अमरावती

सुखी सहजीवन का अर्थ बताती है ‘अफेअर’

ख्यातनाम लेखिका वंदना खरे का प्रतिपादन

  • डॉ. मोहना कुलकर्णी द्वारा अनुवादित किताब का किया प्रकाशन

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२७ – इन दिनों ‘अफेअर’ को केवल गौसिक अथवा मजाक उडाने का विषय माना जाता है. किंतु इस विषय पर बेहद विवेकवादी पध्दति से विचार करने हेतु डॉ. मोहना कुलकर्णी द्वारा अनुवादित करने का काम ‘अफेअर’ नामक किताब करती है और इस किताब में सुखी सहजीवन का सार्थक अर्थ बताने का काम किया गया है. इस आशय का प्रतिपादन स्त्रीवादी आंदोलन की ख्यातनाम कार्यकर्ता व लेखिका वंदना खरे द्वारा किया गया.
बता दें कि, भारतीय विवाह संस्था के विषय को लेकर हमेशा बहुचर्चित लेख व किताबें लिखने के लिए विख्यात चेन्नई निवासी सुप्रसिध्द मानसोपचार तज्ञ डॉ. विजय नागस्वामी द्वारा ‘विवाहबाह्य संबंध व उससे बाहर निकलने के रास्ते’ विषय को लेकर लिखी गई ‘थ्री-एस क्राउड’ नामक किताब पूरे देश में चर्चित हुई. वहीं अब अमरावती शहर की नामांकित समूपदेशक डॉ. मोहना कुलकर्णी ने इस किताब का मराठी में अनुवाद किया है और मीडिया वॉच पब्लिकेशन द्वारा ‘अफेअर : विवाहबाह्य संबंध आणि नंतर’ नाम से प्रकाशित किताब का प्रकाशन कल रविवार 26 सितंबर को समारोहपूर्वक हुआ. इस अवसर पर लेखिका वंदना खरे इस किताब का विमोचन करते हुए अपने विचार व्यक्त कर रही थी. गत रोज स्थानीय हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल के ऑडिटोरियम में प्रात: 10 बजे आयोजीत इस कार्यक्रम में नामांकित महिला अधिकार कार्यकर्ता वंदना खरे (मुंबई) के साथ ही नामांकित लेखक व ख्यातनाम वक्ता प्रा. हेमंत खडके तथा ख्यातनाम ग्राफीक आर्टिस्ट व व्यंगचित्रकार गजानन घोंगडे (अकोला) बतौर प्रमुख अतिथि उपस्थित थे.
इस अवसर पर वंदना खरे ने कहा कि, नैतिकता और अनैतिकता की कल्पना के समयानुसार बदलने के दौरान विवाहबाह्य संबंध और उसके परिणाम के विषय को लेकर हजारों केसेस का अध्ययन कर इस विषय का सर्वांगीण विचार करने का काम इस किताब के जरिये हुआ है. यह किताब मराठी में उपलब्ध होना अपने आप में एक बडी उपलब्धि है. वहीं इस समय अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ. हेमंत खडके ने इस किताब से संबंधित अध्ययनपूर्ण जानकारी व्यक्त करते हुए किताब के अंतरंग से उपस्थितों को परिचित कराया. साथ ही कहा कि, यह किताब केवल ‘अफेअर’ यानी विवाहबाह्य संबंध तक मर्यादित नहीं है, बल्कि विवाह एवं सहजीवन के संदर्भ में नये सिरे से विचार करने हेतु मजबूर करती है. यह किताब बताती है कि, ‘अफेअर’ वस्तुत: वैवाहिक जीवन की मृत्यु घंटा नहीं, बल्कि समय रहते अपना वैवाहिक जीवन बचाने हेतु बजनेवाली खतरे की घंटी है. साथ ही विपरित परिस्थिति में भी विवेकनिष्ठ वैचारिक व्यवहार कैसे रखा जाये, इसे लेकर भी यह किताब मार्गदर्शन करती है. साथ ही सुखी व आनंदी सहजीवन के मार्ग पर यह किताब दीपस्तंभ का कार्य करती है. वहीं इस समय इस किताब की अनुवादिका डॉ. मोहना कुलकर्णी ने ‘अफेअर’ किताब का अनुवाद करते समय आये अनुभवों को विषद करते हुए कहा कि, स्वानंद समूपदेशन केंद्र के जरिये मिले अनुभवों का इस किताब का अनुवाद करते समय काफी फायदा हुआ तथा विचार, भावना व व्यवहार के बीच सामंजस्य रखते हुए आनंददायी सहजीवन का नियोजन कैसे किया जा सकता है. इसकी जानकारी इस किताब में दी गई है. इसके साथ ही कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए किताब के प्रकाशक तथा मीडिया वॉच पब्लिकेशन के संपादक अविनाश दुधे ने इस अनुवादित किताब के जरिये मराठी भाषा में एक महत्वपूर्ण किताब उपलब्ध होने की जानकारी देते हुए कहा कि, इस किताब के जरिये प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर हर एक के जीवन को स्पर्श करनेवाले विषय को समझने का एक शानदार जरिया सभी के पास उपलब्ध होगा.
इस कार्यक्रम के दौरान किताब की निर्मिती में महत्वपूर्ण योगदान देनेवाले गणेश काले, मिलींद सभापतीकर व संजय हेरोडे का डॉ. चंद्रशेखर कुलकर्णी के हाथों भावपूर्ण सत्कार किया गया. इस अवसर पर प्रमुख रूप से पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख, डॉ. अनिल बोंडे, वरिष्ठ साहित्यीक वसंत आबाजी डहाके, प्रभा गणोरकर, डॉ. श्रीकांत देशमुख, डॉ. अविनाश चौधरी, प्राचार्य अविनाश मोहरील, डॉ. के. एम. कुलकर्णी, डॉ. वाजपेयी, डॉ. सुभाष गवई, डॉ. वसूधा बोंडे, डॉ. किशोर फुले, प्रा. प्रसेनजीत तेलंग, डॉ. बबन बेलसरे, एड. राजेंद्र पांडे, डॉ. धनंजय देशमुख, प्रा. कुमार बोबडे, प्रा. डॉ. लक्ष्मीकांत खंडागले, डॉ. माधुरी फुले, सारिका उबाले, संजय खडसे, डॉ. प्राजक्ता कुलकर्णी, हर्षल रेवणे, डॉ. गोविंद तिरमनवार तथा डॉ. शोभा गायकवाड सहित शहर के अनेकों गणमान्य उपस्थित थे. इस कार्यक्रम में संचालन व आभार प्रदर्शन डॉ. दया पांडे ने किया.

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