अमरावती

तंदूर भट्टी से प्रदूषण की बात ही गलत

शहर के होटल व ढाबा संचालकों की प्रतिक्रिया

अमरावती / दि. १०- हाल ही में जबलपुर महानगरपालिका ने तंदूर भट्टी की वजह से प्रदूषण फैलने की वजह को आगे करते हुए लकडी व कोयले से जलनेवाली तंदूर भट्टी के प्रयोग पर पाबंदी लगाने का निर्णय लिया है. और इसके बजाय इलेक्ट्रिक और एलपीजी स्टोव वाले तंदूर पर रोटी बनाने का आदेश दिया है. ऐसे में अमरावती शहर के होटल व ढाबा संचालकों में जबलपुर महानगरपालिका के फैसले को पूरी तरह से गलत बताते हुए कहा कि, तंदूर भट्टी से प्रदूषण होने की बात ही गलत है, साथही इलेक्ट्रिक और एलपीजी स्टोव्ह पर बनने वाली तंदूर रोटी जैसा स्वाद ही नहीं आ सकता.
उल्लेखनिय है कि, जबलपुर महानगरपालिका ने कोयले व लकडी वाली तंदूर भट्टियों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा कि, तंदूर में जलनेवाले कोयले और लकडी के ध्ाुएं से बडे पैमाने पर कार्बन उत्सर्जन होता है, जिससे प्रदूषण फैलता है.साथही तंदूरी रोटीयों में भी कार्बन का प्रमाण थोडा अधिक रहता है जो स्वाद के लिए पूरी तरह से हानिकारक है. अत: अब तंदूरी भट्टी के बजाय इलेक्ट्रिक व एलपीजी गैस सिगडी का उपयोग करना होगा. जबलपुर मनपा के इस फैसले को लेकर इस समय पूरे देश मे चर्चा चल रही है और अमरावती के होटल व ढाबा संचालकों के साथ साथ तंदूरी रोटी के शौकीनों द्वारा भी नाराजगी जताई जा रही है. इन सभी का कहना रहा कि, रोज रोज सादी रोटी व चपाती खाने के साथ साथ कभीकभार धीमी धीमी आंच पर सौंधेपन के साथ पकने वाली तंदूरी रोटी खाने की भी इच्छा होती है और मिट्टी से बनी एवम् कोयले व लकडी का प्रयोग कर जलाये जाने वाली तंदूरी भट्टी में पकाए जाने वाली तंदूरी रोटी का स्वाद ही कुछ अलग होता है, जिसके आनंद इलेक्ट्रिक व एलपीजी की भट्टी में नहीं आता.
तंदूरी भट्टी की वजह से प्रदूषण फैलने को लेकर जबलपुर मनपा द्वारा कही गई बात ही पूरी तरह से गलत है. और यह आदेश भी व्यवहारिक नहीं है. हर व्यंजन की अपनी पाकविधि होती है. और तंदूरी रोटी को तंदूरी भट्टी में ही बनाया जा सकता है. इलेक्ट्रिक व एलपीजी स्टोव में तंदूर की तरह रोटियां नहीं बनाई जा सकती.
-रवींद्रसिंह सलूजा, संचालक
होटल न्यू ईगल
तंदूर की वजह से प्रदूषण फैलता है, यह सुनकर ही बड़ा आश्चर्य हो रहा है. तंदूर पर प्रतिबंध लगाने की बजाय जबलपुर प्रशासन ने जबलपुर शहर के आसपास स्थित कोयले की खदान पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, ताकि प्रदूषण पर नियंत्रण रखा जा सके.
-नितीन देशमुख, संचालक
होटल रंगोली पर्ल

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