
* स्नान व आराम का भी पूरा ध्यान
अमरावती /दि.21– मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के कोलखास में जंगल सफारी के तहत पर्यटकों की सेवा हेतु रहनेवाली 4 मादा हाथियों की दीनचर्या किसी राजसी ठाट से कम नहीं होती. इन हाथियों के भोजन, स्नान व आराम सहित जंगल फेरी के समय का बेहद कडाई के साथ पालन किया जाता है और उनके स्वास्थ व पोषण आहार की ओर बेहद बारिकी से ध्यान रखा जाता है.
बता दें कि, कोलखास में जयश्री, सुंदरमाला, चंपाकली व लक्ष्मी नामक 4 मादा हाथी है. व्याघ्र प्रकल्प के संरक्षण सहित वन कर्मचारियों की सेवा हेतु उपलब्ध कराई गई इन चारों मादा हाथियों द्वारा विगत कई वर्षों से पर्यटकों को जंगल सफारी का आनंद भी दिया जा रहा है.
* ऐसी हैं चारों की दीनचर्या
रातभर जंगल में गश्त के बाद आराम करने के उपरांत सुबह 6 बजे चारों हाथियों को सिपना नदी में स्नान कराते हुए वापिस लाया जाता है. पश्चात सुबह 9 बजे एक-एक किलो आटे के गोले से बनी एक-एक रोटी इन चारों हाथियों को नाश्ते के तौर पर दी जाती है. साथ ही डॉक्टर की सलाह के अनुसार पोषक खाद्य भी दिए जाते है. जिसके पश्चात यह चारों हाथी जंगल सफारी पर रवाना किए जाते है. जहां से अपना राऊंड पूरा कर वे दोपहर 12 बजे के आसपास वापिस आते है.
* ढाई से तीन किमी की जंगल फेरी
कोलखास परिसर के वन्य क्षेत्र में ढाई से तीन किमी की फेरी लगाते हुए जंगल सफारी की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. जिसके तहत हाथियों की पीठ पर बैठकर जंगल में हिरण व मोर सहित विविध वन्य प्राणियों एवं पशु-पक्षियों को देखा जा सकता है.
* रोटी के साथ गुड और तेल भी
चारों हाथियों को सुबह के वक्त एक-एक या दो-दो मोटी रोटियों का नाश्ता कराने के बाद शाम के समय एक-एक किलो आटे से बनी 8 या 9 रोटियां भोजन के तौर पर दी जाती है और इन रोटियों के साथ तेल और गुड भी होता है. इसके अलावा डॉक्टर की सलाह के अनुरुप प्रोटिन या अन्य आवश्यक पावडर लगाकर हाथियों के स्वास्थ का ध्यान रखा जाता है.