अमरावतीमहाराष्ट्र

अमरावती विमानतल को दिया जाए ‘प्रज्ञाचक्षु’ का नाम

श्री संत गुलाबराव महाराज संस्थान ने सीएम फडणवीस को भेजा प्रस्ताव

अमरावती/दि.28- दूसरे धर्माचार्य प्रज्ञाचक्षु ज्ञानेशकन्या संत गुलाबराव महाराज की जन्मभूमि लोणी टाकली तथा बेलोरा स्थित अमरावती विमानतल के बीच केवल 5 किमी की दूरी है तथा संत गुलाबराव महाराज अमरावती सहित देश-विदेश के कोने-कोने में बसे श्रद्धालुओं के श्रद्धास्थान है, इस बात को ध्यान में रखते हुए अमरावती विमानतल को प्रज्ञाचक्षु ज्ञानेशकन्या संत गुलाबराव महाराज का नाम दिया जाना चाहिए, इस आशय का प्रस्ताव श्री संत गुलाबराव महाराज संस्थान द्वारा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजा गया है.
माधान स्थित श्री संत गुलाबराव महाराज संस्थान द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नाम भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि, महज 34 वर्ष का अल्प जीवन रहनेवाले संत गुलाबराव महाराज ने अपने जीवनकाल के दौरान 134 ग्रंथ लिखे और सभी विषयों में पारंगत महाराज ने पाश्चिमात्य दार्शनिकों के विचारों का पूरजोर ढंग से खंडन करते हुए नावंग लिपी तैयार कर माऊली संप्रदाय की स्थापना की. ऐसे में महाराज के विचारों का प्रचार-प्रसार करने हेतु सरकार द्वारा कारगर कदम उठाए जाने की जरुरत है. जिसके तहत अमरावती विमानतल को संत गुलाबराव महाराज का नाम दिया जाना चाहिए. इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि, महज नऊ माह की उम्र में अपनी नेत्र दृष्टि खो देनेवाले संत गुलाबराव महाराज को सन 1901 में खुद ज्ञानेश्वर माऊली ने अपनी गोद में लेकर स्वनाम का मंत्र दिया था. जिसके उपरांत महाराज ने योग शास्त्र, संगीत शास्त्र, काव्य शास्त्र, आयुर्वेद, नीति शास्त्र, इतिहास, सामाजिक व राजनीतिक तत्वज्ञान जैसे विषयों को लेकर डार्विन एवं स्पेंसर जैसे पश्चिमी विचारकों के विचारों का खंडन करते हुए सभी विषयों को लेकर अपने नए विचार रखे और उन विचारों को स्थापित भी किया.

* भाऊसाहब को भारतरत्न से किया जाए सम्मानित
अमरावती विमानतल को संत गुलाबराव महाराज का नाम दिए जाने की मांग करते हुए माधान स्थित संत गुलाबराव महाराज संस्थान द्वारा सीएम फडणवीस को भेजे गए पत्र में कहा गया कि, देश के प्रथम कृषिमंत्री व शिक्षा महर्षी डॉ. पंजाबराव उर्फ भाऊसाहेब देशमुख ने स्वकर्तृत्व से समाज में बडा स्थान हासिल करने के साथ ही श्री शिवाजी शिक्षा संस्था स्थापित कर बहुजनों तक शिक्षा की गंगा प्रवाहित की और बहुजनों को प्रतिष्ठा भी दिलाई. भाऊसाहेब के नाम पर अमरावती सहित विदर्भ में अनेकों शिक्षा संस्थाएं है. साथ ही उनके नाम पर रहनेवाले अकोला स्थित कृषि विद्यापीठ के जरिए किसानों को कृषि विशेषज्ञों व वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन भी मिलता है. अत: भाऊसाहेब का स्थान समाज में बेहद उंचा है. जिसे देखते हुए भाऊसाहेब देशमुख को देश के सर्वोच्च नागरी अलंकरण ‘भारतरत्न’ से सम्मानित किया जाना चाहिए.

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