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मनपा का मनमर्जीवाला काम नहीं चलेगा

पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटील ने लगायी मनपा को फटकार

* बचत भवन में मनपा अधिकारियों की ली क्लास
* पूर्व पार्षदों के साथ मिलकर शिकायतोें को लेकर सुनाये खडे बोल
अमरावती/दि.22- विगत करीब छह माह से अमरावती मनपा प्रशासन द्वारा निरंकुश होकर मनमाने तरीके से काम किया जा रहा है. जिसके चलते आज शहर में किसी सफाई ठेकेदार पर मनपा के किसी अधिकारी का कोई नियंत्रण नहीं है और जनता द्वारा निर्वाचित सदन का अभाव रहने के चलते मनपा के अधिकारी भी किसी की नहीं सुन रहे. जिसका खामियाजा आम शहरवासियों को भुगतना पड रहा है और शहर में सडकें व नालियां गंदगी से सराबोर हो चुकी है. जिसकी वजह से शहर का सामाजिक स्वास्थ्य खतरे में कहा जा सकता है. ऐसे में अमरावती मनपा प्रशासन को जल्द से जल्द और तुरंत अपने कामकाज के तरीके में सुधार करना होगा, अन्यथा प्रशासन को इसके गंभीर नतीजे भुगतने पडेंगे. इस आशय के शब्दों में पूर्व पालकमंत्री व विधान परिषद सदस्य प्रवीण पोटे पाटील ने आज मनपा अधिकारियों को जमकर आडे हाथ लेते हुए खडे बोल सुनाये.
पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटील ने आज भाजपा के पूर्व पार्षदों सहित शहरवासियों की ओर से लगातार मिल रही शिकायतों को ध्यान में रखते हुए जिलाधीश कार्यालय के पास स्थित बचत भवन में मनपा अधिकारियों की बैठक बुलाई और इस बैठक में पुर्व पालकमंत्री ने मनपा अधिकारियों की एक तरह से क्लास ही लगा डाली.
करीब सात से आठ प्रमुख मुद्दों को लेकर बुलाई गई इस बैठक में सबसे पहले तो मनपा प्रशासन द्वारा संपत्ति कर की दरों में की गई 40 फीसद वृध्दि का मामला गूंजा. जिसे लेकर पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटील ने कहा कि, दो वर्ष चले कोविड संक्रमण काल के बाद सर्वसामान्य लोगोें का जीवन अब जैसे-तैसे पहले की तरह सामान्य होकर पटरी पर लौटा है और हर कोई दो-ढाई वर्ष के दौरान हुए अपने नुकसान से उबरने का प्रयास कर रहे है. वही इन तमाम बातों की अनदेखी करते हुए मनपा प्रशासन ने संपत्ति कर की दरों में 40 फीसद की वृध्दि की है. यह कर वृध्दि अमरावती मनपा प्रशासन का तुगलकी और सुलतानी निर्णय है. जिसे लेकर अमरावतीवासियों में जबर्दस्त रोष व्याप्त है. अत: मनपा प्रशासन ने अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.
इसके साथ ही पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटील का यह भी कहना रहा कि, एक ओर तो अमरावती मनपा द्वारा शहर में कोई मुलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करायी जा रही है. मनपा के अख्तियार में आनेवाली सडकें कई रिहायशी इलाकों में खुदी पडी है. जिन पर बडे-बडे गढ्ढे बन गये है. साथ ही शहर में साफ-सफाई की व्यवस्था का भी नितांत अभाव है. इसके बावजूद भी मनपा प्रशासन द्वारा शहरवासियों पर संपत्ति कर के रूप में अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाला जा रहा है. जिसे कदापि बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और मनपा प्रशासन ने सबसे पहले तो इस बात का जवाब देना चाहिए कि, इससे पहले अमरावती शहरवासियों से जो 38 करोड रूपये वसुल हो रहे है, आखिर वे खर्च कहां पर किये जा रहे है. विधायक पोटे के मुताबिक मनपा के संपत्ति कर विभाग के अलावा बाजार परवाना विभाग द्वारा भी कर और किराये की वसुली की जाती है. शहर के इतवारा बाजार जैसे परिसर में कई ओटे अतिक्रमित है. इस विभाग की कर प्राप्ती विगत कई वर्षों से दो से सवा दो करोड पर ही स्थिर है और इस कर में वृध्दि व मांग के अनुरूप वसुली अपेक्षित रहते समय शहर के सर्वसामान्य नागरिकों पर कर वृध्दि का बोझ डाला जा रहा है. इसके अलावा मनपा की जगह और व्यवसायिक संकुलों में विगत कई वर्षों से पुराने किराये की दरों पर व्यवसाय कर रहे व्यापारियों का किराया वसुल करने के मुद्दे पर भी पालिका प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है और छह माह पूर्व लोक नियुक्त पदाधिकारियों को अंधेरे में रखते हुए नई दरवृध्दि को सर्वसामान्य नागरिकों पर लादा जा रहा है. इससे पहले जहां 90 रूपये प्रति चौरस मीटर की दर से संपत्ति कर लगाया जाता था, उसे बढाकर 129 रूपये कर दिया गया है. जिसके चलते जिस संपत्ति धारक को इससे पहले 1 हजार रूपये का देयक अदा करना पडता था, अब उसे 1400 रूपये अदा करने होंगे. यह सीधे-सीधे मनपा प्रशासन का मनमाना और तुगलकी फैसला है.
इसके अलावा आगामी नवरात्रोत्सव के दौरान राजकमल चौक से गांधी चौक के बीच लगनेवाले अंबादेवी के मेले में मनपा प्रशासन द्वारा उपलब्ध करायी जानेवाली 151 दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया में होनेवाली अनियमितता की ओर भी विधायक प्रवीण पोटे ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि, दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शक होनी चाहिए. अपरान्ह करीब 1 बजे बुलाई गई यह बैठक दोपहर करीब 2 बजे के आसपास शुरू हुई, जो अगले करीब डेढ से दो घंटे तक चलती रही. जिसमें अधिकांश समय शहर की साफ-सफाई संबंधी समस्याओं को लेकर ही चर्चा चलती रही और शहर के अलग-अलग प्रभागों में साफ-सफाई ठेकेदारों द्वारा किये जा रहे मनमाने कामकाज को लेकर विधायक प्रवीण पोटे ने मनपा अधिकारियों को जमकर आडे हाथ लेते हुए आरोप लगाया कि, इस समय मनपा में जनता द्वारा निर्वाचित सदन नहीं रहने के चलते प्रशासन पूरी तरह से निरंकुश हो गया है. जिससे लोगों को काफी समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पड रहा है. ऐसे में मनपा प्रशासन के अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी और जवाबदेही का भान रखना चाहिए.

इस बैठक में मनपा आयुक्त डॉ. प्रवीण आष्टीकर, भाजपा शहराध्यक्ष किरण पातुरकर, पूर्व महापौर संजय नरवने व चेतन गावंडे तथा पूर्व पार्षद सुरेखा लुंगारे, सुनील काले, कुसुम साहू, रिता मोकलकर, लवीना हर्षे, माधुरी ठाकरे, पद्मजा कौंडण्य, नूतन भुजाडे, स्वाती कुलकर्णी, रेखा भूतडा, जयश्री डहाके, वंदना हरणे, राधा कुरील, गंगाताई अंभोरे, श्रीचंद तेजवानी, सचिन रासने, राजेश पड्डा, प्रतिक सोनी, अजय सारस्कर, आशिष तटकरे सहित मनपा के अनेकों वरिष्ठ अधिकारी एवं शहर भाजपा के कई पदाधिकारी उपस्थित थे.

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