* अमरावती विद्यापीठ में विशेष व्याख्यान
अमरावती/दि.29- स्त्री वाद यह राजनीतिक विचार प्रणाली है. उसमें विविध स्त्रीवादी प्रवाह है. स्त्री मुक्ति की दिशा में उनका अनन्य साधारण महत्व है. स्त्री वाद को लेकर समाज में कई पूर्वाग्रह प्रचलित है. स्त्रीवादी महिलाएं परिवार तोडने वाली, स्वैराचारी, आक्रमक व सभ्यता नहीं रहने वाली होती है. ऐसी अवधारणाएं समाज में प्रचलित है. पितृ सत्ताक समाज के लाभधारक अपने हित के लिए ऐसे पूर्वाग्रह प्रचलित करने को बढावा देते है. आत्मभान नहीं रहने वाली महिलाएं व पुरुष इस वर्चस्व के सत्ताकारण के वाहक बनते है. इसलिए स्त्रीवाद का सर्व समावेशी दृष्टिकोण समजना जरुरी है. स्त्री वाद यह एक सर्जनशील विचार है. ऐसा प्रतिपादन मुंबई विद्यापीठ की मराठी विभाग प्रमुख डॉ. वंदना महाजन ने किया. विद्यापीठ में आयोजित स्त्रीवाद समज-गैरसमज विषय पर आयोजित व्याख्यान में वह बोल रही थी.
विद्यापीठ में मराठी विभाग प्रमुख डॉ. मोना चिमोटे की अध्यक्षता में आयोजित इस व्याख्यान में वुमन्स स्टडी सेंटर की संचालक डॉ. वैशाली गुडधे, प्रा. भगवान फालके प्रमुख रुप से उपस्थित थे. इस अवसर पर डॉ. मोना चिमोटे ने कहा कि, समाज की विभिन्न प्रकार की विषम रचनाओं की दिशा में काम करना जरुरी है. स्त्रीवाद की ओर नकारात्मक दृष्टि से नहीं देखे, उसका चिकित्सक आकलन करें. कार्यक्रम का प्रास्ताविक भगवान फालके ने किया, तो सूत्रसंचालन व आभार प्रदर्शन अभिजीत इंगले ने किया. कार्यक्रम में विद्यापीठ के शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षक, संशोधक व छात्र बडी संख्या में उपस्थित थे.