अमरावती

सिख पंथ के पांचवें गुरु अजर देव महाराज का शहीदी पूरब मनाया गया

सह पाठ साहिबजी का समापन, स्त्री साथ संगत व्दारा कीर्तन

अमरावती/दि.24– सिख पंथ के पांचवें गुरु अरज देव महाराजजी का शहीदी पूरब स्थानीय बूटी प्लॉट स्थित गुुरुव्दारा श्री गुरुसिंह सभा में मनाया गया. मंगलवार की सुबह 9.30 बजे सहज पाठ साहिबजी की समाप्ती की गई. इस समय स्त्री साथ संगत व्दारा कीर्तन किया गया.
‘कर चाकर सो देग ऊबारी परको देह, तिसी मह भारी, तब सतगुर उठ आये गये, तपत नीर मह बैठत भये, तेरा किआ मीठा लागे हर नाम पदारथ नानक मांगे, शहीदां दे सिरताज, शांती दे पूंज, बाणी दे बोहिथ, सुखमनी दे रचेता श्री गुरुग्रंथ साहिब दे संपादक रचेता, हरमंदर साहिब अते तरनतारन साहिब दें सिरजन हारे पंचम पातशाह धन-धन साहिब श्री सतगुरु अरजन देवजी दे शहीदी दिहाडे ते सतगुुरुजी नूं कोटी-कोटी प्रणाम शहीदों दे सिरताज, धन-धन श्री गुरु शहादत नूं कोटि-कोटि प्रणाम’ आदि कीर्तन से संगत निहाल हुई.
मंगलवार की सुबह सहज पाठ साहिबजी की समाप्ति के पश्चात सुबह 10.30 बजे से साध संगतजी व्दारा कीर्तन का कार्यक्रम लिया गया. सुबह 11.15 बजे से हुजुरी रागी जत्था के कीर्तन भाई ओंकारसिंह व्दारा कीर्तन का कार्यक्रम लिया गया. इसके उपरांत अरदास व गुरु का लंगर कार्यक्रम लिया गया. अमृतसर से पधारे प्रचारक खुशबीर सिंह जी ने कथा व्दारा साथ संगत को निहाल किया. गुरुव्दारा का हजुरी रागी जत्था भाई भूपेंद्रसिंहजी ने साध संगत जी को कीर्तन राही से जोडा. इसके उपरांत अरदास और गुुरु का लंगर अटूट बढता गया. प्रबंध कमिटी व्दारा पिछले 40 दिनों से सुखमणि साहिब का पाठ शुरु रखा था. जिसका मंगलवार को सामपन किया गया. कमिटी ने सभी साध संगत का धन्यवाद अदा किया.
रोजाना इस पाठ पर सिख पंजाबी व सिंधी समाज के संगत आते ही थे. लेकिन इसमें मारावाडी समाज का जाजू परिवार पिछले 40 दिनों से लगातार आते रहे और पाठ में हाजिरी भी भरी तथा वारी भी दी. इतना ही नहीं तो उनका 5 साल का बच्चा तनिष्क रोजाना आता था और सेवा भी करता था. उनकी इस अटूट आस्था को देखते हुए बच्चे का विशेष तौर पर सिख समाज और कमिटी की ओर से सम्मान भी किया गया. इसके अलावा स्त्री साध संगत व्दारा पिछले कुछ माह से सहज पाठ की लडी आरंभ की गई है. जिसमें सभी मिलकर पाठ करती हैं. सप्ताह में एक दिन गुरुव्दारा में इसकी समाप्ति होती है. साथ ही उन्होंने कीर्तन व्दारा अपना-अपना जत्था भी बनाया है और साध संगतजी को निहाल करते हुए आ रही है. इसके साथ ही गुुरुव्दारा गुरुसिंह सभा की ओर से ठंडे छबिल (शरबत) की सेवा भी दी गई है. छबिल सेवा गुरुव्दारा परिसर कंवर नगर चौक पर दी गई. इसमें बडी तादाद में सेवाधारों ने स्वयं आगे आकर सेवाएं दी. साथ ही छोले का प्रसाद भी वितरित किया गया. अटूट लंगर भी बरता गया.
कार्यक्रम को सफल बनाने में अध्यक्ष तेजेंदरसिंह उबवेजा, सतपालसिंह अरोरा, मंजीतसिंह होरा, हरबख्शसिहं उबवेजा, हरप्रितसिंह सलूजा, प्रह्लादसिंह साहनी, गगनदीपसिंह साहनी, डॉ. राजेंद्रसिंह अरोरा, नरेंद्रपालसिंह अरोरा, परमिंदरसिंह अरोरा, अजिंदरसिंह मोंगा, गुरबिंदरसिंह मोंगा, अमृतसिंह जग्गी, मोहिंदरसिंह जग्गी, रवींद्रसिंह सलूजा, गुरविंदरसिंह नंदा, राजा सलूजा, गुरविंदरसिंह नंदा, राजा सलूजा, कुलदीपसिंह नंदा, राजा सलूजा, कुलदीपसिंह लोट्टे, पंकज छाबडा, एस.राज. सलूजा, प्रीतपालसिंह मोंगा, नवलजीतसिं उबवेजा, हरप्रितसिंह बग्गा, गुलशनसिंह बग्गा, गुरशरणसिंह जुनेजा, निक्कू खालसा, हमेंद्रसिंह पोपली, राजेंद्रसिंह सलूजा, पप्पू राजपूत, राज छाबडा, सुरविंदरसिंह सलूजा, अवनीतसिंह सजूला, नमन सलूजा, परमजीतसिंह सलूजा, हरदीपसिंह सलूजा, सोनूसिंह सलूजा, पप्पू खुराणा, हरभजन सलूजा, दिनेश सचदेवा, हीरानंद सावलानी, सिमरजीतसिंह बग्गा, रोशन कुंडवानी, निशांत पोटानी, प्रवीण नाथानी, अनिल नाथानी, हमरत राय, मंजीतसिंह साहनी, हरजीतसिंह साहनी, देवेंद्र कौर साहनी, माता साहनी पोपली, मिनी अरोरा, इसमित कौर साहनी, लाडी सलूजा, अनीता उबवेजा, रिंकल साहनी, रैनी अरोरा, नैन्सी अरोरा, रोशनी बच्चर, निकी अरोरा, अंजू मोंगा, रानी सलूजा, सूरजीतकौर सलूजा, अंजू पोपली, सोनू बग्गा, रम्मी बेदी, काजल जग्गी, रोमा चेन्नाई, सतेंद्रसिंह लोट्टे, प्रीतपालसिंह सलूजा, पिंकी मोंगा, कवलजीत कौर मोंगा, रोशी साहनी, सतनाम कौर हुडा, सतनाम कौर सलूजा, सीमा बत्रा, दीपा बत्रा, शीतल कौर सलूजा आदि ने अथक प्रयास किए साथ ही सभी ने बडी संख्या में उपस्थिति दर्शायी.

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