कमीशन मिलता है. चार दिन के बाद संबंधित खाताधारक को उसके गांव वापस भेज दिया जाता है. उस समय उसके द्वारा इस्तेमाल मोबाईल भी फेंक दिया जाता है, ऐसी जानकारी ग्रामीण साईबर पुलिस से मिली है.
* ऐसा है ऍप
खाताधारक की ओटीपी पहुंचते ही मुख्य सूत्रधार के पास जालसाजी की रकम जिस समय खातेधारको के बैंक खाते में आती है, वह रकम खाताधारक के खाते से मुख्य सूत्रधार की तरफ भेजनी रहती है. इस कारण पैसे निकालने के लिए बैंक खातेधारक को ओटीपी भेजती है. यह ओटीपी बैंक खाताधारक को पता न चलते हुए सीधे मुख्य सूत्रधार को मिलती है. इसके लिए एक अप्लीकेशन स्मार्ट फोन में एजेंट खातेदार के मोबाईल में डाऊनलोड कर देता है. इस अप्लीकेशन को कार्यरत रखने के लिए मोबाईल की स्क्रीन नियमित शुरु रखनी पडती है. लेकिन यह ऍप केवल साईबर क्राईम करनेवाले मुख्य सूत्रधार के पास ही है, ऐसी जानकारी ग्रामीण साईबर पुलिस स्टेशन के प्रमुख धीरेंद्रसिंग बिलवाल ने दी.